कुंभ: नागा संन्यासियों की जमात और उनके हैरतअंगेज करतब

हरिद्वार। नागा संन्यासियों की जमात और उनके हैरतअंगेज करतब हर किसी को रोमांचित कर देने वाले हैं। दूसरी ओर, किन्नर अखाड़े की शान कुंभनगरी को अपने मोहपाश में बांधा हुआ है। चारों दिशाओं से हो रही पुष्प वर्षा और बैंड धुनों के बीच वातावरण में गूंजती भक्तिलहरियां मन को आल्हादित कर रही हैं। ऐसा नजारा है, मानों दिव्य पुरुष और संत-महात्माओं के दर्शनों को संपूर्ण कुंभनगरी सड़कों पर उमड़ आई है।

ज्वालापुर पांडेयवाला गुघाल मंदिर से शुरू हुई पेशवाई ने ज्वालापुर के विभिन्न बाजारों से होते हुए आर्यनगर, शंकर आश्रम, योगी विहार, चंद्राचार्य चौक, पुराना रानीपुर मोड़ ऋषिकुल, देवपुरा, शिवमूर्ति, वाल्मिीकि चौक होते हुए माया देवी मंदिर परिसर स्थित जूना, अग्नि और किन्नर अखाड़े की छावनी में पहुंचकर विराम लिया।

पेशवाई में शामिल नागा संन्यासी व संत-महात्माओं के दर्शनों को दोपहर से ही सड़क के दोनों और श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्र होने लगी थी। जहां खाली जगह नजर आ रही थी, श्रद्धालु वहीं खड़े हो जा रहे थे। पूरे पेशवाई मार्ग पर छतों में भी पांव रखने तक को जगह नहीं थी। हर कोई उल्लास के साथ पेशवाई पर पुष्प वर्षा कर रहा था और संत-महात्मा भी हर्षित हो श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप आशीर्वाद दे रहे थे।

 

परंपरा के अनुसार हाथी, घोड़े और बैंड बाजों से सुसज्जित पेशवाई में चांदी के हौदों पर सवार जूना व अग्नि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत और नागा संन्यासियों के साथ किन्नर अखाड़े ने भी शिरकत की। पेशवाई में सबसे आगे अखाड़े की धर्म ध्वजा लहरा रही थी। युद्ध कौशल का प्रदर्शन कर रहे पेशवाई में शामिल नागा संन्यायियों की झलकभर देखने के लिए सड़कों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा था।

पेशवाई में उत्तराखंडी संस्कृति की झलक भी देखने को मिली। धर्मध्वजा के पीछे बैंड और नागा संन्यासियों की जमात थी। इसके पीछे श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि और फिर महामंडलेश्वर स्वामी नैसर्गिका गिरि के रथ चल रहे थे। अग्नि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ स्वामी रामकृष्णानंद की तीन सवारी इन रथों के पीछे थी और साथ में महामंडलेश्वर, श्रीमहंत और महंतों के रथ चल रहे थे।

पेशवाई का खास आकर्षण रही अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित नागा संन्यासियों की जमात। जिसके हैरतअंगेज करतब हर किसी को भावविभोर किए दे रहे थे। साधुओं का हर दल अपने-अपने अखाड़े से संबंधित वाद्य यंत्रों पर भक्ति संगीत पेश करता हुआ चल रहा था। पेशवाई में प्रमुख रूप से अखाड़ा परिषद के महामंत्री एवं जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि, श्रीमहंत महेश पुरी, स्वामी केशव पुरी, श्रीमहंत प्रेम गिरि, श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती, श्रीमहंत नारायण गिरि, महंत देवानंद सरस्वती, स्वामी मुक्तानंद बापू, श्रीमहंत साधनानंद, स्वामी सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी, स्वामी संपूर्णानंद ब्रह्मचारी आदि शामिल थे।

पेशवाई शुरू होने से पहले ज्वालापुर पांडेवाला स्थित सिद्धपीठ गुघाल मंदिर में पंचायती धड़ा फिराहेडिय़ान के अध्यक्ष महेश तुम्बडिय़ा, महामंत्री उमाशंकर वशिष्ठ, कोषाध्यक्ष सचिन कौशिक, अनिल कौशिक, विपुल मिश्रोटे, संजय खजानके, प्रदीप निगारे, नितिन गोस्वामी, अजय वशिष्ठ, गोपाल कृष्ण गोस्वामी व सौरभ सिखोला के साथ मंदिर के आचार्य ब्रजेश वशिष्ठ ने पूजा-अर्चना कर सभी संत-महात्माओं का फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस मौके पर जिलाधिकारी सी.रविशंकर, मेलाधिकारी दीपक रावत, मेला आइजी संजय गुंज्याल, एसएसपी सेंथिल अवूदई कृष्णराज एस, मेला एसएसपी जनमेजय खंडूड़ी, अपर मेलाधिकारी हरबीर ङ्क्षसह, एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय आदि मौजूद थे।

 

पेशवाई में शामिल किन्नर अखाड़ा भी आकर्षण का केंद्र रहा। किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का शाही अंदाज सहज ही सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। ऊंट पर सवार किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर तलवार के साथ रूढिय़ों को काट समाज की सोच में बदलाव का संदेश दे रही थीं। गढ़वाल-कुमाऊं का सांस्कृतिक परिदृश्य भी पेशवाई की शान बढ़ा रहा था।

श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े की पेशवाई और जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि का शंकर आश्रम तिराहे पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि और मंसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रङ्क्षवद्रपुरी ने भव्य स्वागत किया। इस मौके अखाड़ा परिषद के अन्य महाधिकारी भी मौजूद थे। जबकि, श्रीगंगा सभा और तीर्थ पुरोहितों ने आर्यनगर शुभारंभ पैलेस पर पेशवाई का स्वागत किया। इस दौरान श्रीगंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ, अखिल भारतीय युवा तीर्थ पुरोहित महासभा के उज्जवल पंडित मौजूद रहे।

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