चंडीगढ़। नवंबर महीने के कुछ दिन शेष हैं। पांच साल बाद सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ में नवंबर महीना सूखा बीता। इस बार नवंबर महीने में एक बार भी बारिश नहीं हुई है। इससे पहले वर्ष 2017 में भी नवंबर महीने में एक भी बारिश नहीं हुई थी।
वर्ष 2018 में शहर में 5.3 एमएम बारिश हुई थी,वर्ष 2018 में 15.2 एमएम बारिश, वर्ष 2020 में 5.3 एमएम बारिश और वर्ष 2021 में 0.6 एमएम बारिश हुई थी। दूसरी तरफ पहाड़ों में बर्फबारी और शीत लहर चलने से तापमान में जरूर गिरावट दर्ज की गई है।
रविवार को दिन का आगाज खिली धूप के साथ हुआ, शहर का अधिकतम तापमान 26.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जोकि सामान्य तापमान से एक डिग्री सेल्सियस कम है। वहीं न्यूनतम तापमान 9.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया,जोकि सामान्य तापमान से एक डिग्री सेल्सियस कम है। खिले मौसम का असर शहर के बाजारों,पार्कों और सुखना लेक पर भी देखने को मिला,लोगों ने घरों से बाहर निकलकर रविवार को अपनी छुट्टी का लुत्फ उठाया।
मौसम विभाग के निदेशक मनमोहन सिंह ने बताया मानसून सीजन के बाद उत्तर भारत में बारिश केवल पश्चिमी विक्षोभ की वजह से होती है। उत्तर भारत में अक्टूबर और नवंबर में पश्चिमी विक्षोभ कम सक्रिय रहता है। दिसंबर में इसकी सक्रियता बढ़ती है। जिस वजह से बारिशें होती है। 15 दिसंबर के बाद एक बार फिर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा, जिससे पूरे उत्तर भारत में बारिश होगी।
पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बन्स भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाक़ों में सर्दियों के मौसम में आने वाले ऐसे तूफ़ान को कहते हैं जो वायुमंडल की ऊंची तहों में भूमध्य सागर,अंडमान सागर और कैस्पियन सागर से नमी लाकर उसे अचानक वर्षा और बर्फ़ के रूप में उत्तर भारत,पाकिस्तान व नेपाल पर बरसा देता है।
दूसरी तरफ सर्दियों की आहट के साथ ही बाजार भी सर्दियों से जुड़े सामान से सज गए है। सेक्टर -19 और सेक्टर -22 के बाजारों में गर्म जुराबें,जैकेट्स, मफलर और रंग बिरंगी टोपियों से सजे पड़े हैं।
इसके अलावा मूंगफली,गुड की चिक्की (गच्चक)आदि की दुकानें भी सड़क किनारे सज गई हैं। लोग इनका खूब सेवन कर रहे हैं। चाय की दुकानों पर भी अदरक वाली चाय की महक और इसको पीने वालों की तदाद बढ़ गई है।