जोशीमठ : आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली जोशीमठ में आई आपदा से लोग गमजदा हैं। प्रशासन असुरक्षित घरों से लोगों को राहत शिविरों में पहुंचा रहा है। पुरखों की ओर से बनाए और अपनी जमा पूंजी लगाकर खड़े किए सपनों के घरों को छोड़ते समय लोग भावुक हो रहे हैं।
भारी मन से घर का सामान कंधे पर रखकर लोग शिविरों की ओर रुख कर रहे हैं। लोगों के मन में यह सवाल कौंद रहा है कि आखिर हमको किस गुनाह की सजा मिल रही है।
भू-धंसाव से नगर के सैकड़ों मकानों में दरारें आने से वे असुरक्षित घोषित कर दिए गए हैं। लोग घरों में बने मंदिरों को भी अपने साथ शिफ्ट कर रहे हैं, लेकिन मनोहर बाग वार्ड में कुल देवी अपने मूल स्थान से शिफ्ट होने को तैयार नहीं हैं। यहां रहने वाले चंद्र बल्लभ पांडे के घर में बने कुलदेवी के मंदिर में भी बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं।
चंद्र बल्लभ ने मकान छोड़ दिया है वे प्रशासन के राहत शिविर में चले गए हैं। वह हर दिन मंदिर में पूजा करने आते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने मंदिर से देवी को भी शिफ्ट करने की कोशिश की लेकिन देवी अपने मूल स्थान को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।
वह कई बार कोशिश कर चुके हैं। जैसे ही वे मंदिर से मूर्ति को उठाने का प्रयास करते हैं देवी उन्हें धक्का दे देती हैं। इसलिए वह हर दिन यहां पूजा करने के लिए आते हैं। उनका कहना है कि यहां देवी में बड़ी शक्ति है। लोग दूर दराज से यहां पूजा करने के लिए आते हैं।
कुछ दिनों पहले तक जिन मकानों में चहल पहल रहती थी, लोग सुख-दुख को आस पड़ोस में बांटकर साझा करते थे वे बड़ी-बड़ी दरारों में तब्दील होकर वीरान होने लगे हैं। जिन घरों को प्रशासन ने असुरक्षित घोषित कर दिया है वहां रहने वाले लोग अब अपने घर छोड़कर शिविर में जा रहे हैं। मनोहर बाग वार्ड में रहने वाली उत्तरा देवी के मकान को प्रशासन ने असुरक्षित घोषित कर लाल निशान लगा दिए।
सोमवार को उन्हें प्रशासन ने राहत शिविर में शिफ्ट करवा दिया लेकिन घर को छोड़ते वक्त उत्तरा देवी के आंखों में आंसू छलक गए। वह काफी देर तक घर के आंगन की सीढ़ियों पर उदास बैठी रहीं। लोगों के समझाने पर वह सामान लेकर शिविर में चली गईं। यह कहानी हर उस परिवार की है जिनको राहत शिविरों में शिफ्ट कर दिया गया है या किया जा रहा है।
वहीं सिंहधार वार्ड की रहने वाली मंदोदरी देवी, गोदांबरी देवी, हेमलता देवी नगर पालिका के सभागार में पहले ही शिफ्ट हो चुकी हैं लेकिन घर के बारे में बात करते ही उनकी आंखों से आंसू छलक रहे हैं। उनका कहना है कि घर वीरान पड़े हैं और वे शिविरों में जीवन गुजार रहे हैं।
नगर में भू-धंसाव से मकानों में आईं दरारों से कई परिवार बेघर हो गए हैं। लोगों के रिश्तेदार उनसे मिलने के लिए पहुंच रहे हैं तो कोई फोन पर रिश्तेदारों से हालचाल पूछ रहा है। नगर में भी एक दूसरे को जानने वाले शिविरों में जाकर लोगों से मिलकर उनकी समस्या पूछ रहे हैं।
साथ ही किसी भी तरह की जरूरत होने पर मदद करने की भी पेशकश कर रहे हैं। सोमवार को तपोवन से विमला देवी अपनी रिश्तेदार उत्तरा देवी से मिलने आईं और हरसंभव मदद की बात कही।