बिजली उपभोक्ताओं को लगेगा झटका !

देहरादून: उत्तराखंड में गत एक अप्रैल को ही नई बिजली दरें लागू हुई थीं। इसके बाद देशभर में गहराए बिजली संकट, बाजार में बिजली की कमी से ऊर्जा निगम का आर्थिक गणित गड़बड़ा गया। ऊर्जा निगम ने इसी को बिजली दरें बढ़ाने का आधार बनाया है। ऊर्जा निगम मैनेजमेंट का तर्क है कि उसे अप्रैल में ही बाजार से 386 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बिजली खरीदनी पड़ी।

साथ ही प्रतिमाह 500 करोड़ रुपये की बिजली नियमित रूप से एनएचपीसी, एनटीपीसी और यूजेवीएनएल से खरीदनी पड़ती है। निगम का कहना है कि इस समय उसे गैस प्लांट से सस्ती मिलने वाली 7.5 एमयू बिजली भी नहीं मिल रही है। गैस प्लांट से छह रुपये प्रति यूनिट के रेट से बिजली मिलती थी। इस कमी को दूर करने के लिए निगम को बाजार से 12 रुपये प्रति यूनिट के ज्यादा की दर पर खरीदनी पड़ रही है।

इससे यूपीसीएल पर मार्च, अप्रैल व मौजूदा मई महीने में 600 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय भार बढ़ गया है। इसके आगे और बढ़ने की संभावना है। इसी वित्तीय भार को वहन करने के लिए बिजली दरों में साढ़े 12 प्रतिशत की वृद्धि करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने इसकी पुष्टि की।

कांग्रेस ने बिजली की दरें बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध किया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने बुधवार को कहा कि देश में महंगाई लगातार बढ़ रही है। जनता दोहरी मार झेलने को मजबूर है। जनता डीजल, पेट्रोल, घरेलू रसोई गैस के बढ़ते दामों से पहले ही परेशान है, ऐसे में बिजली के दाम में बढ़ोतरी का प्रस्ताव जले पर नमक छिड़कने जैसा है।

उन्होंने कहा कि सरकार लगातार जनता की जेब पर डाका डाल रही है। बिजली की दरों में 12.5% की भारी वृद्धि के प्रस्ताव से सरकार को जनता को महंगाई के बोझ से कुचल देना चाहती है। माहरा ने कहा कि कांग्रेस इसका विरोध करेगी। यदि बिजली महंंगी की गई तो कांग्रेस सड़कों पर उतर विरोध करेगी।

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