कोरोना: चारधाम यात्रा की तैयारियों पर लगा ब्रेक

ऋषिकेश: उत्तराखंड हिमालय के चारधामों की यात्रा प्रदेश की आर्थिकी का बड़ा स्रोत है। चारधाम यात्रा से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बड़ी संख्या में परिवहन, होटल और अन्य तरह के व्यवसाय जुड़े हैं। पूरे वर्ष यह व्यवसायी चारधाम यात्रा से उम्मीद लगाए रहते हैं।

वर्ष 2013 में केदार घाटी में आई आपदा के बाद भी चारधाम यात्रा पूरी तरह से ठप हो गई थी। जिसके बाद अगले चार वर्षों तक यात्रा पटरी पर नहीं लौट पाई। बीच के वर्षों में चारधाम यात्रा चलने से स्थिति कुछ सामान्य हुई तो विगत वर्ष चारधाम यात्रा से ठीक पहले कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन लागू हो गया और चारधाम यात्रा पूरी तरह से ठप हो गई। इस वर्ष कोरोना संक्रमण की रफ्तार थमने के बाद चारधाम यात्रा को लेकर व्यवसायियों में यात्रा को लेकर कुछ उम्मीद जगी थी।

मगर, तब तक कोरोना वायरस संक्रमण के दूसरे दौर ने स्थिति को और भी नाजुक बना दिया। पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड में भी कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। प्रदेश सरकार ने सभी तेरह जिलों में रविवार को कोविड कफ्र्यू जारी किया है। उधर, चारधाम यात्रा को लेकर पिछले माह तक जो तैयारियां की जा रही थी, वह भी फिलहाल ठप पड़ गई हैं। चारधाम यात्रा को लेकर परिवहन व्यवसायियों ने अपनी बसों को तैयार करना शुरू कर कर दिया था।

मगर, कोविड की इस दूसरी वेव ने सभी तैयारियों को ठप करके रख दिया है। अगले माह 14 मई को यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी। मगर, वर्तमान हालात को देखते हुए नहीं लग रहा कि यात्रा की स्थिति ज्यादा उत्साहजनक होगी।

ऋषिकेश से चारधाम यात्रा का संचालन प्रमुख रूप से नौ परिवहन कंपनियों की संस्था संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति करती है। मगर, संयुक्त रोटेशन की माने तो अभी तक यात्रा को लेकर कोई सकारात्मक रुझान नहीं हैं। संयुक्त रोटेशन के प्रशासनिक अधिकारी बृजभानु प्रताप गिरी ने बताया कि यात्रा को लेकर तीन चार माह पहले से ही एडवांस बुकिंग शुरू हो जाती थी। इस वर्ष यात्रा को लेकर कुछ उम्मीद जगी थी। दो माह पहले तक संयुक्त रोटेशन में बुकिंग तो नहीं मगर, यात्रा को लेकर पूछताछ के लिए यात्री संपर्क करने लगे थे। मगर, कोरोना संक्रमण की की इस दूसरी वेव के बाद सब कुछ ठप हो गया है।

परिवहन व्यवसायी व संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति के पूर्व अध्यक्ष सुधीर राय का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण पिछले वर्ष चारधाम यात्रा पूरी तरह से ठप रही। इस वर्ष परिवहन व्यवसायियों को यात्रा से खासी उम्मीदें थी। लॉकडाउन खुलने के बाद हालात कुछ सामान्य भी होने लगे थे और सभी चारधाम यात्रा की तैयारियों में भी जुट गए थे। मगर, कोरोना संक्रमण की इस दूसरी लहर ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। परिवहन व्यवसायियों के समक्ष अब विकट स्थित आ गई है। बैंकों की किश्त चुकानी और अन्य खर्च चलाने मुश्किल हो रहे हैं।

उत्तराखंड में पांचवें धाम के रूप में पहचान रखने वाले सिखों के पवित्र तीर्थ श्री हेमकुंड साहिब धाम के कपाट 10 मई को खुल रहे हैं। हेमकुंड यात्रा के लिए गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब ट्रस्ट ने तैयारियां तेज कर दी हैं। गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब प्रबंधन ट्रस्ट के प्रबंधक दर्शन सिंह ने बताया कि गुरुद्वारा परिसर में बाहर से आने वाले वाले श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था कर ली गई है।

उन्होंने बताया कि कोविड-19 गाइडलाइन के अनुसार यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को बिना मास्क के प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यात्रियों के पंजीकरण की भी व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने बताया कि यात्रा को लेकर तैयारियां पूरी हैं, मगर इसके साथ ही सरकार की गाइडलाइन का भी इंतजार किया जा रहा है। सब कुछ ठीक रहा तो आठ मई को हेमकुंड धाम के लिए पहला जत्था ऋषिकेश से रवाना होगा।

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