मॉस्को : रूस ने यूक्रेनी अनाज के काले सागर में सुरक्षित निर्यात की मंजूरी देने वाले ‘काला सागर अनाज समझौते’ से खुद को अलग कर लिया है। इससे अनाज की कीमतों में होने वाली बढ़ोतरी ‘संभावित रूप से लाखों लोगों के लिए भुखमरी और इससे भी बदतर स्थिति पैदा कर सकती है।’
संयुक्त राष्ट्र के सहायता प्रमुख ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद को इस खतरे से आगाह किया। रूस ने सोमवार को यह कहते हुए काला सागर अनाज समझौता छोड़ दिया कि उसकी खाद्य और उर्वरक निर्यात में सुधार की मांगें पूरी नहीं हुईं। रूस ने आरोप लगाया कि पर्याप्त यूक्रेनी अनाज गरीब देशों तक नहीं पहुंचा है।
मार्टिन ग्रिफिथ्स ने 15 सदस्यीय निकाय को बताया, ‘ऊंची कीमतों को विकासशील देशों के परिवार सबसे अधिक तीव्रता से महसूस करेंगे।’ उन्होंने कहा कि वर्तमान में 69 देशों में लगभग 36.2 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है।
ग्रिफिथ्स ने कहा, ‘इस फैसले से कुछ लोग भूखे रह जाएंगे, कुछ भूख से मर जाएंगे और कई लोगों की मौत हो सकती है।’ संयुक्त राष्ट्र ने तर्क दिया कि काला सागर समझौते से विश्व स्तर पर खाद्य पदार्थों की कीमतों में 23 फीसदी से अधिक की कमी करके गरीब देशों को लाभ हुआ है।
यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने अफगानिस्तान, जिबूती इथियोपिया, केन्या, सोमालिया, सूडान और यमन में भी लगभग 725,000 मीट्रिक टन यूक्रेन अनाज भेजा है। लेकिन अर्थशास्त्री मिखाइल खान, जिनसे रूस ने सुरक्षा परिषद को जानकारी देने के लिए कहा था, ने कहा कि सबसे गरीब देशों को केवल 3 प्रतिशत अनाज मिला है।
रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई वर्शिनिन ने शुक्रवार को मॉस्को में कहा, ‘समझौते से बाहर निकलने के बाद रूस सबसे अधिक जरूरतमंद देशों को अनाज के निर्यात पर बातचीत कर रहा है, लेकिन अभी तक किसी कॉन्ट्रैक्ट पर साइन नहीं किया है।’
वैश्विक खाद्य संकट को टालने और यूक्रेन से अनाज के निर्यात की मंजूरी को लेकर रूस को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने ही सहयोगी चीन और विकासशील देशों के साथ ही पश्चिमी देशों के दबाव का भी सामना करना पड़ा। रूस की ओर से काला सागर के एक बड़े हिस्से को नौवहन के लिए खतरनाक घोषित किए जाने के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी कि समुद्र में किसी सैन्य कार्रवाई के ‘विनाशकारी प्रभाव’ हो सकते हैं।