MSP न बंद होगी, न खत्म होगी:पीएम

उदय दिनमान डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के किसानों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि कुछ लोग किसानों के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं। वे कृषि सुधारों पर झूठ का जाल फैला रहे हैं। किसानों को जमीन जाने का डर दिखाकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं। MSP न बंद होगी, न खत्म होगी। हम पिछली सरकार से ज्यादा MSP दे रहे हैं।

समय हमारा इंतजार नहीं कर सकता। तेजी से बदलते परिदृश्य में भारत का किसान सुविधाओं के अभाव में पिछड़ता जाए, ये ठीक नहीं है। जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वे अब हो रहे हैं। पिछले 6 साल में सरकार ने किसानों को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए हैं। नए कानूनों की चर्चा बहुत हो रही है। ये कानून रातों-रात नहीं आए। 20-22 साल से देश की और राज्यों की सरकारों, किसान संगठनों ने इस पर विमर्श किया। कृषि अर्थशास्त्री, वैज्ञानिक इस क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं।

किसानों को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो लोग अपने घोषणापत्र में सुधारों के वादे तो करते रहे, पर मांगों को टालते रहे, क्योंकि किसान प्राथमिकता में नहीं था। पुराने घोषणापत्र देखे जाएं, पुराने बयान सुने जाएं तो आज जो कृषि सुधार किए गए हैं, वे वैसे ही हैं, जो बातें कही गई थीं। उनको पीड़ा इस बात की है कि जो हमने कहा, वो मोदी ने कैसे कर दिया। मोदी को क्रेडिट कैसे मिला? मैं कहता हूं कि सारा क्रेडिट अपने पास रख लीजिए, लेकिन किसानों को आसानी रहने दीजिए। अब अचानक झूठ का जाल फैलाकर किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर वॉर किए जा रहे हैं।

सरकार बार-बार पूछ रही है कि किस क्लॉज में दिक्कत है, बताइए। इन दलों के पास इसका कोई जवाब नहीं है। किसानों की जमीन चली जाएगी, इसका डर दिखाकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं। जब उन्हें सरकार चलाने का मौका मिला था, तब उन्होंने क्या किया, ये याद रखना जरूरी है। उनका कच्चा चिट्ठा आपके सामने खोलना चाहता हूं। किसानों की बातें करने वाले लोग, झूठे आंसू बहाने वाले लोग कैसे हैं, इसका सबूत स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट है। ये लोग इस रिपोर्ट को 8 साल दबाकर बैठे रहे।

इन्हें लगा कि सरकार को किसानों पर ज्यादा खर्च न करना पड़े, इसलिए रिपोर्ट को दबाकर रखा। हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है। हमने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट निकाली। किसानों को लागत का डेढ़ गुना MSP दिया। किसानों के साथ धोखाधड़ी का उदाहरण कर्जमाफी का वादा है। मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले कहा गया कि कर्ज माफ कर देंगे, लेकिन हुआ कुछ नहीं। राजस्थान के लाखों किसान आज भी कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं। मैं यही सोचता हूं कि कोई इस हद तक भोले-भाले किसानों के साथ छल-कपट कैसे कर सकता है।

एक झूठ बार-बार बोला जा रहा है। मैंने कहा कि स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने का काम हमारी सरकार ने किया। सरकार MSP को लेकर इतनी गंभीर है कि बुआई से पहले इसकी घोषणा करती है। किसानों को पता चल जाता है कि किस फसल पर कितनी MSP मिलने वाली है। ये कानून 6 महीने पहले लागू हो चुके थे। MSP की घोषणा पहले की तरह हुई, खरीद उन्हीं मंडियों में हुई। कानून बनने के बाद MSP की घोषणा हुई, इसी MSP पर फसलों की खरीदी हुई। मैं कहना चाहता हूं कि MSP न बंद नहीं होगी, न खत्म होगी।

हमारी सरकार ने गेहूं और धान की खरीद पर किसानों को 8 लाख करोड़ से ज्यादा दिए। पहले की सरकार में दाल विदेश से मंगाई जाती थी। जिस देश में दाल की सबसे ज्यादा खपत है, वहां के किसानों को तबाह करने में इन लोगों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। किसान परेशान थे, ये लोग मौज ले रहे थे। ये सच है कि कभी प्राकृतिक आपदा या संकट आने पर विदेश से मदद ली जा सकती है, लेकिन हमेशा तो ऐसा नहीं कर सकते।

2014 से पहले उनके 5 साल में किसानों से सिर्फ डेढ़ लाख मीट्रिक टन दाल खरीदी गई। हमने किसानों को दाल की पैदावार के लिए प्रोत्साहित किया। हमने 112 लाख मीट्रिक टन दाल खरीदी। उन्होंने दाल पैदा करने वाले किसानों को 650 करोड़, तो हमने 50 हजार करोड़ दिए। आज दाल के किसान को ज्यादा पैसा मिल रहा है। जो लोग न किसानों को न ढंग से MSP दे सके, न MSP पर ढंग से खरीदी कर सके, वे किसानों को गुमराह कर रहे हैं।

