पांच बेटो के बावजूद अनाथ हो गई मां

नई दिल्ली: तब अगर परिवारों में मनमुटाव की वजह से किसी सदस्य को घर से बाहर करने की बात होती थी, तो इसका विरोध होता था और परिवार बिखरते नहीं थे. उस समय बिखरे हुए परिवारों को बिखरे हुए मोतियों की माला कहा जाता था, लेकिन समय बदला और इस समय के साथ अपनों के प्रति हमारा आचरण और व्यवहार भी बदल गया. संयुक्त परिवार यानी जो संयुक्त कुटुम्ब भारत की ताकत होते थे, वो ताकत कमजोर हो गई.

आज बड़ी बड़ी इमारतों में सैकड़ों लोग तो रहते हैं, लेकिन ये सैकड़ों लोग सैकड़ों परिवार में बंटे हुए हैं. अब संयुक्त परिवार बहुत कम मिलते हैं और एक कड़वी सच्चाई तो ये है कि भारत में अब बहुत सी संतानें अपने माता पिता को अपने साथ नहीं रखना चाहती हैं. वो अपने माता पिता की सम्पत्ति तो चाहती हैं, लेकिन माता पिता को अपने साथ रखने के संस्कार उनमें नहीं हैं. इसलिए आज हम आपके साथ इस विषय पर चर्चा करना चाहते हैं.

मध्य प्रदेश के राजगढ़ से आई एक ख़बर. यहां पांच बेटों ने अपनी एक मां को भूखा मरने के लिए छोड़ दिया. रामकुंवर बाई के पति जब जिंदा थे, तब उनके पांचों बेटे उनके साथ रहते थे, लेकिन फिर उनकी शादी होती चली गई और उनके बेटों ने माता पिता से ख़ुद को अलग कर लिया. पांचों बेटे शादी के बाद अलग हो गए और इस तरह परिवार टूट गया.

जब पिता की मौत हुई और मां अपने बेटों का सहारा चाहती थी, तो इनमें से किसी बेटे ने अपनी मां को नहीं रखा. विडम्बना देखिए कि इस महिला ने अपने पांच बेटों की परवरिश की, लेकिन ये पांच बेटे अकेली मां को नहीं रख पाए. जो बात सबसे ज़्यादा हैरान करती है, वो ये कि इस महिला के पांचों बेटों ने अपने पिता की मौत के तुरंत बाद उनकी पैतृक सम्पत्ति को बेच दिया.

उनके पिता के पास साढ़े 6 एकड़ ज़मीन थी, जिसमें से साढ़े 5 एकड़ ज़मीन इन लोगों ने बेच दी. इससे उन्हें जो पैसा मिला इन लोगों ने उसे आपस में बांट लिया और जो आधा एकड़ ज़मीन बची, वो इन लोगों ने गांव के एक व्यक्ति को दे दी और उससे ये कहा कि वो उनकी मां का ध्यान रखे. यानी इन पांचों बेटों ने अपनी बेसहारा मां को एक ऐसे व्यक्ति के पास छोड़ दिया, जिसका उससे कोई लेना देना नहीं था. महत्वपूर्ण बात ये है कि इस व्यक्ति ने भी ये ज़मीन बेच दी और इस बुज़ुर्ग महिला को घर से बेदख़ल कर दिया.

हालां​कि भारत में इस तरह का ये पहला मामला नहीं है. पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनसे पता चलता है कि भारत में लोग अपने बुज़ुर्ग माता पिता के साथ नहीं रहना चाहते. यही नहीं आज के ज़माने में एक भाई भी अपने भाई के साथ संयुक्त परिवार यानी जॉइंट फैमिली में नहीं रहना चाहता.

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