रहस्य: बिना तेल और घी के जलता है तिरुपति बालाजी मंदिर में दीया

उदय दिनमान डेस्कः भगवान तिरुपति बालाजी का जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। तिरुपति वेंकटेश्वर बालाजी मन्दिर भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। तिरुमला की पहाड़ियों पर बना श्री वैंकटेश्‍वर बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति में स्थित है।

यह मंदिर समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थित है और तिरुपति के सबसे बड़े आकर्षण का केंद्र है। कहा जाता है जो भी व्यक्ति एक बार यहाँ दर्शन कर ले उसके भाग खुल जाते हैं। इस मंदिर की लोकप्रियता से हर कोई वाकिफ है पर क्या आप मंदिर के चमत्कारी रहस्यों के बारे में जानते हैं।

मान्यता है कि जब भगवान की पूजा की जाती है तो उनकी मूर्ति मुस्कुराने लगती है। भगवान तिरुपति वेंकटेश्वर बालाजी की मूर्ति में माता लक्ष्मी भी समाहित है। मान्यता है कि भगवान तिरुपति वेंकटेश्वर की मूर्ति इस मंदिर में स्वयं प्रकट हुई थी।

कहा जाता है भगवान तिरुपति वेंकटेश्वर बालाजी की मूर्ति पर लगे हैं बाल असली हैं। यह बाल कभी भी उलझते नहीं हैं और हमेशा मुलायम रहते हैं।

जब आप मंदिर के गर्भ गृह के अंदर जायेंगे तो ऐसा लगेगा कि भगवान श्री वेंकेटेश्वर की मूर्ति गर्भ गृह के मध्य में स्थित है, पर जब आप गर्भ गृह से बाहर आकर मूर्ति को देखेंगे तो प्रतीत होगा कि भगवान की प्रतिमा दाहिनी तरफ स्थित है।

तिरुपति वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थित है लेकिन फिर भी भगवान की मूर्ति से समुद्र की आवाजें सुनाई देती हैं। यहाँ के लोगों का मानना है कि भगवान की यह मूर्ति समुद्र से प्रकट हुई थी इसलिए इससे समुद्र की आवाज सुनाई देती है।

तिरुपति वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर के द्वार पर एक छड़ी रखी हुई है। इस छड़ी को लेकर अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु धरती पर माता लक्ष्मी को ढूंढ़ने आये थे तो यह छड़ी उन्हें उनका पता बता रही थी।

ऐसी मान्यता है कि यह वहीं छड़ी है जिससे बचपन में भगवान वेंकटेश्वर जी को चोट लगी थी। चोट का निशान आज भी उनकी मूर्ति के चेहरे पर है। इसलिए हर शुक्रवार उनके चेहरे पर चन्दन का लेप लगाया जाता है।

श्री तिरुपति वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर में श्रृंगार, प्रसाद के चढ़ाये जाने वाली सामग्री तिरुपति बालाजी के गांव से आती है। यह गांव मंदिर से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहाँ बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर प्रतिबंध है।

श्री वेंकेटेश्वर बालाजी मंदिर में एक ऐसा दीया रखा हुआ है जो हमेशा जलता रहता है और चौंकाने वाली बात यह है कि इस दीपक में कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता। दीपक को सबसे पहले किसने और कब प्रज्वलित किया था यह बात अब तक रहस्य बनी हुई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *