चमत्कार: 120 सालों से लगातार जल रहा है बिजली का एक बल्ब!

उदय दिनमान डेस्कः कोई भी इस बात पर विश्वास नहीं करेगा, लेकिन यह सत्य है और यह बल्व 120 सालों से लगातार जल रहा है।अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में पिछले 120 सालों से बिजली का एक बल्ब लगातार जल रहा है.इतने सालों में ये शायद 02-04 बार ही बुझा होगा लेकिन वो भी मानवीय गलती के कारण. कैसा है ये चमत्कारी बल्ब. इस सेंटिनियल बल्ब को अब कई गिनीज बुक समेत कई रिकॉर्ड बुक में शामिल किया जा चुका है. ये बिजली का ऐसा बल्ब है, जिसे दुनिया चमत्कार मान रही है. कैलिफोर्निया राज्य के लिवरमोर शहर में लगा ये बल्ब गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के साथ तमाम वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह पा चुका है. वजह ये है कि बिजली का ये बल्ब 02-04 साल या 10-20 साल से नहीं बल्कि 120 सालों से लगातार जल रहा है.

ये लिवरमोर शहर के फायरब्रिगेड विभाग के गैराज में लगा है. हालांकि अब इस बल्ब की जगह से ये शहर एक खास पहचान पा चुका है. लोग हैरान होते हैं कि आखिर कैसे ये बल्ब 120 सालों से लगातार जल रहा है. इसका फिलामेंट कैसे अब तक सुरक्षित है. अन्यथा इंजीनियर्स का तो कहना होता है कि कोई भी बल्ब फिलामेंट 01-02 साल से ज्यादा नहीं चल पाता. ये लिवरमोर शहर के फायरब्रिगेड विभाग के गैराज में लगा है. हालांकि अब इस बल्ब की जगह से ये शहर एक खास पहचान पा चुका है. लोग हैरान होते हैं कि आखिर कैसे ये बल्ब 120 सालों से लगातार जल रहा है. इसका फिलामेंट कैसे अब तक सुरक्षित है. अन्यथा इंजीनियर्स का तो कहना होता है कि कोई भी बल्ब फिलामेंट 01-02 साल से ज्यादा नहीं चल पाता.

ये लिवरमोर शहर के फायरब्रिगेड विभाग के गैराज में लगा है. हालांकि अब इस बल्ब की जगह से ये शहर एक खास पहचान पा चुका है. लोग हैरान होते हैं कि आखिर कैसे ये बल्ब 120 सालों से लगातार जल रहा है. इसका फिलामेंट कैसे अब तक सुरक्षित है. अन्यथा इंजीनियर्स का तो कहना होता है कि कोई भी बल्ब फिलामेंट 01-02 साल से ज्यादा नहीं चल पाता.

इस बल्ब का नाम है सेंटेनियल, जिसे साल 1901 में पहली बार जलाया गया था. तब से लेकर अब तक ये बल्ब जल रहा है. 1901 में यह बल्ब 60 वाट का था. फिर इसका आउटपुट कम होता गया. 2021 में इस बल्ब की रोशनी 4 वाट के बराबर रह गई है. इस बल्ब का नाम है सेंटेनियल, जिसे साल 1901 में पहली बार जलाया गया था. तब से लेकर अब तक ये बल्ब जल रहा है. 1901 में यह बल्ब 60 वाट का था. फिर इसका आउटपुट कम होता गया. 2021 में इस बल्ब की रोशनी 4 वाट के बराबर रह गई है.इस बल्ब का नाम है सेंटेनियल, जिसे साल 1901 में पहली बार जलाया गया था. तब से लेकर अब तक ये बल्ब जल रहा है. 1901 में यह बल्ब 60 वाट का था. फिर इसका आउटपुट कम होता गया. 2021 में इस बल्ब की रोशनी 4 वाट के बराबर रह गई है.

इसे ओहियो के शेल्बी में स्थित शेल्बी इल्कट्रॉनिक नाम की कंपनी ने बनाया है. माना जाता है कि ये बल्ब 1890 के दशक के आखिर में बना था. इसे डेनिल बरनेल नाम के शख्स ने खरीदा. जो लिवरमोर पॉवर एंड वाटर कंपनी का मालिक था. उसने इसे खरीदने के बाद शहर के फायर स्टेशन को डोनेट कर दिया. इसे ओहियो के शेल्बी में स्थित शेल्बी इल्कट्रॉनिक नाम की कंपनी ने बनाया है. माना जाता है कि ये बल्ब 1890 के दशक के आखिर में बना था. इसे डेनिल बरनेल नाम के शख्स ने खरीदा. जो लिवरमोर पॉवर एंड वाटर कंपनी का मालिक था. उसने इसे खरीदने के बाद शहर के फायर स्टेशन को डोनेट कर दिया.

