शनि जयंती और सोमवती अमावस्या पर बन रहा महासंयोग

हरिद्वार: ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या बड़ी अमावस्या के रूप में जानी जाती है। 12 माह में आने वाली जेठी अमावस्या बड़ी अमावस्या इसलिए भी कही गई है, क्योंकि यह माह 12 माह में बड़ा माह कहलाता है, इसलिए इसका नाम ज्येष्ठ माह है। इस बार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 30 मई सोमवार के दिन कृतिका उपरांत रोहिणी नक्षत्र सुकर्मा योग नाग करण वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है।

इस बार 30 मई को शनि जयंती और सोमवती अमावस्या के महासंयोग के साथ दो खास योग भी बन रहे हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर दान पुण्य करने से पुण्य फल प्राप्त होता हैं। सोमवार को लगने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इसका धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है।

माना जाता है कि अमावस्या के दिन व्रत पूजन और पितरों को जल तिल देने से बहुत पुण्य मिलता है। भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी के प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार भारतीय ज्योतिष शास्त्र में योग नक्षत्र दिवस करण आदि के आधार पर वार त्योहार का महत्व बताया जाता है,

अमावस्या तिथि विशिष्ट तिथियों की श्रेणी में आती है, वहीं स्थिति के साथ लगने वाला दिवस इसके महत्व को बढ़ाता है। यदि सोमवार या शनिवार के दिन होती है तो उस तिथि का महत्व बढ़ जाता है और चंद्र की प्रधानता हो जाती है, इस बार सोमवार के दिन अमावस्या होने से यह सोमवती अमावस्या कहलाएगी।

इस दृष्टि से चंद्र बुध आदित्य योग बन रहा है चंद्र और सूर्य का साथ में होना पितरों की उन्नति के मार्ग में अनुकूलता प्रदान करता है।इस दृष्टि से इस दिन पितरों के निमित्त किया गया देव ऋषि पितृ तर्पण तीर्थ श्राद्ध पिंडदान आदि विशेष महत्वपूर्ण होकर श्राद्ध कर्ता का उत्थान करते हैं।

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