जोशीमठ: विश्व धरोहर फूलों की घाटी इस बार पूरे सबाब पर है। यहां रंग-बिरंगे फूलों की क्यारियों को निहारने के लिए देशी-विदेशी पर्यटकों का तांता लगा हुआ है। कोरोना संक्रमण के बावजूद इस साल रिकार्ड संख्या में पर्यटक घाटी के दीदार को पहुंच रहे हैं। इससे घाटी में दो साल से ठप पड़े पर्यटन कारोबार को भी पंख लग गए हैं।
समुद्रतल से 12995 फीट की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी इस बार एक माह के विलंब से एक जुलाई को पर्यटकों के लिए खोली गई थी। तब से लेकर अब तक 10400 पर्यटक यहां सैर करने पहुंच चुके हैं। इससे नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन को भी अब तक 18 लाख रुपये से अधिक की आय हो हुई है। बीते वर्ष महज 952 पर्यटक ही घाटी के दीदार को पहुंचे थे।
फूलों की घाटी के वन क्षेत्राधिकारी बृजमोहन भारती ने बताया कि इस साल अभी भी सैकड़ों प्रजाति के फूल घाटी में मुस्कान बिखेर रहे हैं। बताया कि जिस हिसाब से पर्यटक घाटी की सैर को पहुंच रहे हैं, उससे पर्यटन व्यवसायियों के चेहरे भी खिले हुए हैं। अभी 31 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी।
फूलों की घाटी की बात करें तो समुद्रतल से 12500 फीट की ऊंचाई पर 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है। फूलों की घाटी के वन क्षेत्राधिकारी बृजमोहन भारती के मुताबिक फूलों की घाटी के लंबे-चौड़े क्षेत्र में ब्लू पॉपी अपनी दस्तक दे चुका है।
इस घाटी को वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने के बाद यूनेस्को ने 2005 में इसे विश्व प्राकृतिक धरोहर का दर्जा दिया। फूलों की घाटी जैव विविधिता का खजाना है। इस घाटी में दुनिया के दुर्लभ प्रजाति के फूल, वन्य जीव-जंतु, जड़ी-बूटियां और पक्षी पाए जाते हैं। यहां पर प्राकृतिक रूप से 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं।