उदय दिनमान डेस्कः : माथे पर चंदन, हाथों में डमरू, बम-बम भोले के जयघोष, भक्ति गीतों पर झूमते श्रद्धालु…। यह नजारा शिव मंदिरों में रविवार शाम से नजर आने लगा। राजेश्वर महादेव मंदिर रात्रि 12:05 बजे से श्रद्धालुओं के लिए पट खोल दिए गए। वहीं बल्केश्वर, रावली, कैलाश, मन:कामेश्वर, पृथ्वीनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी।
सोमवार को लाखों की संख्या में भक्तों के अभिषेक के लिए पहुंचने का अनुमान है। पहले सोमवार को देखते हुए हर मंदिर पर मेले जैसा नजारा है। मंदिरों के बाहर दुकानें सज गई। वहीं पूजा के सामान की बिक्री भी बड़ी संख्या में हुई।
महंत कपिल नागर ने बताया कि पहले सोमवार पर भोले बाबा का दूध, दही से अभिषेक किया जाएगा। सुबह 8 बजे से 10 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए जलधारी प्रारंभ हो जाएगी। सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक महंत अभिषेक करेंगे। इस दाैरान जनता को रोक दिया जाएगा।
दोपहर 1 बजे तक आरती कर बाबा के शयन के लिए पट बंद हो जाएंगे। 56 भोग के साथ बाबा को फूल बंगले के साथ सजाया जाएगा। शाम को 5 बजे से रात 11 बजे तक भक्तों के दर्शन के लिए कपाट खोले जाएंगे। श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए प्रशासन और मंदिर कमेटी की तरफ से पूरी तैयारी कर ली है।
बाबा कैलाश नाथ महादेव मंदिर महंत भरत गिरि ने बताया कि तड़के रुद्राभिषेक के बाद बाबा को पंच स्नान कराया जाएगा। उसके बाद आरती होगी। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा और सुविधा के प्रशासन की तरफ से पूरे इंतजाम कर लिए गए हैं।
बाबा पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर महंत अजय राजौरिया ने बताया कि मंगला आरती के बाद श्रद्धालुओं के लिए बाबा के दर्शन प्रारंभ हो जाएंगे। दिन में पांच बार आरती की जाएगी। दोपहर में 2 बजे से 4 बजे तक बाबा के शयन के लिए कपाट बंद हो जाएंगे। दोपहर 4 बजे आरती के साथ मंदिर के कपाट खोले जाएंगे जो रात 9 बजे शयन आरती के बाद बंद कर दिए जाएंगे।
प्राचीन राजेश्वर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष डीके वशिष्ठ ने बताया कि आगरा मंडल में यह सिर्फ एक ही शिवजी की पिंडी है जो सफेद रंग में है। यह दिन में तीन बार रंग बदलती है। सुबह यह सफेद रंग में दिखती है, दोपहर होते-होते हरा रंग देखने को मिलता है। शाम को हल्के नीले रंग में दिखने लगती है।
उन्होंने बताया कि पूरे उत्तर प्रदेश में राम मंदिर को छोड़कर यह इकलौता 101 फीट ऊंचा शिवजी का मंदिर है। रात्रि में ही अभिषेक के लिए लाइन लग गईं। किसी को असुविधा न हो, उसको देखते हुए विशेष इंतजाम किए गए। पुलिस के साथ ही मंदिर के सेवकों को भी लगाया गया था।
फूल, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगाजल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री।
सावन सोमवार के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें। साथ ही देवी पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं। इसके बाद पंचामृत से रुद्राभिषेक करें और बेलपत्र अर्पित करें। शिवलिंग पर धतूरा, भांग, आलू, चंदन, चावल चढ़ाएं।
इसके बाद शिव जी के साथ माता पार्वती और गणेश जी को तिलक लगाएं। प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी और शक्कर का भोग लगाएं। अंत में धूप, दीप से भगवान भोलेनाथ की आरती करें और पूरे दिन फलाहार हर कर शिव जी का स्मरण करते रहें।