आपरेशन जिंदगीः अलकनंदा नदी में पानी का बहाव बढ़ा, खाली कराया गया क्षेत्र

तपोवन: ऋषिगंगा में जल प्रलय के बाद तपोवन जल विद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे तीन इंजीनियरों समेत 35 कर्मचारियों तक पहुंचने में सुरंग के जरिए भारी मात्रा में आ रहा मलबा बचाव दल के समक्ष बड़ी बाधा बनकर सामने आया है। अभी तक आपदा में 170 लोग लापता हैं। 34 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं, जिनमें से नौ लोगों की शिनाख्त हो चुकी है। 12 मानव अंग क्षत-विक्षत हालत में मिले हैं। हेलीकॉप्टर से लगातार नीती घाटी के गांवों में राहत सामग्री वितरित की जा रही हैं।उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि नदी में पानी के स्तर में वृद्धि के कारण बचाव अभियान अस्थायी रूप से रुका हुआ है। निचले इलाकों को खाली करने के आदेश दिए गए हैं।

एनटीपीसी परियोजना निदेशक उज्जवल भट्टाचार्य का कहना है कि ड्रिलिंग के बाद हम छह मीटर की दूरी तक पहुंच गए और फिर महसूस हुआ कि वहां पानी आ रहा है। अगर हम ड्रिलिंग जारी रखते तो चट्टानें अस्थिर होतीं और समस्याएं बढ़ जातीं। इसलिए हमने ड्रिलिंग ऑपरेशन को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया है।बताया गया कि अलकनंदा नदी का जल स्तर दो गुना ज्यादा हो गया है। अभी भी राहत बचाव कार्य रुका हुआ है।लगातार अलकनंदा नदी में पानी का बहाव तेज हो रहा है। जिस वजह से मौके पर अफरातफरी का माहौल है। लाउड स्पीकर के द्वारा सभी लोगों को सतर्क किया जा रहा है।

सुरंग के पास नदी का बहाव तेज हो गया है। राहत बचाव क्षेत्र को खाली कराया गया है। सुंरग के पास करीब आधा किमी. का क्षेत्र खाली कराया गया है। रैणी क्षेत्र में अलकनंदा नदी में पानी का बहाव बढ़ गया है। इस वजह से राहत बचाव कार्यों में लगी मशीनों और कर्मियों को सुरंग से वापस बुला लिया गया है। लोगाें को प्रभावित क्षेत्र से हटाया जा रहा है।कई परिजन राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के सामने फूट-फूट कर रोए। उन्हाेंने कहा कि सुरंग में फंसे हमारे लोगों को निकालने के लिए राहत बचाव कार्य धीमी गति से हो रहा है।

तपोवन में राज्यपाल के सम्मुख लापता लोगों के परिजनों ने सुरंग में बेहद धीमी गति से कार्य होने की शिकायत की। कहा कि चार दिनों से सिर्फ 100 मीटर तक ही मलबा हटाया गया है। मौके पर मौजूद अधिकारी गुमराह कर रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने राहत, बचाव कार्य में तेजी लाने के निर्देश दे दिए गए हैं। मलबा हटाने के लिए नई मशीनें लगाई जाएंगी।राज्य सरकार का कहना है कि चमोली में ग्लेशियर फटने से कुल 204 लापता लोगों में से 34 शव बरामद कर लिए गए हैं। जिनमें से 10 की पहचान हाे चुकी है।

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने तपोवन पहुंचकर आपदा प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया और लापता लोगों को ढांढस बंधाया। उन्होंने ग्रामीणों से राहत बचाव कार्य में तेजी लाने की बात की है। राज्यपाल हैलीकॉप्टर से जोशीमठ पहुंचीं हैं।तपोवन सुरंग में फंसे लोगों के राहत बचाव कार्य में नई-नई चुनौती सामने आ रही हैं। बुधवार देर रात शुरू हुआ ड्रिलिंग का काम रोक दिया गया। अब फिर से मुख्य सुरंग की सफाई कर टी प्वाइंट की तरफ बढ़ने की रणनीति पर काम करने का फैसला लिया गया है।

उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्य और विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल भी आपदा प्रभावित क्षेत्र रैणी गांव में पहुंचे हैं। वह तपोवन में घटना स्थल का निरीक्षण कर रहे हैं।उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार ने कहा है कि बुधवार तक मलबा हटाने के लिए बड़ी सुरंग में बचाव अभियान चल रहा था। अब छोटी व्यास सुरंग में ड्रिलिंग भी शुरू कर दी है।

रुका हुआ ड्रिलिंग का कार्य फिर से शुरू हो गया है। सुरंग में कुछ देर के यह कार्य रुका था। वहीं इसके साथ एक डोजर मलबा हटाने का कार्य कर रहा है।तपोवन सुरंग में पांच मिटर तक ड्रिलिंग के बाद अब काम रोक दिया गया है। अंदर गैस बनने के कारण ड्रिलिंग करने में परेशानी हो रही है। जिस कारण फिलहाल काम रोक दिया गया है।

तपोवन दैवीय आपदा का आज पांचवा दिन है। वर्तमान में एसडीआरएफ की आठ टीमों सहित अनेक राहत बचाव बल अभियान में शामिल हैं। रैणी गांव से श्रीनगर तक खोजबीन जारी है। ड्रोन ओर मोटरबोट से भी खोज की जा रही है। डॉग स्क्वार्ड टीम भी मौके पर है। अलकनंदा के तटों पर बायनाकुलर से भी सर्च अभियान जारी है।

अभी तक आपदा में 170 लोग लापता हैं। 34 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं, जिनमें से नौ लोगों की शिनाख्त हो चुकी है।चमोली में तपोवन सुरंग के अंदर बचाव अभियान जारी है। आईटीबीपी की डीआईजी अपर्णा कुमार के मुताबिक ऐसी संभावना है कि सुरंग के अंदर कुछ और लोगों के फंसे होने की आशंका है। एनटीपीसी की टीम वर्टिकल ड्रिलिंग कर रही है।

आपदा के कारण चमोली जिले में कटे हुए गांवों में आईटीबीपी के जवान झूला पुल का निर्माण कर रहे हैं। इस पुल से प्रभावित गांवों में राशन वितरण किया जाएगा।चमोली आपदा में बचाव अभियान के दौरान बरामद हो रहे शवों को शिनाख्त के लिए 72 घंटे के स्थान पर 96 घंटे सुरक्षित रखा जाएगा। दूसरे राज्यों के परिजन होने के कारण राज्य सरकार ने पहचानके लिए एक दिन बढ़ाया है। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने इसकी पुष्टि की है।

डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि बरामद शवों की डीएनए सैंपलिंग और संरक्षण के लिए राज्य एफएसएल की भी मदद ली जा रही है। सभी मानदंडों का पालन हो रहा है। बरामद शवों को मोर्चरी कर्णप्रयाग, जोशीमठ और गोपेश्वर में रखा गया है। आपदा में लापता हुए लोगों की सूची व बरामद हुए शवों की पहचान के लिए अन्य राज्यों की पुलिस से भी लगातार संपर्क किया जा रहा है। शवों से मिले आभूषण, टैटू व अन्य पहचान चिन्हों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कर उन्हें सुरक्षित रखा जा रहा है। चमोली में स्थापित कंट्रोल रूम के नंबर 01372-251487 और 9084127503  जारी किए गए हैं।

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