इसे ओहियो के शेल्बी में स्थित शेल्बी इल्कट्रॉनिक नाम की कंपनी ने बनाया है. माना जाता है कि ये बल्ब 1890 के दशक के आखिर में बना था. इसे डेनिल बरनेल नाम के शख्स ने खरीदा. जो लिवरमोर पॉवर एंड वाटर कंपनी का मालिक था. उसने इसे खरीदने के बाद शहर के फायर स्टेशन को डोनेट कर दिया.दुनिया का कोई बल्ब कभी इतना लंबा नहीं जला. हां 120 साल के इसके सफर में इसे 02 बार आधिकारिक तौर पर इंटरवल दिए गए. इस बल्ब को पहली बार साल 1937 में बिजली की लाइन बदलने के लिए बंद किया गया था और तार बदलने के बाद यह बल्ब फिर जलने लगा. इसके बाद 1976 में फायर स्टेशन की बिल्डिंग बदलने वाली थी. दुनिया का कोई बल्ब कभी इतना लंबा नहीं जला. हां 120 साल के इसके सफर में इसे 02 बार आधिकारिक तौर पर इंटरवल दिए गए. इस बल्ब को पहली बार साल 1937 में बिजली की लाइन बदलने के लिए बंद किया गया था और तार बदलने के बाद यह बल्ब फिर जलने लगा. इसके बाद 1976 में फायर स्टेशन की बिल्डिंग बदलने वाली थी.

दुनिया का कोई बल्ब कभी इतना लंबा नहीं जला. हां 120 साल के इसके सफर में इसे 02 बार आधिकारिक तौर पर इंटरवल दिए गए. इस बल्ब को पहली बार साल 1937 में बिजली की लाइन बदलने के लिए बंद किया गया था और तार बदलने के बाद यह बल्ब फिर जलने लगा. इसके बाद 1976 में फायर स्टेशन की बिल्डिंग बदलने वाली थी.

तब इसे एक परेड के साथ नई बिल्डिंग में ले जाया गया. तब ये बल्ब 22 मिनट तक बंद रहा. उसके बाद वहां पहुंचते ही इसे जैसे ही लगाया गया. वैसे ही ये फिर जलने लगा. आखिर इसके इतने लंबे जलने का राज क्या है. कुछ लोगों का मानना है कि इसका खास डिजाइन ही इसे अब तक बरकरार रखे हुए है. तब इसे एक परेड के साथ नई बिल्डिंग में ले जाया गया. तब ये बल्ब 22 मिनट तक बंद रहा. उसके बाद वहां पहुंचते ही इसे जैसे ही लगाया गया. वैसे ही ये फिर जलने लगा. आखिर इसके इतने लंबे जलने का राज क्या है. कुछ लोगों का मानना है कि इसका खास डिजाइन ही इसे अब तक बरकरार रखे हुए है.तब इसे एक परेड के साथ नई बिल्डिंग में ले जाया गया. तब ये बल्ब 22 मिनट तक बंद रहा. उसके बाद वहां पहुंचते ही इसे जैसे ही लगाया गया. वैसे ही ये फिर जलने लगा. आखिर इसके इतने लंबे जलने का राज क्या है. कुछ लोगों का मानना है कि इसका खास डिजाइन ही इसे अब तक बरकरार रखे हुए है.

 

