कांवड़ियों का उमड़ा सैलाब

हरिद्वार: हरिद्वार में लगातार दूसरे दिन भी डाक कांवड़ का सैलाब उमड़ने से हरिद्वार-ऋषिकेश हाईवे पर कई घंटों तक जाम लगा रहा। ग्रीन कॉरिडोर से लेकर हाईवे की दूसरी लेन डाक कांवड़ वाहन से पूरी तरह से पैक रही। कांवड़ियों की भीड़ के चलते फोरलेन भी छोटा कम पड़ गया।

आलम यह रहा कि कई घंटे तक डाक कांवड़ के वाहन एक किलोमीटर की दूरी भी नहीं तय कर सके। पुलिस फोर्स के भी दिन भर हाथ पांव फूलते रहे। देहरादून-ऋषिकेश पहुंचने में कई घंटे जाम से होकर गुजरना पड़ा। इधर, हिल बाईपास मार्ग से आवाजाही होने के चलते मनसा देवी पैदल मार्ग के पास जाम की स्थिति दिन भर बनी रही।

बड़ी संख्या में डाक कांवड़ वाहन कुंभनगरी में दस्तक दे रहे हैं और हरकी पैड़ी से लेकर नीलकंठ दर्शन के लिए रवाना हो रहे हैं। शनिवार को भी शंकराचार्य चौक से लेकर मोतीचूर तक जाम की स्थिति बनी हुई थी। एक किलोमीटर का सफर कई घंटे में तय हो रहा था, यही स्थिति रविवार को भी बनी रही। ग्रीन कॉरिडोर पर भी जाम लगा रहा, यहां भी डाक कांवड़ वाहन हिल नहीं पा रहे थे।

इधर, दूसरी लेन पर भी कांवड़ वाहन का पूरी तरह से कब्जा बना हुआ था। दिन भर जाम की स्थिति बनी रही।डाक कांवड़ वाहन के अलावा दोपहिया वाहन की संख्या बेहिसाब रही, जो लगातार बढ़ती ही जा रही थी। देहरादून-ऋषिकेश जाने के लिए कई घंटे लगे। आमजन ने तो हाईवे का रुख ही नहीं किया।

शंकराचार्य चौक से पहले आयरिस पुल के आस पास जाम का केंद्र बिंदू देखने को मिला। इसकी वजह बैरागी कैंप से कांवड़ वाहन की निकासी होना रहा, चंद मिनट के लिए डाक कांवड़ वाहन के पहिए ठिठकने के चलते हाईवे से लेकर बैरागी कैंप में जाम लगता चला गया, जो फिर दिन भर नहीं खुल सका।

डाक कांवड़ वाहन से ठसाठस भरे हाईवे पर व्यवस्था संभालने के बजाय पुलिसकर्मी एक स्थान पर खड़े होकर डयूटी करते रहे, क्योंकि पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी व्यवस्था को संभालना उनके बूते की बात भी नहीं थी। दावा गलत साबित हुआ : पुलिस अफसरों ने दावा किया था कि फोरलेन होने पर कांवड़ यात्रा बेहद ही आसानी से संपन्न करा ली जाएगी, पर हुआ एकदम उलट। दो दिन से शंकराचार्य चौक से लेकर मोतीचूर तक जाम का झाम लगातार बना हुआ है।

डाक कांवड़ के भारी तादाद में पहुंचने के साथ अब गंगा जल लेने बाइकर्स का सैलाब धर्मनगरी में उमड़ पड़ा। मंगलवार को शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक होना है। शहर में डाक कांवड़ की धूम है। अंतिम दो दिनों में बड़ी संख्या में दोपहिया वाहन पर भी सवार होकर कांवड़िए गंगा जल लेने पहुंचते हैं।

रविवार को हाईवे से होते हुए दोपहिया वाहन सवार कांवड़ियों का सैलाब शहर में घुस आया। जगह-जगह गली मोहल्लों में बाइकर्स तेज रफ्तार में अपने वाहन दौड़ाते रहे। बिना साइलेंसर के दौड़ रहे इन दोपहिया वाहन के शोर से आमशहरी परेशान होते रहे। बाइकर्स के शहर के अंदर घुस आने से आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ा।

शहर के अंदर घुसे बाइकर्स को यह तक नहीं पता था कि उन्हें जाना किस तरफ है। हाईवे से सटी सड़क के खाली दिखाई देने पर वह उसी तरफ वाहन दौड़ा देते। ज्वालापुर के पुल जटवाड़ा, सिंहद्वार चौक, प्रेमनगर आश्रम चौक और लक्सर मार्ग से होते हुए शहर के अंदर पहुंचते रहे।

कांवड़ मेले का स्वरूप दस सालों में बेहद बदल गया है। इन दस सालों में जहां कांवड़ मेले में भीड़ तो बढ़ी ही है, साथ ही मेला क्षेत्र का आकार भी बढ़ गया है। 2012 तक कांवड़ मेला उत्तरी हरिद्वार तक फैला था, जो आज पूरे हरिद्वार क्षेत्र में फैल गया है। ग्रामीणों क्षेत्रों तक कांवड़ मेला फैल गया है।

कांवड़ पटरी और बैरागी कैंप की पार्किंग चलने के कारण ही मेला पूरे शहर में बढ़ता चला गया। पुलिस की तैयारियां भी पहले ऋषिकुल से लेकर सप्तऋषि तक की होती थी, लेकिन अब पूरे जिलेभर के अलावा बहादराबाद से लेकर हरिद्वार तक तैयारियां की जाती है। 1775 फीसदी कांवड़ की दुकानें पिछले 50 सालों में बढ़ गई हैं।

2010 तक 250 दुकानें ही कांवड़ बाजार में सजती थी, जो अब 750 हो गई है। इसके अलावा बाजारों की दुकानें अलग है, जो पूरे साल लगी रहती है। 2012 तक कांवड़ मेला, पंतद्वीप, चमगादड़ टापू, रोडीबेलवाला में ही भरता था, लेकिन अब बैरागी, चंडी द्वीप, दक्ष द्वीप, नील धारा में भी मेले की भीड़ उमड़ रही है।

कांवड़ का काम करने वाले ज्वालापुर निवासी सिकंदर और नईम ने बताया कि आज से 50 साल पहले सिर्फ 40 ही दुकानें शहर कोतवाली के पास कांवड़ की लगती थी। अब तो अलग से दो बाजार लगते हैं। दुकानों की संख्या और कांवड़ियों की भीड़ में इजाफा हुआ है।

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