नई दिल्ली: नवरात्रि का पावन त्योहार आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साल भर में कुल चार नवरात्रि आते हैं। जिसमें से दो चैत्र व शारदीय और दो गुप्त नवरात्रि होती हैं। आषाढ़ मास में पड़ने वाले नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धुम्रावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है। इस साल गुप्त नवरात्रि बेहद शुभ संयोग में शुरू हो रहे हैं। गुप्त नवरात्रि के पहले दिन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति इस दिन का महत्व बढ़ा रही हैं।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2022 के पहले दिन यानी 30 जून को गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, आडल योग और विडाल योग बन रहे हैं। इस दिन ध्रुव योग सुबह 09 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। पुनर्वसु नक्षत्र 01:07 ए एम, जुलाई 01 तक रहेगा। इसके अलावा पुष्य नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इन सभी योगों को शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना गया है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की घटस्थापना 30 जून 2022, गुरुवार को होगी। गुप्त नवरात्रि प्रतिपदा तिथि 29 जून को सुबह 08 बजकर 21 मिनट से 30 जून को सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। घटस्थापना मुहूर्त सुबह 05 बजकर 26 मिनट से सुबह 06 बजकर 43 मिनट है।
मां दुर्गा की गुप्त नवरात्रि में ऐसे करें पूजा-
स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।
ऊपर बताई गई पूजा सामग्री को एकत्रित करें।
पूजा का थाल सजाएं।
मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें।
मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है।
सरसों के तेल से दीपक जलाकर ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें।
आखिरी दिन दुर्गा के पूजा के बाद घट विसर्जन करें।