सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण

जयपुर: अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा के अनुसार कुछ ही घंटो में सदी का सबसे बड़ा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है, जो कि पूरे 5 घंटे 18 मिनट चलेगा (Chandra Grahan 2022 date and time)। इस दौरान काफी लंबी अवधि तक चांद लालिमा में लिपटा दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार, साल का ये पहला चंद्र ग्रहण 16 मई 2022 बुद्ध पूर्णिमा (date and time of first lunar eclipse of 2022) के दिन सोमवार को (When chandra grahan will start) सुबह 07 बजकर 2 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 20 मिनट (First Chandra Grahan of 2022) तक दिखाई देगा।

पूर्ण चंद्रग्रहण (Time of Full Chandra grahan) का समय सुबह 9 बजकर दो मिनट बताया जा रहा है। इस दौरान चांद पूरी तरह से लाल दिखाई देगा। इसी लाल मून को ब्लड मून भी कहते हैं। ये एक अनोखी खगोलीय घटना होती है जब चंद्र ग्रहण लगेगा और हमें ब्लड मून यानी लाल रंग का चांद दिखाई देगा। हालांकि भारत में इस ग्रहण का प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा, लेकिन इसके बावजूद लोग ग्रहण को देखने के लिए उत्सुक हैं और इसका खगोलीय और ज्योतिषीय महत्व भी है।

अमरीकी स्पेस एजेंसी ने ट्वीट कर बताया है कि 15 मई की शाम को धरती, सूरज और चांद के बीच आ जाएगी। जिससे चांद तक सूरज की रोशनी नहीं पहुंच सकेगी। इसी को चंद्रग्रहण कहते हैं (Chandra grahan how)। इसे इस तरह समझें कि सूर्य और चंद्रमा के बीच जब पृथ्वी आ जाती है तो इस स्थिति में पृथ्वी की छाया चंद्रमा की रोशनी को ढक लेती है। क्योंकि चंद्रमा की अपनी कोई रोशनी नहीं है, वह सूर्य की रोशनी से ही प्रकाशमान होकर हमें पृथ्वी पर दिखाई देती है.

ये साल 2022 का पहला चंद्र गहण है । पूर्ण चंद्र ग्रहण अमरीका के पूर्वी हिस्से, दक्षिण अमरीका, अफ्रीका के कई हिस्सों में, पश्चिमी यूरोप में नज़र आएगा। वैज्ञानिकों की मानें तो साल का पहला चंद्र ग्रहण यूरोप के दक्षिणी-पश्चिमी हिस्से, अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया, नॉर्थ अमरीका, दक्षिण अमरीका, प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर समेत अंटार्कटिका और एशिया की कुछ जगहों से दिखाई देगा।

भारत के ज़्यादातर हिस्सों के लिए पूर्ण ग्रहण के दौरान चंद्रमा क्षितिज से नीचे होगा और इसलिए देश के लोग ब्लड मून नहीं देख पाएंगे। लेकिन कुछ हिस्सों में, ज्यादातर पूर्वी भारत के लोग केवल आंशिक चंद्र ग्रहण के अंतिम क्षणों को संभवत: देख सकेंगे।अधिकांश भारत में यह चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देगा। लेकिन अगर इस खगोलीय घटना को आप देखना चाहते हैं तो 16 मई को अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर जाकर इसे देख सकते हैं.

चंद्र ग्रहण के दौरान चांद पृथ्वी की छाया में चला जाता है। इसी दौरान कई बार चांद पूरी तरह लाल भी दिखाई देगा। इसे ब्लड मून कहते (What is blood moon) हैं। नासा की दी जानकारी के मुताबिक सूरज की किरणें धरती के वातावरण में घुसने के बाद मुड़ती हैं और फैलती हैं। नीला या वायलेट रंग, लाल या नारंगी रंग के मुकाबले अधिक फैलता है।

इसे यूं समझें कि जब सूर्य की रोशनी पृथ्वी के किनारों से होकर चांद तक पहुंचती है तो इसका नीला और वायलेट तो रंग वातावरण में बिखर जाता है, क्योंकि इनकी वेवलेंथ कम होती है और चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता। इसीलिए हमें आकाश का रंग नीला दिखता है। आकाश के नीले होने का यही कारण है।जबकि लाल रंग की वेवलेंथ ज्यादा होती है और वो चंद्रमा तक पहुंच पाता है। ऐसे में चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देने लगता है। इसे ब्लड मून कहते हैं।

