चीन को चुनौती: भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का हिस्सा

न्यूयॉर्क:भारत के लिए साल 2021 की शुरुआत कई मायने में बेहद खास होने वाली है। 1 जनवरी से भारत एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का अस्थाई सदस्य बनने के लिए तैयार है। साल 2020 में जिस तरह भारत ने हिमालय पर चीन की चुनौती का सामना किया है, उसके मद्देनजर दुनियाभर की निगाहें भारत पर टिकी हैं। कई देशों को अपनी आक्रामकता से परेशान करने वाले चीन ने

UNSC में पाकिस्तान का साथ देते हुए कश्मीर का मुद्दा उठाने की कोशिश भी की थी। ऐसे में यह दो साल की सदस्यता भारत के लिए एक बड़ा मौका साबित हो सकती है।संयुक्त राष्ट्र में चीन ने अपनी स्थिति काफी मजबूत कर रखी है। न सिर्फ उसने बजट में योगदान बढ़ाया है बल्कि उसके कई संगठनों के उच्चपदों पर उसके अधिकारी भी पहुंच चुके हैं। ऐसे में भारत की UNSC सदस्यता का समय और भी अहम हो जाता है।

पड़ोसी के साथ-साथ मौजूदा वक्त में एक बड़ा खतरा बन चुके चीन का सामना करने के लिए भारत को बहुत सोच-समझकर इस मौके को भुनाना होगा। चीन के खिलाफ आर्थिक मोर्चे पर कड़े फैसले कर चुके भारत को यही रुख अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी दिखाना होगा।

परिषद से जुड़े फैसलों के केंद्र में भारत को अपने रणनीतिक और राजनीतिक हितों का ख्याल रखना होगा। चीन भारत के खिलाफ कश्मीर का मुद्दा उठाकर पाकिस्तान की मदद करने की कोशिश में रहा है लेकिन भारत उसके खिलाफ हॉन्ग-कॉन्ग और ताइवान को लेकर उसके तानाशाही कदमों पर निशाना भी साध सकता है। हालांकि, भारत अहम मुद्दों पर अपना वोट देने से बचता रहा लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि लंबे समय तक इस रणनीति का सहारा नहीं लिया जा सकेगा।

भारत की अस्थाई सदस्यता के कारण सीमा पार आतंकवाद, आतंकवाद को फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग, कश्मीर जैसे मुद्दों पर भारत की स्थिति मजबूत होगी। परिषद में भारत नॉर्वे, केन्या, आयरलैंड और मेक्सिको के अलावा पांच स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका और अस्थायी सदस्यों एस्तोनिया, नाइजर, सेंट विंसेंट, ट्यूनीशिया और वियतनाम के साथ बैठेगा। भारत अगस्त 2021 में 15 देशों वाली शक्तिशाली परिषद के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभाएगा। हर सदस्य देश बारी-बारी से एक माह के लिए परिषद की अध्यक्षता करता है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 प्रमुख हिस्सों में से एक है। इसका मुख्य कार्य दुनियाभर में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ में नए सदस्यों को जोड़ना और इसके चार्टर में बदलाव से जुड़ा काम भी सुरक्षा परिषद के काम का हिस्सा है।यह परिषद दुनियाभर के देशो में शांति मिशन भी भेजता है और अगर दुनिया के किसी हिस्से में मिलिट्री ऐक्शन की जरूरत होती है तो सुरक्षा परिषद रेजोल्यूशन के जरिए उसे लागू भी करता है।

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