प्‍ले स्‍टोर से हटे करीब एक दर्जन ऐप

नई दिल्ली: गूगल ने कई दिग्‍गज ऐप्‍स को प्‍ले स्‍टोर से हटा दिया है। इनमें Shaadi, Naukri, 99acres, STAGEdotin और Matrimony सहित करीब एक दर्जन ऐप शामिल हैं। गूगल के इस एक्‍शन पर संस्‍थापकों की तीखी प्रतिक्रिया आई है। उन्‍होंने गूगल के इस तरह से उनके ऐप को हटाने पर ताज्‍जुब जाहिर किया है। Shaadi के संस्‍थापक अनुपम मित्‍तल ने आज को भारतीय इंटरनेट के लिए काला दिन करार द‍िया है। उन्‍होंने गूगल को ‘नई डिजिटल ईस्‍ट इंडिया’ कंपनी बताया है।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, गूगल ने भारतीय डेवलपर्स के उन ऐप्स को हटाने का फैसला किया है जो उसकी बिलिंग पॉलिसी का पालन नहीं कर रहे हैं। ऐप्‍स पर एक्‍शन का यही कारण है।मामले में इंटरनेट और मोबाइल कंपनियों की एसोसिएशन IAMAI भी उतर आई है। उसने गूगल को सख्त एडवाइजरी जारी की है। संगठन ने गूगल से भारतीय ऐप्स को प्ले स्टोर से हटाने से रोकने की अपील की है।

इन्‍फो एज के संस्‍थापक संजीव बिखचंदानी ने कहा है कि ऐसा लगता है कि गूगल ने भारतीय डेवलपर्स के लिए अपनी ऐप बिलिंग पॉलिसी को लागू करने के लिए यह कदम उठाया है। गूगल की ऐप पॉलिसी के खिलाफ एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद इन्फो एज के Naukri और 99acres ऐप 9 फरवरी से गूगल की ऐप पॉलिसी का पालन कर रहे थे। इसके बावजूद उन्हें गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया है।

Shaadi के अनुपम मित्‍तल ने कहा, आज भारतीय इंटरनेट के लिए काला दिन है। गूगल ने अपने ऐप स्टोर से प्रमुख ऐप्स को हटा दिया है। यह और बात है कि भारतीय प्रतिस्‍पर्धा आयोग (CCI) और सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है। गूगल के झूठे नैरेटिव और दुस्साहस से पता चलता है कि उसे भारत के प्रति बहुत कम सम्मान है। कोई गलती न करें। यह नई डिजिटल ईस्ट इंडिया कंपनी है। इस लगान को रोका जाना चाहिए!

डेटिंग ऐप QuackQuackin के संस्‍थापक और सीईओ रवि मित्‍तल ने कहा कि Google की ओर से ऐप को बिना किसी पूर्व चेतावनी के अचानक डीलिस्ट करने से हैरानी है। कोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद गूगल की कठोर रणनीति के कारण हमारे पास उनकी मनमानी नीतियों का पालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।

रवि मित्‍तल ने कहा कि उनके ज्‍यादातर यूजरबेस एंड्रॉइड पर हैं। जहां प्रतिदिन 25,000 से ज्‍यादा डाउनलोड होते हैं। Google Play Store किसी भी कंपनी के लिए एंड्रॉइड इकोसिस्टम में मौजूद रहने का एकमात्र विकल्प है। यह कदम न केवल हमारे ऐप बल्कि पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम को खतरे में डालता है। उन्‍होंने भारत सरकार से हस्तक्षेप करने और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा की रक्षा करने की गुहार लगाई है।

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