सेंटिनियल बल्ब के आविष्कारक एडोल्फ चैलिएट थे. जिन्होंने इसे बनाया. हालांकि इलैक्ट्रिक बल्ब के मूल आविष्कारक थामस अल्वा एडीसन थे. शुरुआती बल्ब ऐसे बनाए जाते थे कि वो लंबा चलें यानि कई साल. लेकिन 1920 के दशक में दुनियाभर में बिजली के बल्ब बनाने वाली कंपनियों के कार्टेल ने तय किया ऐसे बल्ब बनाए जाएं तो 1500 घंटे से ज्यादा नहीं चलें. ताकि उनके खराब होने पर ग्राहक फिर नया बल्ब खरीदे. सेंटिनियल बल्ब के आविष्कारक एडोल्फ चैलिएट थे. जिन्होंने इसे बनाया. हालांकि इलैक्ट्रिक बल्ब के मूल आविष्कारक थामस अल्वा एडीसन थे. शुरुआती बल्ब ऐसे बनाए जाते थे कि वो लंबा चलें यानि कई साल. लेकिन 1920 के दशक में दुनियाभर में बिजली के बल्ब बनाने वाली कंपनियों के कार्टेल ने तय किया ऐसे बल्ब बनाए जाएं तो 1500 घंटे से ज्यादा नहीं चलें. ताकि उनकेसेंटिनियल बल्ब के आविष्कारक एडोल्फ चैलिएट थे. जिन्होंने इसे बनाया. हालांकि इलैक्ट्रिक बल्ब के मूल आविष्कारक थामस अल्वा एडीसन थे. शुरुआती बल्ब ऐसे बनाए जाते थे कि वो लंबा चलें यानि कई साल. लेकिन 1920 के दशक में दुनियाभर में बिजली के बल्ब बनाने वाली कंपनियों के कार्टेल ने तय किया ऐसे बल्ब बनाए जाएं तो 1500 घंटे से ज्यादा नहीं चलें. ताकि उनके खराब होने पर ग्राहक फिर नया बल्ब खरीदे.

साल 2013 में ऐसा लगा कि ये बल्ब फ्यूज हो गया है. लेकिन तार की जांच करने पर पता लगा कि 76 साल पुराना तार खराब हो गया है बल्ब नहीं, लिहाजा जैसे ही तार बदला गया ये बल्ब फिर जलने लगा. साल 2013 में ऐसा लगा कि ये बल्ब फ्यूज हो गया है. लेकिन तार की जांच करने पर पता लगा कि 76 साल पुराना तार खराब हो गया है बल्ब नहीं, लिहाजा जैसे ही तार बदला गया ये बल्ब फिर जलने लगा.साल 2013 में ऐसा लगा कि ये बल्ब फ्यूज हो गया है. लेकिन तार की जांच करने पर पता लगा कि 76 साल पुराना तार खराब हो गया है बल्ब नहीं, लिहाजा जैसे ही तार बदला गया ये बल्ब फिर जलने लगा.

इस सेंटिनियल बल्ब के दीवाने दुनियाभर में हैं. इसी को देखते हुए इसकी एक खास वेबसाइट तैयार की गई. वो वेबसाइट एक कैमरे से जोड़ी गई. ये कैमरा हर 30 सेकेंड में जलते हुए बल्ब की नई तस्वीर अपडेट करके दुनियाभर को लाइव पहुंचाता है. साथ ही ये वेबसाइट बल्ब से जुड़ी तमाम जानकारियां, फोटो गैलरी और इतिहास के बारे में बताती है. आप भी इस वेबसाइट पर जाकर जलते हुए बल्ब को कैम के जरिए देख सकते हैं.

इस सेंटिनियल बल्ब के दीवाने दुनियाभर में हैं. इसी को देखते हुए इसकी एक खास वेबसाइट तैयार की गई. वो वेबसाइट एक कैमरे से जोड़ी गई. ये कैमरा हर 30 सेकेंड में जलते हुए बल्ब की नई तस्वीर अपडेट करके दुनियाभर को लाइव पहुंचाता है. साथ ही ये वेबसाइट बल्ब से जुड़ी तमाम जानकारियां, फोटो गैलरी और इतिहास के बारे में बताती है. आप भी इस वेबसाइट पर जाकर जलते हुए बल्ब को कैम के जरिए देख सकते हैं.

इस सेंटिनियल बल्ब के दीवाने दुनियाभर में हैं. इसी को देखते हुए इसकी एक खास वेबसाइट तैयार की गई. वो वेबसाइट एक कैमरे से जोड़ी गई. ये कैमरा हर 30 सेकेंड में जलते हुए बल्ब की नई तस्वीर अपडेट करके दुनियाभर को लाइव पहुंचाता है. साथ ही ये वेबसाइट बल्ब से जुड़ी तमाम जानकारियां, फोटो गैलरी और इतिहास के बारे में बताती है. आप भी इस वेबसाइट पर जाकर जलते हुए बल्ब को कैम के जरिए देख सकते हैं

http://www.centennialbulb.org/cam.htm

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