कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस की दवाओं की किल्लत

जयपुर. राजस्थान में सरकार कोरोना की दूसरी लहर से लड़ ही रही है कि इस बीच ब्लैक फंगस (Black fungus) ने कोढ़ में खाज का काम कर दिया है. अब प्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीज भी बड़ी तादाद में सामने आने लगे हैं. कोरोना की दवाओं की किल्लत (Shortage of drugs) के साथ ही अब ब्लैक फंगस के उपचार में काम आने वाले इन्जेक्शन और दवाओं की भी प्रदेश में किल्लत होने लग गई है.

राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. राज्य सरकार ने लाइपोजोमल एम्फोटेरेसिन बी के 2500 वाइल खरीदने के लिये सीरम कंपनी को क्रयादेश दे दिए हैं. सरकार देश की 8 बड़ी फार्मा कंपनियों से संपर्क कर रही है. दवा की खरीद के लिए ग्लोबल टेंडर भी किया जा रहा है.

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि अन्य दवाओं की तरह केंद्र सरकार ने ब्लैक फंगस की दवा को भी अपने नियंत्रण में ले लिया है और वही राज्यों को आपूर्ति कर रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश को भारत सरकार से केवल 700 वाइल ही प्राप्त हुई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से बात कर राज्य को कम से कम 50 हजार वॉइल देने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि मरीजों के अनुपात में प्रदेशों को इसकी दवाओं का वितरण करें ताकि इस गंभीर बीमारी से लोगों को बचाया जा सके.

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोरोना के बाद डायबिटीज के मरीज ज्यादा समय तक आईसीयू में रहने, स्टेरॉइड दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल और कमजोर इम्यून सिस्टम के चलते ब्लैक फंगस के शिकार हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना के इलाज के दौरान ब्लड शुगर का स्तर नियमित रूप से जांचते रहें. ज्यादा ब्लड शुगर होने पर इस रोग की आशंका बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि सरकारी और निजी अस्पतालों में कोविड के दौरान सीमित मात्रा में स्टेरॉइड देने के लिए निर्देश जारी किए जा रहे हैं.

डॉ. शर्मा ने कहा कि प्रदेश में ब्लैक फंगस से प्रभावित करीब 100 मरीज हैं. सवाईमानसिंह अस्पताल में भी बीमारी के उपचार के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है. वहां पूरे प्रोटोकॉल के अनुसार इसका इलाज किया जा रहा है. विशेषज्ञों द्वारा सुझाए दवा के विकल्पों पर भी राज्य सरकार काम कर रही है. किसी विशेषज्ञों के अंतिम निर्णय पर वैकल्पिक दवाओं का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

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