अयोध्या: 23 अक्टूबर को दीपोत्सव और पांच से सात नवंबर तक रामोत्सव न केवल उत्सवधर्मिता का पर्याय सिद्ध हुआ, बल्कि इस उत्सव में श्रीराम के साथ रामजन्मभूमि के प्रति आस्था का शिखर परिलक्षित हुआ और यही शिखर गत सप्ताह ही संपन्न सीता-राम विवाहोत्सव के अवसर पर भी बिंबित हुआ।
इस वर्ष सीता-राम विवाहोत्सव में पूर्व के वर्ष की तुलना में आस्था का कहीं बड़ा ज्वार उमड़ा और इससे पूर्व नवंबर महीने में ही 14 कोसी तथा पंचकोसी परिक्रमा में भी आस्था का ऐसा ही ज्वार उमड़ा। नवंबर माह के ही उत्तरार्द्ध में मारीशस के राष्ट्रपति ने रामनगरी की यात्रा के साथ रामलला के प्रति आस्था अर्पित की।
24 नवंबर से ही काशी संगमम में हिस्सा लेकर लौट रहे तमिल श्रद्धालुओं के रामनगरी में आगमन का भी सिलसिला शुरू हुआ। अब तक चार जत्थों में संगमम से लौटे करीब एक हजार तमिल श्रद्धालु रामलला का दर्शन कर चुके हैं। संगमम में शामिल होकर लौट रहे तमिल श्रद्धालुओं के आगमन का सिलसिला दिसंबर के मध्य तक चलने वाला है। सरकार ने उन्हें राज्य अतिथि का दर्जा भी दे रखा है।
रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के बाद से रामलला के नित्य दर्शनार्थियों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। यद्यपि कोरोना संकट के चलते आस्था का प्रवाह 2020 और 21 में बाधित रहा, किंतु इस वर्ष जहां कोरोना संकट थमा, वहीं श्रद्धालुओं की संख्या में भी तीव्र वृद्धि हुई। हाल के कुछ माह से रामलला के नित्य दर्शनार्थियों की संख्या 15 से 20 हजार तक होती है और सप्ताहांत के दो-दिन यह संख्या 25 हजार के पार होती है।
इस वर्ष एक जनवरी और 10 अप्रैल को राम जन्मोत्सव के दिन रामलला के दर्शनार्थियों की संख्या एक लाख का बैरियर तोड़ने वाली रही। विहिप नेता शरद शर्मा के अनुसार मंदिर निर्माण के बाद रामलला के दर्शन के लिए प्रतिदिन एक लाख श्रद्धालुओं का आगमन अपेक्षित है।