देहरादून: अंकिता हत्याकांड में परिजन और लोग लगातार पुलिस जांच पर सवाल उठा रहे हैं। साथ ही बार-बार वीआईपी का नाम उजागर करने की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर ऋषिकेश में लंबे से धरना भी चल रहा है। ऋषिकेश से आए लोगों ने शनिवार को भी मुख्यमंत्री आवास के बाहर अनशन किया था। इस घटनाक्रम के बाद रविवार को एडीजी वी मुरुगेशन ने पत्रकार वार्ता की।
उन्होंने कहा कि 22 दिसंबर को आरोपियों की गिरफ्तारी को तीन माह पूरे हो रहे हैं। इससे पहले चार्जशीट न्यायालय में दाखिल कर दी जाएगी। कोशिश है कि आगामी 10 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल हो जाए। वहीं, नार्को टेस्ट और डिजिटल साक्ष्यों की रिपोर्ट को शामिल करते हुए सप्लीमेंट्री चार्जशीट बाद में दाखिल कर दी जाएगी।
एसआईटी भी नार्को टेस्ट कराना चाहती है। इससे वीआईपी का राज खुलने की उम्मीद है। हालांकि, उन्होंने रिजॉर्ट में वीआईपी कमरे में ठहरने वालों को ही वीआईपी बताया। मगर, उनका नाम भी खुलना चाहिए।
नार्को टेस्ट की रिपोर्ट न्यायालय में बतौर साक्ष्य मान्य नहीं होती है। लेकिन, इससे पुलिस को मदद मिल जाती है। मसलन, यदि किसी अपराधी ने कोई चीज कहीं छुपाई है तो टेस्ट के दौरान उसकी जानकारी दे सकता है।
यह बात तो न्यायालय में मान्य नहीं होगी, लेकिन यदि वह चीज वहां मिल जाती है तो इसे पुलिस अपनी विवेचना का हिस्सा दर्शाकर न्यायालय में दाखिल कर देती है। हालांकि, इस केस में तीनों आरोपी जेल में हैं। मगर, इनसे बहुत से सवालों के जवाब भी पुलिस को चाहिए। ऐसे में यह टेस्ट जरूरी हो गया है।
इन सवालों के मिल सकते हैं जवाब
टेस्ट के दौरान आरोपी वीआईपी का नाम बता सकते हैं।
नहर किनारे वास्तव में क्या हुआ था, यह भी उगल सकते हैं।
अंकिता के साथ कुछ गलत किया या नहीं, इस बात की जानकारी मिल सकती है।
इस मामले में उनका कोई और मददगार तो नहीं, यह बात भी वह बता सकते हैं।
मोबाइल नहर में फेंके हैं या फिर कहीं और छुपाए हैं, यह जानकारी भी हो सकती है।