बिजली संयंत्रों की फूली सांस

नई दिल्ली। एक तरफ तेज होती औद्योगिक गतिविधि और दूसरी ओर देश के अधिकतर हिस्से में रिकार्ड तोड़ गर्मी की वजह से बिजली की मांग रिकार्ड स्तर पर पहुंचती जा रही है। ऐसे में कोयले की कमी की वजह से ताप बिजली संयंत्रों की पूरी कोशिश के बावजूद बिजली की मांग और आपूर्ति का अंतर बढ़ता जा रहा है।

आपूर्ति में कमी के चलते कम-से-कम 16 राज्यों से बिजली की कटौती की सूचना है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, गुजरात जैसे राज्यों में बिजली की आपूर्ति मांग के मुकाबले 500 से 1,500 मेगावाट तक कम है।

कोयले की कमी लेकर सियासत भी गरमा गई है। गैर भाजपा शासित राज्यों-पंजाब, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, झारखंड की ओर से बिजली संकट के लिए केंद्र को घेरने की कोशिश जारी है।

केंद्र का कहना है कि कोयला संकट के पीछे बड़ी वजह राज्यों के बिजली संयंत्रों द्वारा कोयले की ढुलाई नहीं करवाना और समय पर कोल इंडिया के बकाये का भुगतान नहीं करना है। देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादन कंपनी कोल इंडिया का कहना है कि सभी राज्यों पर संयुक्त रूप से 15,600 करोड़ रुपये का बकाया है।

केंद्र सरकार पावर एक्सचेंज में बिजली की कीमत की मौजूदा उच्चतम सीमा 12 रुपये प्रति यूनिट को कम करने पर विचार कर रही है। कीमत घटाने के लिए राज्यों को 10 प्रतिशत तक आयातित कोयला मिलाने को कहा गया है, लेकिन राज्य हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में बिजली की आपूर्ति मांग से 4,000 मेगावाट कम होने की बात कही है। इसके लिए उन्होंने केंद्र को जिम्मेदार ठहराया है और कहा कि केंद्र पर्याप्त कोयला नहीं दे पा रहा है। आंध्र प्रदेश सरकार ने भी कहा है कि केंद्र से पर्याप्त कोयला नहीं मिलने से बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच 1.50 करोड़ यूनिट का अंतर पैदा हो गया है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने केंद्रीय बिजली मंत्री आरके ¨सह से अगले एक पखवाड़े के लिए अतिरिक्त 500 मेगावाट बिजली आपूर्ति की मांग की है। सिंह ने पर्याप्त बिजली आपूर्ति का आश्वासन दिया है। हरियाणा ने बिजली सुरक्षा के लिए किसी संकटग्रस्त बिजली संयंत्र को खरीदने का भी प्रस्ताव रखा है।

इस बीच समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक भीषण गर्मी के बीच शुक्रवार को अखिल भारतीय स्तर पर बिजली की मांग भी रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई। बिजली मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि बिजली की अखिल भारतीय मांग शुक्रवार को दोपहर 14:50 बजे तक 2,07,111 मेगावाट तक पहुंच गई। यह अब तक का सबसे उच्च स्तर है। बृहस्पतिवार को बिजली की मांग 2,04,650 मेगावाट के स्तर पर पहुंच गई थी। यह भी एक रिकार्ड था।

सूत्रों के मुताबिक बिजली संकट के लिए भले ही कोयले की कमी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा हो, लेकिन सच्चाई यह है कि देश में कोयले की कमी नहीं है। कोयला उत्पादक कंपनियों के पास फिलहाल 6.33 करोड़ टन कोयले का भंडार मौजूद है। इसके अलावा पोर्ट, वासरीज और शेड में 66 लाख टन कोयला उपलब्ध है।

पिछले साल की तुलना में इस साल अप्रैल में 27.2 प्रतिशत अधिक कोयले का उत्पादन हुआ है। कोल इंडिया ने राज्यों और बिजली उत्पादन कंपनियों को 57.5 लाख टन कोयला देने का प्रस्ताव किया है। इनमें से 53 लाख टन का आर्डर बुक भी किया जा रहा है।

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