देहरादून। साहसिक पर्यटन के लिए उत्तराखंड एक बेहतर डेस्टिनेशन है। फिर चाहे वह विश्व प्रसिद्ध हिम क्रीड़ा केंद्र औली की ढलानों पर स्कीइंग की बात हो अथवा दूसरे क्षेत्रों में पैराग्लाइडिंग, बंजी जंपिंग समेत साहसिक पर्यटन से जुड़ी अन्य गतिविधियां। अब इसमें एक नया नाम एंगलिंग का भी जुड़ गया है।
हाल में नयारघाटी में हुए साहसिक पर्यटन महोत्सव ने एंगलिंग के क्षेत्र में नई उम्मीद जगाई हैं। इसके तहत न तो यहां के पर्यावरण पर कोई असर पड़ेगा और न मछलियों को कोई नुकसान ही। पकड़ी गई मछलियों को तुरंत संबंधित नदी अथवा जलाशय में छोड़ देना है।
गंगा-यमुना जैसी नदियों के उद्गम स्थल के उत्तराखंड की नदियों और जलाशयों में मछलियों का अनूठा संसार बसता है। यह अब पर्यटकों के आकर्षण का नया केंद्र बनने जा रहा है। साहसिक खेलों के शौकीन सैलानी अब इन नदियों और जलाशयों में एंगलिंग कर सकेंगे। हाल में नयारघाटी में हुए महोत्सव के दौरान बड़ी संख्या में देश के विभिन्न क्षेत्रों के सैलानियों ने एंगलिंग का लुत्फ उठाया था।
इसे देखते हुए सरकार अब एंगलिंग को पर्यटन के नए क्षेत्र के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इसी कड़ी में आरक्षित वन क्षेत्रों में बहने वाली नदियों में एंगलिंग की इजाजत देने प्रारंभ कर दी गई है। आरक्षित वन क्षेत्रों में एंगलिंग की अनुमति मिलने पर सैलानी वहां के प्राकृतिक नजारों और वन्यजीवन का लुत्फ उठाने के साथ ही एंगलिंग का आनंद भी उठा सकेंगे। यही नहीं, एंगलिंग के लिए आने वाले सैलानियों को गाइड, सहायक आदि की जरूरत भी पड़ेगी।
जाहिर है कि इसके लिए स्थानीय युवा आगे आएंगे और उनके लिए गांवों के पास ही रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। यही नहीं, सैलानी जब दूरदराज के क्षेत्रों में एंगलिंग के लिए जाएंगे तो होम स्टे में ठहरने का विकल्प उनके सामने सबसे बेहतर होगा।
यानी, एंगलिंग पर्यटन से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिकी को भी काफी हद तक संबल मिलेगा। राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार उत्तराखंड सरकार ने एंगलिंग के शौकीनों की लंबे समय से चली आ रही एंगलिंग की अनुमति देने की मुराद पूरी कर दी है। इससे राज्य में पर्यटन को बढ़ावा तो मिलेगा ही, आजीविका के साधन भी विकसित होंगे।