बता दें कि लाल रंग हमेशा वेवलेंथ अधिक होने के कारण हमेशा सीधी दिशा में आगे बढ़ता है, इसलिए वो हमें सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त ही दिखाई देता है। ये लाल रोशनी ही उस वक्त सूर्य की किरणों के साथ धरती के वातावरण की एक मोटी परत को पार कर हमारी आंखों तक पहुंच रही होतीं हैं।

दूर तक रोशनी फेंकने वालीं बच्चों की टॉर्च या फिर सड़क या रेलवे के सिग्नल भी आपने देखे होंगे, इनमें लाल प्रकाश इसीलिए रखा गया है कि उनकी रोशनी दूर तक जा सके। चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्योदय या सूर्यास्त के समय की बची हुई लाल किरणें पृथ्वी के वातावरण से होते हुए चांद की सतह तक पहुंच जाती हैं। इसलिए ग्रहण के दौरान चांद हमें लाल दिखने लगता है। पृथ्वी के वातावरण में ग्रहण के दौरान जितने ज़्यादा बादल या धूल होगी, चांद उतना ही ज़्यादा लाल दिखेगा।

खगोलशास्त्र के अनुसार इस चंद्रग्रहण (positive impact of lunar eclipse or Chandra grahan 2022) का क्या असर रहने वाला है। हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि पर ही लगता है। पूर्णिमा तिथि 15 मई को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जाएगी।

इस तरह चंद्रग्रहण वृश्चिक राशि और विशाखा नक्षत्र में लगेगा। हालांकि यह चंद्रग्रहण अधिकांश भारत में नहीं दिखाई देगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर ग्रहण का जीवों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। ग्रहण वैसे तो अशुभ माना जाता है, लेकिन इसके विशेष योग में होने के कारण कुछ राशियों पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा।

चंद्रग्रहण पूर्ण रूप से खगोलीय घटना है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र की काल गणना के अनुसार चंद्र ग्रहण का विभिन्न ग्रहों और नक्षत्रों के साथ विशेष योग बनने से इस बार यह अधिक असरदार और फलदाई होगा। साल के प्रथम चंद्रग्रहण का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। आइए जानते हैं किन राशियों के लिए यह चंद्रग्रहण धनलाभ और तरक्की लेकर आएगा।

मेष राशि-मेष राशि के जातकों पर चंद्रग्रहण का विशेष प्रभाव पड़ने की संभावना है। मेष राशि के जो जातक नौकरी पेशा वाले हैं उनको कार्यक्षेत्र में प्रमोशन मिलने की संभावना है। मेष राशि के जातकों के लिए निवेश के लिए यह समय बेहद शानदार रहेगा। पारिवारिक जीवन अनुकूल रहेगा। विदेश यात्रा की संभावना है। नौकरी में भी अनुकूल लाभ हो सकते हैं। धन, यश और वैभव में वृद्धि होगी।

सिंह राशि-16 मई को लगने वाले पूर्ण चंद्रग्रहण का सिंह राशि वाले जातकों पर अनुकूल प्रभाव देखने को मिलेगा। इस ग्रहण के दौरान सिंह राशि के जातकों को कार्यस्थल पर सराहना के साथ नौकरी में प्रमोशन होने की संभावना है। आपको कार्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति विशेष से लाभ प्राप्त होने की संभावना है। एक से अधिक स्रोतों से धन कमाने के अवसर प्राप्त होंगे। लाइफ पार्टनर के साथ आपका रिश्ता अनुकूल और मजबूत रहेगा। अपने वरिष्ठों से मार्गदर्शन लेते रहें, वाणी पर संयम रखें और अपने कार्य क्षेत्र में मेहनत और लगन से कार्य करें।

तुला राशि-16 मई को पड़ने वाला पहला चंद्रग्रहण तुला राशि वालों के जीवन पर शुभ प्रभाव देगा। इस दौरान आपको करियर में बड़ी सफलता हासिल हो सकती है। आपको अपनी कड़ी मेहनत का पूरा फल मिलेगा। धन लाभ के योग बनेंगे।

