पिथौरागढ़ : सीमांत जिले पिथौरागढ़ में करीब 350 कुंतल शहद का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है। 800 परिवार शहद उत्पादन से जुड़े हैं। जिले की सरयू नदी घाटी, रामगंगा घाटी, गोरी नदी घाटी और काली नदी घाटी में शहद का उत्पादन हो रहा है, लेकिन अभी तक यह उद्यम पंरपरागत ढंग से ही चल रहा है। शहद उत्पादन व्यावसायिक तौर पर नहीं हो पाने के कारण अच्छी संभावनाओं के बावजूद यह स्वरोजगार का बड़ा माध्यम नहीं बन सका है।
उद्यान विभाग ने अब शहद उत्पादन के जरिए जिले में स्वरोजगार को बढ़ाने की कवायद शुरू की है। इसके लिए शहद उत्पादन वाले क्षेत्रों की प्रत्येक न्याय पंचायत से एक गांव को मधु ग्राम बनाने का निर्णय लिया गया है। जिले के पहले गांव के रू प में धारचूला तहसील के बलुवाकोट गांव का चयन किया गया है।
इस गांव के 500 परिवारों को विभाग मौन पालन बाक्स उपलब्ध कराएगा, साथ ही ग्रामीणों को मौन पालन की आधुनिक तकनीक से अवगत कराने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करेगा। उत्पादन शुरू होने के बाद ग्रामीणों को बाजार से भी जोड़ा जाएगा।
मधु ग्राम घोषित गांवों के अतिरिक्त अन्य गांवों में शहद उत्पादन का कारोबार करने वालों को भी उद्यान विभाग 40 प्रतिशत अनुदान पर मौन बाक्स उपलब्ध कराएगा। स्वरोजगार करने वालों को मौन पालन की आधारभूत जानकारी विभाग के माध्यम से दी जाएगी।
जिला उद्यान अधिकारी आरएस वर्मा ने बताया कि सीमांत जिले के गर्म घाटी वाले क्षेत्रों में शहद उत्पादन की अच्छी संभावनाएं हैं। उत्पादन को बढ़ाने के लिए उद्यान विभाग जुटा हुआ है। इसी क्रम में जिले में मधु ग्राम बनाए जा रहे हैं। इससे स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा।