मोदी को जमीन पर तिरंगा दिखा तो उठाकर जेब में रखा

जोहान्सबर्ग:साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में 15वीं ब्रिक्स समिट शुरू हो गई है। ब्रिक्स देशों के नेता लावरोव सैंड्टन कन्वेंशन सेंटर में हाथ पकड़कर तस्वीर खिंचवाते नजर आए। इस दौरान एक घटना ने हर किसी का ध्यान खींचा।ग्रुप फोटो सेशन के दौरान हर लीडर के खड़े होने की जगह तय थी। ‘न्यूज एजेंसी एएनआई’ के मुताबिक मोदी जब साउथ अफ्रीकी प्रेसिडेंट के साथ मंच पर पहुंचे तो उन्हें तिरंगा जमीन पर दिखा। प्रधानमंत्री ने फौरन राष्ट्रीय ध्वज उठाया और सलीके से जैकेट की जेब में रख लिया।

दूसरी तरफ, साउथ अफ्रीकी प्रेसिडेंट ने भी अपने देश का फ्लैग उठाया, लेकिन यह स्टाफ को सौंप दिया। इस अफसर ने मोदी से भी तिरंगा देने की गुजारिश की, लेकिन उन्होंने नम्रता से इनकार कर दिया।ब्रिक्स देशों को मिलकर ये कोशिश करनी चाहिए कि अफ्रीकी यूनियन को भी G20 में शामिल किया जाए। हम चाहते हैं कि ब्रिक्स का विस्तार किया जाए। इसमें और देशों को शामिल किया जाए। (इस बात पर काफी देर तक तालियां बजीं)

ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में बिग कैट अलायंस बनाने की जरूरत है। इस बात की खुशी है कि ग्लोबल साउथ के देशों को ब्रिक्स में अहमियत दी जा रही है। इसका श्रेय साउथ अफ्रीका को है। जी-20 में भी हम ग्लोबल साउथ को अहमियत देना चाहते हैं। 2016 में हमने सभी को साथ लेकर चलने का सुझाव दिया था। हम सभी ब्रिक्स पार्टनर के साथ मिलकर सार्थक योगदान देते रहेंगे।

साउथ अफ्रीका के प्रेसिडेंट सिरिल रामफोसा ने समिट के दौरान मोदी से कहा- हम भारत को और चीता देना चाहते हैं। क्या आपको इनकी और जरूरत है, क्योंकि आप इस वक्त उस देश में हैं, जिसे ‘होम ऑफ चीता’ यानी चीता का घर कहा जाता है। चंद्रयान 3 मिशन में आपकी कामयाबी को हम मिलकर इन्जॉय करेंगे।

मंगलवार को 15वीं BRICS समिट के तहत बिजनेस फोरम इवेंट आयोजित हुआ। हालांकि, इसमें चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग शामिल नहीं हुए। फोरम में चीन के प्रतिनिधि ने कहा- जिनपिंग ने ब्रिक्स के विस्तार की बात कही है, जिससे इंटरनेशनल बॉर्डर को और मजबूत किया जा सके। चीन हर जगह अपने दबदबे की चाहत नहीं रखता है। ये हमारे DNA में नहीं है।

चीन ने कहा- हमारी ग्लोबल पावर बनने की रेस में शामिल होने की कोई इच्छा नहीं है और न ही हम गुटबाजी करना चाहते हैं। शी जिनपिंग ने मैसेज भेजा है कि हर तरह की बाधाओं के बीच भी ब्रिक्स हमेशा विकास करता रहेगा। उन्होंने कहा कि चीन इतिहास के सही तरफ खड़ा है। जिनपिंग ने कहा- इस वक्त समय, दुनिया और इतिहास में कुछ ऐसे बदलाव हो रहे हैं, जो पहले कभी नहीं हुए और ये समाज को एक नए मोड़ पर पहुंचा रहे हैं।

वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन समिट में शामिल होने के लिए जोहान्सबर्ग नहीं पहुंचे हैं। हालांकि वो वर्चुअली हिस्सा ले सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार दोपहर जोहान्सबर्ग पहुंचे थे। यहां उनका स्वागत गार्ड ऑफ ऑनर के साथ किया गया। उन्हें रिसीव करने के लिए साउथ अफ्रीका के उपराष्ट्रपति पॉल शिपोकोसा मैशाटाइल वाटरक्लूफ एयरबेस पहुंचे।

बिजनेस फोरम में 3 मिनट के भाषण में मोदी ने कहा- डिजिटल ट्रांजैक्शन के मामले में भारत अव्वल है। ब्रिक्स देशों को इकोनॉमिक फ्रंट पर सहयोग करना होगा। भारत बहुत जल्द 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बन जाएगा और हम वर्ल्ड का ग्रोथ इंजन बन जाएंगे। भारत ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के क्षेत्र में जबरदस्त सुधार किए हैं। मैं ब्रिक्स देशों के इनवेस्टर्स को भारत में निवेश का न्योता देता हूं।

14 साल पहले 2009 में बने ब्रिक्स समूह की बैठक इस बार काफी अहम मानी जा रही है। इसकी एकमात्र वजह इस संगठन का सदस्य बनने के लिए मची होड़ है। लगभग 40 देशों ने संगठन में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है।इनमें सऊदी अरब, तुर्किये, पाकिस्तान और ईरान भी शामिल हैं। इस बार की बैठक का सेंटर पॉइंट समूह का विस्तार ही होगा। हालांकि इसके पांच सदस्य देशों के बीच अभी इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई है।

बैठक में 45 मेहमान देश शामिल हो सकते हैं। सम्मेलन के बाद अफ्रीका आउटरीच और ब्रिक्स प्लस डायलॉग किया जाएगा। इसमें दक्षिण अफ्रीका की ओर से आमंत्रित अन्य देश शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय के सचिव विनय क्वात्रा के मुताबिक ब्रिक्स समिट में ग्लोबल इकोनॉमिक रिकवरी, जियो पॉलिटिकल चैलेंज और काउंटर टेरेरिज्म पर बातचीत की जाएगी।

बेशक प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग BRICS की बैठक में शामिल हो रहे हैं। फिर भी दोनों देशों में बॉर्डर पर चल रहे तनाव के बीच ये नहीं माना जा सकता है वो आपस में कोई बैठक करेंगे।साउथ अफ्रीका में चीन के राजदूत चेन शियाओडांग ने कहा है कि मुझे भरोसा है कि दोनों राष्ट्रों के प्रमुखों की सीधी बातचीत और बैठक होगी। बहरहाल भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है।

भारत की विदेश नीति दुनिया पर किसी एक देश के दबदबे के खिलाफ है। भारत एक मल्टीपोलर दुनिया का समर्थन करता है। ऐसे में भारत के लिए BRICS जरूरी है। इसकी बड़ी वजह ये भी है कि इसके मंच से भारत पश्चिमी देशों के दबदबे के खिलाफ खुलकर बोल सकता है और उसे दूसरे सदस्य देशों का समर्थन मिलता है। इस संगठन से जुड़कर भारत कई बड़े संगठनों जैसे WTO,वर्ल्ड बैंक और IMF में विकसित देशों के दबदबे को खुलकर चुनौती देता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *