184 साल पुराना ब्रिटिशकालीन डाकघर बंद

देहरादून। ब्रिटिश शासनकाल में ‘पहाड़ों की रानी’ मसूरी में साल 1837 में स्थापित लंढौर डाकघर बंद कर दिया गया है। पिछले दो साल से डाक विभाग इसे बंद करने की कोशिश में लगा हुआ था। देश आजाद होने के बाद मनीआर्डर प्राप्त करने व भेजने का यह एकमात्र जरिया रहा। स्थानीय निवासी वर्तमान तक पार्सल, रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट व बैंकिंग की सुविधा के लिए इस डाकघर का उपयोग कर रहे थे।

सोमवार को 184 साल पुराने डाकघर में कामकाज बंद कर कुलड़ी स्थित मुख्य डाकघर में सामान की शिफ्टिंग शुरू कर दी गई। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस डाकघर को बंद करना उनकी भावनाओं को आहत करने जैसा है। लंढौर स्थित डाकघर का जिक्र प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक पद्म भूषण रस्किन बांड की कहानियों में भी हुआ है।

लंढौर में डाकघर की स्थापना मसूरी के संस्थापक कैप्टन फ्रेडरिक यंग ने की थी। शिक्षाविद एवं लेखक गणेश शैली बताते हैं कि मसूरी के सबसे पुराने लंढौर बाजार के मध्य बावड़ी के पास डाकघर की स्थापना वर्ष 1837 में हुई थी। अंग्रेजों ने लंढौर को सैन्य छावनी के रूप में स्थापित किया था। यहां ब्रिटिश आर्मी के अधिकारी रहा करते थे, लिहाजा उनकी सुविधा के लिए ही यहां डाकघर खोला गया।

लंढौर डाकघर ने बतौर मुख्य डाकघर साल 1909 तक सेवा दी। इसके बाद डाक विभाग ने मध्य कुलड़ी में नया मुख्य डाकघर बना दिया। गणेश शैली बताते हैं कि प्रसिद्ध शिकारी जिम कार्बेट के पिता क्रिस्टोफर विलियम कार्बेट ने डाकघर में बतौर पोस्ट मास्टर 1850 से 1863 तक सेवा दी थी।

184 साल पुराने लंढौर डाकघर के बाद अब मसूरी के लाइब्रेरी बाजार स्थित सेवाय होटल परिसर में भी साल 1902 में बनाया दूसरा डाकघर बंद करने की तैयारी हो रही है। डाक विभाग ने पिछले साल से ही 119 साल पुराने इस डाकघर को शिफ्ट करने की तैयारी शुरू कर दी थी।

इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बताया कि सेवाय में ऐतिहासिक डाकघर विदेशी व स्थानीय पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। सेवाय होटल देश के सबसे पुराने होटलों में से एक है। इसका इतिहास भी बेहद दिलचस्प रहा है। यहां प्रयोग होने वाली मोहर में आज भी ‘सेवाय मसूरी’ ही लिखा हुआ है।

लंढौर बाजार में स्थापित पोस्ट आफिस को हटाए जाने के विरोध में सोमवार को मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल के नेतृत्व में व्यापारी व क्षेत्रवासी पोस्ट आफिस के सामने सड़क पर धरने पर बैठ गए। यहां करीब एक घंटा धरना-प्रदर्शन चलता रहा। इससे सड़क पर यातायात भी अवरुद्ध हुआ।

प्रदर्शन के दौरान व्यापारियों और क्षेत्रवासियों ने केंद्र सरकार व डाक विभाग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए चेतावनी दी कि पोस्ट आफिस को हटाने नहीं दिया जाएगा। इसके विरोध में जन आंदोलन शुरू किया जाएगा। व्यापारियों ने कहा कि पहले लंढौर कैंटोनमेंट क्षेत्र में चार दुकान स्थित पोस्ट आफिस को गुपचुप तरीके से बंद किया गया और अब यह पोस्ट आफिस बंद किया जा रहा है। रजत अग्रवाल ने कहा कि एक ओर सरकार दूरदराज के इलाकों में डाकघर खोलकर सेवाएं देने की घोषणा करती है।

वहीं, 100 साल से अधिक समय से चल रहे डाकघर को बंद किया जा रहा है। धरना देने वालों में व्यापार संघ के महामंत्री जगजीत कुकरेजा, परमजीत कोहली, रवि गोयल, तनमीत खालसा, अनुराग अग्रवाल, मिथिलेश रस्तोगी, सनी मित्तल, राजकुमार, आनंद प्रकाश, सलीम अहमद, बलबीर सिंह रावत, सोनू वर्मा सहित दर्जनों लोग शामिल रहे।

मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल के अनुसार जिस मकान में डाकघर संचालित हो रहा था, उसके मालिक की डाक विभाग के साथ मुकदमेबाजी चल रही थी। मकान मालिक अपनी जमीन खाली कराने के लिए डाक विभाग के खिलाफ कोर्ट में गया था। डाक विभाग यह मुकदमा हार गया है।

कोर्ट के आदेश के अनुसार डाक विभाग को परिसर खाली करना है। रजत ने बताया कि डाक विभाग की वर्तमान पोस्ट आफिस से 100 मीटर की दूरी पर अपनी जमीन है, लेकिन वहां पर विभाग डाकघर नहीं बनाना चाहता है। वर्तमान डाकघर में लगभग नौ हजार खाताधारक हैं।

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