70 साल से किसान सिर्फ मंडी में अनाज बेच सकता रहा था। नए कानून में सिर्फ इतना कहा है कि जहां फायदा हो वहां अनाज बेचें। चाहे मंडी में उपज बेचें या फिर बाहर जाकर। सब कुछ किसान की मर्जी पर है। नए कानूनों के तहत किसान ने उपज बेचना शुरू भी कर दी है। बीते दशकों में किसानों के साथ जो पाप किया गया है, हम कानून बनाकर सिर्फ इसका प्रायश्चित कर रहे हैं। पता नहीं क्यों झूठ फैलाया जा रहा है।

APMC बंद करने की बात कहां से आ रही है? एक और झूठ चल रहा है- फार्मिंग एग्रीमेंट को लेकर। हम कोई नया फार्मिंग एग्रीमेंट लागू नहीं कर रहे। कई राज्यों में पहले से ऐसे एग्रीमेंट चल रहे हैं। देश में फार्मिंग एग्रीमेंट से जुड़े जो तौर-तरीके थे, उनमें बहुत रिस्क था। हमने तय किया कि फार्मिंग एग्रीमेंट में सबसे बड़ा हित किसान का देखा जाएगा। किसान के साथ जो वादा किया जाएगा, उसे पूरा करना होगा। अगर एग्रीमेंट में कम पैसे थे, पर मुनाफा बढ़ गया तो किसान को इसमें से भी पैसा मिलेगा। नए कानून में सख्ती स्पॉन्सर पर दिखाई गई है, किसान पर नहीं। स्पॉन्सर को एग्रीमेंट खत्म करने का अधिकार नहीं है।

जिन थोड़े से किसानों में नए कानूनों को लेकर जो आशंका बची है, वे समझें और भ्रम फैलाने वालों से सावधान रहें। मेरे कहने के बाद, सरकार के प्रयासों के बाद अगर आपके मन में शंका है, तो हम सिर झुकाकर, विनम्रता से बात करने के लिए तैयार हैं। किसान का हित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। 25 दिसंबर को अटल जी के जयंती के मौके पर फिर इस विषय पर किसानों से बात करूंगा।

नया-पुराना हर अनुभव बताता है कि जितनी ये घोषणा करते हैं, उतना कभी करते नहीं हैं। किसान सोचते थे कि कर्ज माफ होगा, लेकिन उन्हें मिलता था बैंक का नोटिस। मीडिया के लोग ये खंगालेंगे तो 8-10 साल पहले की रिपोर्ट में सब मिल जाएगा। कुछ बड़े किसानों का कर्ज माफ हो गया, इनकी राजनीतिक रोटी सिंक गई, बाकी छोटे किसानों को कौन पूछता है? देश ये सब देख रहा है। देश हमारी नीयत में गंगाजल, मां नर्मदा के जल जैसी पवित्रता देख रहा है। इन्होंने 10 साल में एक बार कर्ज माफ करके 50 हजार करोड़ देने की बात कही। हमारे समय में 10 साल में 7.5 लाख करोड़ किसानों को मिल जाएगा।

हम अन्नदाता को ऊर्जा दाता बनाने के लिए काम कर रहे हैं। मधुमक्खी, पशु और मछली पालन को महत्व दे रहे हैं। पहले 76 हजार टन शहद का उत्पादन होता था, आज 1.76 लाख टन शहद का उत्पादन हो रहा है। मत्स्य संपदा योजना भी शुरू की गई है। मैं विश्वास से कहता हूं कि कृषि सुधारों पर अविश्वास का कोई कारण ही नहीं है।

आज किसानों के खाते में बिना किसी बिचौलिए के 1600 करोड़ जमा कराए गए। टेक्नोलॉजी के कारण ये संभव हुआ है। भारत ने ये जो आधुनिक व्यवस्था बनाई है, दुनियाभर में उसकी चर्चा हो रही है। आज यहां कई किसानों को क्रेडिट कार्ड सौंपे गए हैं। पहले यह हर किसी को नहीं मिलता था। हमारी सरकार ने इसके लिए नियमों में बदलाव किया। अब किसानों को खेती के लिए जरूरी पूंजी मिल रही है। किसानों को अब कर्ज लेने से मुक्ति मिली है।

ये बात सही है कि किसान कितनी भी मेहनत कर ले, लेकिन फल-सब्जियों का सही भंडारण न हो तो बहुत नुकसान होता है। ये सिर्फ किसान का नहीं, ये पूरे हिंदुस्तान का नुकसान है। करीब एक लाख करोड़ के फल-सब्जियां इस वजह से बर्बाद हो जाते हैं। पहले इसे लेकर बहुत उदासीनता थी। हमारी प्राथमिकता देश में कोल्ड स्टोरेज का स्ट्रक्चर बनाना है। मैं उद्योग जगत से कहूंगा कि भंडारण, फूड प्रोसेसिंग की व्यवस्था करने के लिए आगे आएं। हो सकता है कि आपकी कमाई कुछ कम हो, लेकिन किसानों का भला होगा।

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