धनु राशि-धनु राशि वाले जातकों के लिए साल का पहला चंद्रग्रहण बेहद खास होने वाला है। 16 मई को लगने वाले इस चंद्रग्रहण के दौरान धनु राशि के जातकों की आर्थिक उन्नति होगी, व्यापार में लाभ प्राप्त होगा और साथ ही नए निवेश में अत्यधिक लाभ की संभावना है। कार्य क्षेत्र में भी अभूतपूर्व सफलता प्राप्त होने के योग हैं। आर्थिक रूप से मजबूत स्थिति होने की संभावना प्रबल है।

कुंभ राशि-16 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण कुंभ राशि के जातकों को आर्थिक लाभ पहुंचाएगा। इस दौरान कार्यक्षेत्र पर नई जिम्मेदारी मिलने की भी संभावना है। आपको कार्यक्षेत्र में आपकी मेहनत का पूरा फल मिलेगा।

ज्योतिषों की मानेंं तो चंद्र ग्रहण विशाखा नक्षत्र और वृश्चिक राशि में लगेगा। साथ ही इस दिन बुद्ध पुर्णिमा भी है ग्रह-नक्षत्रों का ऐसा दुर्लभ संयोग करीब 80 साल बाद बन रहा है। ग्रहण 16 मई को सुबह 07 बजकर 02 मिनट पर लगेगा जो 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।

ग्रहण काल के दौरान भारत में दिन रहेगा, इसलिए यह अधिकांश भारत में दिखाई नहीं देगा और न तो यहां सूतक लगेगा। लेकिन ग्रहण के दौरान ग्रह-नक्षत्रों के उलट-फेर से इसका प्रभाव राशियों पर देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं कौन-सी है वो राशि जिस पर चंद्र ग्रहण का दुष्प्रभाव पड़ेगा

मिथुन-इस राशि के जातकों को चंद्र ग्रहण के दौरान सावधान रहने की जरूरत है, विरोधी विश्वासघात कर सकते हैं। अपनी गोपनीय बात किसी से साझा न करें, वरना मुश्किलों में फंस सकते हैं। जल्दबाजी में लिया गया निर्णय घातक हो सकता है। स्वास्थ संबंधी समस्या हो सकती है।

कर्क-साल का पहला चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि में लग रहा हैं, ऐसे में इसका दुष्प्रभाव कर्क राशि वालों पर देखने को मिलेगा। यह चंद्र ग्रहण आपको मानसिक रूप से परेशान कर सकता है। स्वास्थ खराब हो सकता है। खर्चें आपको आर्थिक संकट में डाल सकते हैं। ऐसे में वाणी पर नियनंत्रण रखें, ध्यान रहें इस समय किसी से वाद-विवाद करना मुश्किलों में डाल सकता है। चंद्र ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए ग्रहण के दौरान ॐ सों सोमाय नम: मंत्र का जाप करें।

वृश्चिक-साल का पहला चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि में ही लग रहा है। जिससे ग्रहण का प्रभाव इस राशि वालों के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है, इस राशि के जातकों को वाद-विवाद से बचने की जरूरत हैं नहीं तो मुश्किलें बढ़ सकती है। ग्रहण के कारण इस राशि के जातकों के अनावश्यकों खर्चों में वृद्धि होगी जिससे आर्थिक स्थिति कमजोर होगी। मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं। कानूनी मामलों में फंस सकते हैं।

मकर-मकर राशि वालों के लिए यह चंद्र ग्रहण ठीक नहीं है, इस राशि के जातक कोई भी फैंसले जल्दबाजी में न लें। कहीं भी निवेश करने से पहले विशेषज्ञ से जान-बुझ लें। इस समय आपको बहुत सावधान रहना होगा, क्योंकि कोई विश्वासघात कर सकता है। मानसिक तनाव बढ़ सकता है। इससे बचने के लिए योग करें।

धार्मिक मान्यता अनुसार ग्रहण के दौरान मुंह में तुलसी का पत्ता और गंगा जल रखने से ग्रहण का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। चंद्र ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए ग्रहण के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करने के पश्चात् अन्न का दान करने से ग्रहण का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।

चंद्रग्रहण 16 मई को सुबह 7:02 से दोपहर 12:20 बजे तक रहेगा। चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन बनाना या खाना नहीं चाहिए। इस दौरान घर के मंदिर का पट बंद कर देना चाहिए, ग्रहण के दौरान गर्भवती महलाओं को घर से बाहन नहीं निकलना चाहिए।

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