मोदी और राम लहर !

लखनऊ :उत्तर प्रदेश में प्रत्याशियों की पहली सूची में भाजपा ने राम लहर और मोदी की गारंटी के बूते आत्मविश्वास से लबरेज होने का संदेश दे दिया है। पार्टी ने 51 प्रत्याशियों में 44 मौजूदा सांसदों को टिकट देकर यह भी संदेश देने की कोशिश की है कि मोदी सरकार के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है।

करीब एक वर्ष पहले भाजपा ने जब लोकसभा चुनाव के लिए पहले दौर का सर्वे शुरू कराया था, तब सर्वे में पार्टी के 30-40 फीसदी मौजूदा सांसदों की रिपोर्ट नकारात्मक आई थी। सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद चुनाव में बड़ी संख्या में सांसदों के टिकट कटने की आशंका जताई जा रही थी। यही नहीं, केंद्रीय नेतृत्व की ओर से कराए गए सर्वे में भी सांसदों की जमीनी रिपोर्ट ज्यादा अच्छी नहीं थी।

उसके बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित पांच राज्यों के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मोदी की गारंटी’ का नारा दिया। राशन से लेकर आवास, सड़क से सुरक्षा और रोजगार से इलाज तक मोदी की गारंटी के नाम पर उत्तर से दक्षिण तक और पूरब से पश्चिम तक युवाओं, महिलाओं, किसानों और गरीबों को साधने का अभियान शुरू हुआ।

22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पूरे देश में चली राम लहर चली। उत्तर प्रदेश में तो खासतौर पर भाजपा के पक्ष में माहौल बनना शुरू हुआ। उधर, आरएसएस, भाजपा और संघ के सभी अनुषांगिक संगठनों ने भी इस लहर को चुनाव तक बनाए रखने की योजना पर काम शुरू किया।

पार्टी को तीसरे दौर के सर्वे में मोदी की गारंटी और राम लहर का घर-घर तक आभास हो गया। इसी के बूते पार्टी ने 51 में से 44 मौजूदा सांसदों को प्रत्याशी बनाने और हारी हुई चार सीटों में से तीन पर हारे हुए चेहरों पर ही दांव खेलने का जोखिम उठाया है।

पार्टी ने विपक्षी दलों को संदेश देने की कोशिश की है कि विकास और विरासत को सम्मान के दम पर वह यूपी में फिर एक बार बड़ी जीत हासिल करेगी। जानकार बताते हैं कि जिन 44 सांसदों को फिर से टिकट दिया गया है , उनमें मुजफ्फरनगर, चंदौली, कन्नौज जैसी सीटें भी हैं। जहां 2019 में जीत का अंतर 6 से 15 हजार के बीच ही रहा था।

भाजपा ने मोदी सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों का बड़ा वोट बैंक तैयार किया है। पहली सूची में अगड़े, पिछड़े और दलितों की सभी प्रमुख जातियों को प्रतिनिधित्व देकर सामाजिक संतुलन भी बनाया है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले सुभासपा और रालोद से भी गठबंधन कर लिया है।

बसपा सुप्रीमो मायावती लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं। 2019 में सपा और बसपा के मजबूत गठबंधन के बावजूद भाजपा ने 49.9 फीसदी वोट हासिल कर 80 में से 64 सीटें जीती थी। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि त्रिकोणीय मुकाबले में वह मौके का फायदा उठा लेगी।

लखीमपुर खीरी से सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी की स्थानीय किसान संगठन लगातार खिलाफत कर रहे थे। पार्टी ने तमाम विरोध के बाद टेनी को टिकट देकर स्पष्ट कर दिया है कि उनके लिए जिताऊ और काडर सबसे महत्वपूर्ण है।

गौतमबुद्धनगर में मौजूदा सांसद डॉ. महेश शर्मा का गत वर्ष त्यागी समाज ने पुरजोर विरोध किया था। पार्टी ने उन्हें लगातार तीसरी बार प्रत्याशी बनाकर ना केवल क्लीन चिट दी है, बल्कि सरकार और संगठन की ताकत के बूते मुकाबले का भी संदेश दिया है।

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