शिवालयों में उमड़ा आस्था का सैलाब

हरिद्वार।महाशिव रात्रि के पर्व पर धर्मनगरी के शिवालय भोले भंडारी के जयकारों से गूंज उठे। श्रद्धालुओं ने शिवालयों में जलाभिषेक कर शिव शंकर का आशीष लिया।

मठ-मंदिरों और हरिहर आश्रम स्थित रूद्राक्ष के वृक्ष की परिक्रमा की। महाशिवरात्रि को भी गंगाजल लेकर कांवड़ियों के जाने का क्रम बना रहा, हालांकि यह सोमवार की अपेक्षा कम रहा। पर, बुधवार को भी जलाभिषेक का मुहूर्त होने के कारण गंगाजल लेने आने और जाने वालों का क्रम जारी रहा।
मंगलवार को हरिद्वार के आस-पास के इलाकों से गंगाजल लेने को कांवड़ यात्रियों के आने का भी क्रम बना रहा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार बुधवार शाम तक जलाभिषेक का क्रम जारी रहेगा।

मंगलवार रात से ही शिवालयों में जलाभिषेक का सिलसिला शुरू हो गया था, प्रथम पहर होते-होते इसमें तेजी आ गई। भोर के बाद जैसे-जैसे दिन चढ़ा, भीड़ बढ़ती ही गई। पुलिस ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए थे। फलाहारी/निराहारी व्रत धारण कर श्रद्धालु शिवालयों में पहुंचे।सुबह नौ बजे तक तो शिवालयों में भारी भीड़ उमड़ चुकी है और जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं। कतारों में खड़े होकर श्रद्धालुओं को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा।

दिन भर शिवालयों में श्रद्धालुओं के आने और जाने का क्रम जारी रहा। शिवालयों का नजारा एकदम जुदा नजर आया है। शिवालयों में जलाभिषेक का क्रम चलता रहा तो कतारों में खड़े श्रद्धालुओं के हाथों में गंगाजल से भरे पात्र (बर्तनों) का नजारा भी अद्भुत था।ज्यादातर महिलाओं ने सिरों में ही गंगाजल से भरा पात्र को सिर पर रखा हुआ था। शिवालयों में माथा टेकर कर श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक कर मनौतियां मांगी।

इसके चलते दक्षेश्वर मंदिर, नीलेश्‍वर महादेव मंदिर, तिलभांडेर्श्वर महादेव मंदिर, बिल्केर्श्वर महादेव मंदिर समेत शहर के समस्त शिवालयों में श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया।मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण की भी व्यवस्था की गई थी। रात को समय घर-घर भगवान शिव शंकर की पूजा-अर्चना करने के बाद श्रद्धालुओं ने व्रत का पारण करेंगे।

इसके अलावा लक्सर, बहादराबाद, लालढांग, धनौरी, सुल्तानपुर, कांगड़ी, श्यामपुर समेत अन्य जगहों पर भी महाशिव रात्रि पर शिवालयों में जलाभिषेक किया गया।ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शर्मा शास्त्री ने बताया कि बुधवार रात पौने नौ बजे तक श्रावण मास की चतुदर्शी काल रहने के चलते शिवालयों में भगवान शिव के जलाभिषेक का क्रम चलता रहेगा।

इसलिए नजदीकी क्षेत्रों से कांवड़ यात्रियों के आने का क्रम भी इस दौरान बना रहेगा। उन्होंने बताया कि श्रावण मास की महाशिवरात्रि को शिव का जलाभिषेक शुद्ध जल से किया जाना अतिशुभकारी और लाभकारी है।

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