आपरेशन जिंदगीः डरी,सहमी और खामोश तपोवन घाटी में जीवन की आस बाकी

नेशनल जीओ फिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट की सर्वे रिपोर्ट में टनल में अच्छा एयर गैप मिला

संतोष *सप्ताशु*

देहरादून। पहाड़ में जिंदगी पहाड़ जैसी। डरी,सहमी और खामोश तपोवन घाटी में इसकी वानगी देखी गयी। घाटी में जल्दी ही रौनक फिर से लौटेगी। लेकिन जो जख्म इस आपदा ने दिए है वह सालों तक दर्द देते रहेंगे। तपोवन घाटी से मेरा बहुत लगाव है क्योंकि मेरी जीवनी संगनी का मायका है और इस घाटी के चप्पे-चप्पे से वाकिव हूॅ। कुछ साल पहले जब ऋषिगंगा पर प्रोजेक्ट शुरू हो रहा था तब गया था। विकास की धरा को बहते हुए करीब से देखा। पूरी घाटी विकास के साथ आधुनिकता की चकाचैंध में चमचमाती नजर आ रही थी। गांव-गांव में रौनक थी और हर व्यक्ति के चेहरों पर मुस्कान थी। रविवार को आयी आपदा ने यह सब एकदम से छीन लिया और डरी, सहमी और खामोश तपोवन घाटी की आज की तस्वीर किसी पुराने जख्म की तरह फिर से दर्द देने लगी। नेशनल जीओ फिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के सर्वे रिपोर्ट में टनल में अच्छा एयर गैप मिला है। टनल के अध्ययन से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट तो साझा नहीं की जा सकती मगर, इतना अवश्य है कि टनल में काफी अच्छा एयर गैप है, जिसमें जीवन की संभावनाएं हो सकती है।

वर्ष 2013 की हिमालयी सुनामी के दौरान ग्राउंड जीरों पर रिपोटिंग करने और अपनी केदारघाटी की खूबसूरती को खत्म होते करीब से देखा। आज भी केदारघाटी के उस जख्म के बारे में सोचते ही दर्द होने लगता है, लेकिन समय के साथ इस घाटी में धीरे-धीरे ही सही पर रौनक लौटने लगी है। ऐसा ही तपोवन घाटी में भी होगा, लेकिन वक्त लगेगा।इस समय डरी, सहमी और खामोश तपोवन घाटी में ऋषिगंगा प्रोजेक्ट में फंसी जिंदगियों को बचाने के लिए चल रहे आपरेशन जिंदगी पर सभी की निगाहें हैं और सभी दिल से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि सभी जिंदगियों को सकुशल बचा लिया जाए।

आपको बता दें कि चमोली गढ़वाल की नीती घाटी में आई आपदा से विष्णुगाड में दबी एनटीपीसी के बांध की टनल में अभी जीवन की आस बाकी है। नेशनल जीओ फिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के सर्वे रिपोर्ट में टनल में अच्छा एयर गैप मिला है। इस रिपोर्ट के बाद अब रेस्क्यू दल ने अगली रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का एयरबोर्न हाई रेजुलेशन इलेक्ट्रो मैगनेटिक सर्वे कर रही नेशनल जीओ फिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआइ) से राज्य सरकार ने दबी टनल के भूगर्भीय अध्ययन के लिए मदद मांगी थी। जिस पर नेशनल जीओ फिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआइ) के मिशन हेड वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुभाष चंद्रा की देखरेख में मंगलवार को चमोली आपदा क्षेत्र में सर्वे शुरू किया था। मंगलवार रात को ही एनजीआरआइ ने अपनी अध्ययन रिपोर्ट एसडीआरएफ को सौंप दी थी। डॉ. सुभाष चंद्रा ने बताया कि टीम ने यहां टनल के अध्ययन के लिए दो दौर का सर्वे किया था। उन्होंने बताया कि टनल का अध्ययन कर गोपनीय रिपोर्ट एसडीआरएफ को सौंप दी गई है।

इस रिपोर्ट पर दो दौर की वार्ता के साथ उच्चाधिकारियों के साथ रणनीति पर भी चर्चा हुई है। जिसके बाद रेस्क्यू टीम टनल में रेस्क्यू की रणनीति बना रही हैं। डॉ. सुभाष चंद्रा ने बताया कि हाई रेजुलेशन इलेक्ट्रो मैगनेटिक सर्वे में सिर्फ भूगर्भ के भीतर पानी, चट्टान, सिल्ट व एयरगैप का पता लगाया जा सकता है। इसमें जैविक घटक की मौजूदगी का पता नहीं चल पाता है। डॉ. चंद्रा के मुताबिक टनल के अध्ययन से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट तो साझा नहीं की जा सकती मगर, इतना अवश्य है कि टनल में काफी अच्छा एयर गैप है, जिसमें जीवन की संभावनाएं हो सकती है।

सात फरवरी सुबह करीब साढ़े नौ बजे आई आपदा के बाद से तपोवन जल विद्युत परियोजना की सुरंग में फंसे लोगों को निकालने में एक हजार से अधिक बचाव कर्मियों के साथ कई अत्याधुनिक मशीनें लगी हैं। इसके बाद भी आपदा की भयावता के आगे सारे इंतजाम नाकाफी लग रहे हैं। सुरंग के अंदर की विकट परिस्थिति के चलते  अभी तक टनल में लापता लोगों का पता नहीं चल सका है। हर किसी की आस है कि इससे पहले की सुरंग में फंसे लोगों की सांस टूटे, उन तक जीवनरक्षक पहुंच जाएं।

सुरंग के अंदर करीब 150 मीटर तक ही मलबा हटाया जा सका है, जबकि सुरंग करीब तीन किमी लंबी है। मलबा कहां तक गया है यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है। पूरे बचाव दल का फोकस तपोवन की सुरंग पर ही है। एनडीआरएफ की ओर से सुरंग के अंदर ड्रोन कैमरा भी भेजा गया, लेकिन फंसे लोगों का कुछ पता नहीं लग पाया है। बचाव कर्मियों के जोश और कार्य करने की क्षमता में कोई कमी नहीं आई है। वह पूरी क्षमता के साथ कार्य कर रहे हैं, लेकिन सुरंग के अंदर एक बार में एक ही मशीन जा पा रही है जो अंदर से गाद को उठाकर बाहर ला रही है, जिसमें काफी समय लग रहा है। इसी हर कोई कामना कर रहा है कि अंदर फंसे लोग सुरक्षित हों। आईटीबीपी का कहना है कि बचाव का काम टनल के आखिरी छोर तक चलेगा।

बचावदल
एसडीआरएफ        100
एनडीआरएफ         176
आईटीबीपी           425
एसएसबी          एक  टीम
आर्मी              124 (नेवी-16जवान, एयरफोर्स-दो जवान व तीन हेलीकॉप्टर)
फायर विभाग        16 जवान
राजस्व विभाग      20 कर्मी
सिविल पुलिस        26 कर्मी
दूरसंचार             07 कर्मी
बीआरओ               150 मजदूर, दो जेसीबी, एक व्हील लोडर, दो हाइड्रो एक्सकैवेटर।
– आर्मी मेडिकल की दो टीमें व दो एंबुलेंस
– स्वास्थ्य विभाग की चार मेडिकल टीम, चार एंबुलेंस, पांच 108 वाहन।

रिजर्व में…
आईटीबीपी        –        400  जवान
आर्मी              –            220 जवान
फायर विभाग      –             39 जवान
आर्मी चौपर            तीन (जोशीमठ में)
स्वास्थ्य विभाग        चार मेडिकल टीम, पांच एंबुलेंस

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