मच्‍छरों का जानी दुश्‍मन !

उदय दिनमान डेस्कः गर्मी शुरू होने के बाद लोग तपन से इतना परेशान नहीं होते, जितना की मच्‍छरों से रहते हैं. गांव हो या शहर हर जगह मच्‍छरों ने आतंक काट रखा है. ऑल आउट, गुड नाइट से लेकर कॉइल और मच्‍छर मार अगरबत्तियां तक इनके आगे फेल हो गई हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी खुशबू मच्‍छरों के लिए दुश्‍मन की तरह है. जबकि अगर इस पौधे की पत्तियों को घरों में बच्‍चे गलती से खा भी लेते हैं तो नुकसान के बजाय फायदा होता है.

आयुर्वेदिक एक्‍सपर्ट कहते हैं कि जिन घरों में यह पौधा उगा होता है, वहां मच्‍छर नहीं फटकते. इसकी गंध से ही मच्‍छर दूर भागते हैं. यह प्राकृतिक मॉस्‍कीटो रेपलेंट है. इस पौधे को घर में लगाना भी इतना आसान है जैसे आप घर में तुलसी का पौधा लगाते हैं.

ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के द्रव्‍यगुण विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक देखने में तुलसी जैसा लगने वाला मरुआ का पौधा बेस्‍ट मॉस्‍कीटो रेपलेंट है. यह पूरे भारत में उगाया जाता है. आमतौर पर लोग किचन गार्डन में इसे उगाते हैं. अगर आपने अपने घर में एक भी यह पुदीने के परिवार का पौधा है और अगर एक भी मरुआ का पौधा आपके घर में है तो इसकी तेज महक बनी रहती है.

इसकी महक की वजह से मच्‍छर ही नहीं अन्‍य कीड़े मकोड़े भी आसपास नहीं रहते. इसलिए आयुर्वेद भी इस पौधे की हिमायत करता है. यह पौधा मच्‍छरों को भगाने के लिए रामबाण है इसलिए अपने घर के कुछ गमलों में इस पौधे को जरूर लगाएं. इससे न केवल आसपास रखे पौधों की भी कीट-पतंगों से रक्षा होगी, बल्कि मच्‍छर नहीं पनपेंगे और न ही घर में मच्‍छर रहेंगे.

चूंकि इस पौधे की गंध से मच्‍छर भाग जाते हैं ऐसे में सवाल है कि अगर बच्‍चे इसकी पत्तियां तोड़कर खा लें तो नुकसान होगा? बता दें कि यह पौधा बहुत फायदेमंद है. इसे मसाले के रूप में पहचान मिली हुई है. यह भोजन में स्‍वाद के अलावा कई बीमारियों को भी ठीक करता है. अगर बच्‍चे इसकी पत्तियां खा लेते हैं तो यह पेट के कीड़े मारने में कारगर है.

भूख बढ़ाता है और रक्‍त का शोधन भी करता है. इस पौधे में तमाम न्‍यूट्रीएंट्स के अलावा एंटी ऑक्‍सीडेंट्स भी होते हैं. इसे खाने के कोई साइड इफैक्‍ट नहीं हैं. ऐसे में इसे चटनी, सलाद, सब्‍जी आदि में डालकर भी खा सकते हैं. हालांकि इसकी ज्‍यादा मात्रा जायका बिगाड़ भी सकती है.

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