ब्रिटेन :ब्रिटेन की सरकार चीनी कंपनी यूटॉन्ग की बनाई सैकड़ों इलेक्ट्रिक बसों की जांच कर रही है। ये बसें ब्रिटिश सड़कों पर चल रही हैं। सरकार को डर है कि चीन इन बसों को दूर से बंद या चालू कर सकता है। सीधा कहें तो ब्रिटेन को शक है कि चीन इन्हें कंट्रोल कर सकता है।
परिवहन विभाग और नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर मिलकर काम कर रहे हैं। वे देख रहे हैं कि क्या यूटॉन्ग कंपनी बसों के कंट्रोल सिस्टम तक पहुंच सकती है। ये पहुंच सॉफ्टवेयर अपडेट और डायग्नोसिस के लिए हो सकती है। जबकि दूसरी ओर, चीनी कंपनी ने खुद को पाक-साफ बताते हुए कहा कि कंपनी हर जगह नियमों की पालना करती है। जो भी डेटा लिया जाता है, वह केवल बस को फिट रखने के लिए चाहिए होता है।
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्वे में जांच से पता चला कि चीनी कंपनी यूटॉन्ग अपनी बसों को दूर से रोक सकती है या चलने लायक नहीं छोड़ती। डेनमार्क ने भी इसी वजह से अपनी जांच शुरू की। ब्रिटेन में यूटॉन्ग ने करीब 700 इलेक्ट्रिक बसें सप्लाई की हैं। कंपनी लंदन में डबल डेकर बसें लाने की कोशिश कर रही है।
ये बसें ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन के नियमों पर खरी उतरती हैं। परिवहन विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि हम इस मामले को देख रहे हैं। हम नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हम नॉर्वे और डेनमार्क के फैसलों के तकनीकी आधार को समझना चाहते हैं। सरकार सतर्क है ताकि कोई खतरा न हो।
डेनमार्क की जांच में पाया गया कि बसों में एक सीक्रेट सिम कार्ड लगा है, इसे निकालने से बस को दूर से कंट्रोल नहीं किया जा सकता। लेकिन ऐसा करने से बसें दूसरी जरूरी सिस्टम से कट जाएंगी। इसलिए ये तरीका नहीं अपनाया गया। डेनमार्क की सबसे बड़ी ट्रांसपोर्ट कंपनी मोविया भी जांच कर रही है।
यूटॉन्ग ने संडे टाइम्स को बयान दिया। कंपनी ने कहा कि वो हर जगह के कानून, नियम और इंडस्ट्री स्टैंडर्ड का पालन करती है। डेटा सिर्फ बसों की मेंटेनेंस, सुधार और बेहतरी के लिए इकट्ठा होता है। सारा डेटा एन्क्रिप्टेड है और कंट्रोल किया जाता है। बिना ग्राहक की इजाजत के कोई डेटा नहीं देख सकता। कंपनी यूरोपीय संघ के डेटा प्रोटेक्शन कानूनों का पूरा पालन करती है।

