चारधाम यात्राः यात्रियों के लिए इस बार भी पंजीकरण अनिवार्य

देहरादून:  उत्तराखंड में चारधाम यात्रा में इस बार भी यात्रियों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा। पर्यटन विभाग ने इसके लिए साफ्टवेयर तैयार कर लिया है। इसमें स्लाट मैनेजमेंट सिस्टम से श्रद्धालुओं को धामों में दर्शन की तिथियां आवंटित की जाएंगी। यही नहीं, धामों में दर्शन की व्यवस्था में भी बदलाव होगा। यात्रियों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए टोकन व्यवस्था लागू की जाएगी।

भीड़ प्रबंधन के साथ ही यात्रियों को कोई असुविधा न हो, इसके लिए चारधाम में धारण क्षमता के अनुरूप दर्शनार्थियों की संख्या तय की जा रही है। उच्चस्तर पर विमर्श के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। सरकार ने यह भी दोहराया है कि जोशीमठ भूधंसाव का यात्रा पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री में पिछले साल लगभग 49 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। इस बार बदरीनाथ धाम के मुख्य पड़ाव जोशीमठ के भूधंसाव की जद में आने के बाद से सरकार चारधाम यात्रा को लेकर हर पहलू से अध्ययन कर रही है।

यद्यपि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि यात्रा पूरे उत्साह के साथ होगी। जोशीमठ आपदा का असर इसमें नहीं पड़ेगा। सरकार हर स्तर पर प्रभावी कदम उठा रही है। अब जबकि चारधाम यात्रा के लिए लगभग तीन माह का समय शेष रह गया है तो सरकार ने तैयारियों को अंतिम रूप देना प्रारंभ कर दिया है।

पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे के अनुसार चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं के पंजीकरण के लिए साफ्टवेयर तैयार किया गया है। जल्द ही, साफ्टवेयर को नाम देकर इसमें यात्रा शुरू होने से माहभर पहले पंजीकरण शुरू हो जाएगा।

भीड़ प्रबंधन के दृष्टिगत साफ्टवेयर के जरिये स्लाट मैनेजमेंट सिस्टम से यात्रियों को धामों में दर्शन करने की तिथियां आवंटित की जाएंगी। यात्री के धाम में पहुंचने के बाद वहां लगी कियोस्क मशीन में एक पर्ची निकलेगी, जिसमें यह उल्लेख होगा कि यात्री किस समय दर्शन कर सकेगा।

इससे धामों में दर्शन के लिए यात्रियों को कतार नहीं लगानी पड़ेगी। वह तय समय में दर्शन कर सकेंगे। चारों धामों में यात्रियों की सुविधा के लिए 30-30 व्यक्तियों की टीम तैनात रहेंगी। ये टीम संबंधित जिले के डीएम और पुलिस के निर्देशन में काम करेंगी। इनका दायित्व धामों में पहुंचे यात्रियों को स्लाट के हिसाब से दर्शन कराने में सहयोग देना होगा।

पर्यटन सचिव ने बताया कि चारधाम यात्रा को लेकर चमोली, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी जिलों के जिलाधिकारियों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग हो चुकी है। धामों की धारण क्षमता के अनुसार वहां दर्शनार्थियों की संख्या निर्धारित की जा रही है। जल्द ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। चारधाम यात्रा मार्गों पर स्थायी शौचालय बनाने के लिए 15 अप्रैल तक लक्ष्य रखा गया है।

राज्य में चारधाम यात्रा की शुरुआत गंगोत्री व यमुनोत्री धामों के कपाट खुलने के साथ होती है। दोनों धामों के कपाट अक्षय तृतीया को खुलते हैं और इस बार यह तिथि 22 अप्रैल को पड़ रही है। इसके अलावा बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 27 अप्रैल तय हो गई है। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर तय होगी।

लोक निर्माण विभाग मंत्री सतपाल महाराज ने सभी जिलाधिकारियों को अपने जिलों में सड़कों का विस्तृत सर्वे करते हुए भूधंसाव व भूस्खलन से संबंधित रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सीवरेज व नालियां चोक होने की समस्याओं से भी शासन को अवगत कराया जाए ताकि चारधाम यात्रा से पहले सभी व्यवस्था दुरुस्त की जा सके।

कैबिनेट मंत्री महाराज ने दैवीय आपदा से क्षतिग्रस्त मार्गों और पुलों के शीघ्र पुनर्निर्माण पर भी जोर दिया। उन्होंने जोशीमठ में हुए भूधंसाव, हेलंग-मारवाड़ी बाईपास के संबंध में भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा मार्ग पर जितने भी बाईपास हैं उन्हें भी पूरी तरह से दुरुस्त किया जाए।

उन्होंने मार्गों के निर्माण में विस्फोटकों का प्रयोग न करते हुए नवीनतम तकनीक का उपयोग करने की सलाह दी। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित मार्गों के अनुरक्षण के लिए तत्काल धनराशि आवंटित कर प्राथमिकता के आधार पर मरम्मत कार्य करने के निर्देश दिए।

कैबिनेट मंत्री महाराज ने विभागीय अधिकारियों को सड़कों को गड्ढा मुक्त करने और तेज गति से मरम्मत कार्य के लिए गुजरात की तर्ज पर मोबाइल एप बनाने की संभावनाएं तलाशने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस एप के जरिये सड़कों को दुरुस्त रखने में मदद मिल सकेगी।

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