बिजली संकट: 30 हजार का रोजगार छिना

पानीपत: बिजली के कट की मार झेल रही हैं फैक्ट्रियां। हर रोज 15 लाख मीटर कपड़ा का उत्पादन बंद हो गया है। एक शिफ्ट में काम बंद हो चुका है। तीस हजार लोगों का रोजगार छिन गया है। इनसे जुड़े परिवार प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा अप्रत्यक्ष रूप से काम करने वाले बीस हजार लोगों पर भी असर। ये जाब वर्क करने वाले हैं, जिन्हें फैक्ट्रियों से कपड़े के माध्यम काम मिलता था।

प्रदेश में दो हजार मेगावाट बिजली की कमी बताई जा रही है। आने वाले 15 दिनों में पेढ़ी सीजन शुरू होगा। जिसमें 1500 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की मांग होगी। इससे उद्योगों की हालत और अधिक खराब हो सकती है।

पानीपत में पावरलूम, शटल लैस पर कपड़ा बनाया जाता है। कंबल, चादर से लेकर अन्य सभी हैंडलूम, होम फर्निसिंग का कपड़ा बनता है। साथ कारपेट के लिए कपड़ा बनाया जाता है। उद्योगपतियों को कहना है कि लगभग 50 लाख मीटर रोजाना कपड़ा पानीपत में बनाया जाता है। वर्तमान में 8-10 घंटे के बिजली कट होने के कारण उत्पादन एक तिहाइ तो बंद हो ही चुका है।

टेक्सटाइल उद्यमी हैंडलूम एसोसिएशन के प्रधान जोगेंद्र नरूला का कहना है कि पानीपत में टेक्सटाइल का उत्पादन स्टीम पर निर्भर करता है। दो घंटे मशीन गर्म होने में लग जाते हैं। जब तक मशीन गर्म होती है लाइट चली जाती है। यह रोजाना का सिस्टम पिछले दस दिनों से बना हुआ है। आधा दिन ही उद्योग चल पा रहे हैं। फाल्ट के कारण अलग से लाइट जा रही है।

पानीपत इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान सरदार प्रीतम सिंह का कहना है कि आठ से लेकर सुबह चार बजे तक पावर कट लगाया गया है। यदि 10 से छह बजे तक कट लगता तो हम एक शिफ्ट नहीं चलाते। अब तो 12 घंटे ही उद्योग चला पा रहे हैं।

सबसे बड़ी समस्या लेबर का थामना है। लेबर को बिना काम के कैसे रोकें। हमने यह मांग भी रखी, लेकिन बिजली वितरण निगम 10 से छह बजे तक कट नहीं लगा रहा। उद्योगों को आने वाले दिनों में पेढी सीजन शुरू होने पर 1500 मेगावाट की अतिरिक्त मांग खेतों की निकलने की चिंता भी सता रही है।

हैंडलूम बाजार अमर भवन चौक के दुकानदार सुमित कटारिया का कहना है कि रात को उद्योगों पर कट लग रहा है, लेकिन अर्बन में साढ़े छह घंटे कट लागू किए गए हैं। इसके अतिरिक्त फाल्ट के कट लग रहे हैं। उद्योग चल नहीं रहे। शोरूम, दुकानों पर भी अंधेरे में बैठना पड़़ रहा है। पूरा काम बिजली पर निर्भर है। ऐसे में कब तक सुधार होगा यही चिंता सता रही है।

हैंडलूम कारोबारी मुकेश नारंग का कहना है कि अन्य प्रदेशों के मुकाबले हमारे यहां बिजली की आपूर्ति सबसे बेहतर स्थिति में थी। अब हालत सबसे बेकार चल रहे है। बिजली कट लगने से उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। उत्पादन जहां कम हो रहा है वहीं लेबर पलायन की समस्या बनी है।

जिन उद्यमियों ने इंडिपेंडेंट फीडर (स्वतंत्र फीडर) लिए हुए हैं, वे निजी क्षेत्र से बिजली खरीद सकते थे, लेकिन अब उद्योगपति बाहर से भी बिजली खरीदी नहीं कर पा रहे। सरकार ने 12 रुपये यूनिट से महंगी बिजली खरीदने पर रोक लगा दी है। इसी कारण से उद्यमी प्राइवेट बिजली नहीं खरीद पा रहे हैं।

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