टेक्नोलॉजी: बिना तारों के घर-घर पहुंचेगी बिजली

ऑकलैंड: बिना तारों के बिजली की सप्लाई की कल्पना साकार होने वाली है। आने वाले महीनों में न्यूजीलैंड की एक फर्म एमरोड, ऊर्जा वितरण कंपनी पावरको और टेस्ला मिलकर इसका ट्रायल करने जा रहे हैं। ये तीनों ऑकलैंड उत्तरी द्वीप में स्थित एक सोलर फार्म से कई किमी दूरदराज स्थित बस्तियों में बीम एनर्जी के जरिए बिजली पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं।

इस टेक्नोलॉजी के तहत माइक्रोवेव की बहुत पतली बीम के रूप में बिजली पहुंचाई जाएगी। पावर बीमिंग की इस प्रक्रिया का पहले भी इस्तेमाल किया जा चुका है, लेकिन यह सेना से जुड़े काम और अंतरिक्ष से जुड़े प्रयोगों तक ही सीमित था। 1975 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने माइक्रोवेव के जरिेए 1.6 किमी दूरी तक 34.6 किलोवॉट बिजली भेजने का रिकॉर्ड बनाया था। हालांकि इसका इस्तेमाल व्यावसायिक उपयोग के लिए नहीं किया गया।

एमरोड कंपनी के फाउंडर ग्रेग कुशनिर ने बताया कि हम शुरुआत में 1.8 किमी तक कुछ किलोवॉट बिजली भेजेंगे। धीरे-धीरे दूरी और पावर में बढ़ोतरी करेंगे। उन्होंने बताया कि इससे दूरदराज इलाकों में बिजली भेजने पर तारों के भारी भरकम खर्च से निजात मिलेगी।

कुशनिर के मुताबिक बिना तारों के बिजली पहुंचाने की दो और टेक्नोलॉजी पर उनकी कंपनी काम कर रही है। इनमें से एक रिले है, ये निष्क्रिय उपकरण है। यह लैंस की तरह काम करता है और माइक्रोबीम को रीफोकस करके कम से कम ट्रांसमिशन लॉस के जरिए बिजली पहुंचाता है।

दूसरे मेटामटेरियल्स हैं। ये पहले से ही क्लोकिंग डिवाइस में लगाए जाते रहे हैं। ये युद्धपोत और लड़ाकू विमान को रडार से बचने में मदद करते हैं। पर साथ ही ये विद्युत चुंबकीय तरंगों को बिजली में बेहतर तरीके से बदलने में सक्षम हैं।

एमरोड के अलावा सिंगापुर की ट्रांसफरफाई, अमेरिका की पावरलाइट टेक्नोलॉजी भी हवा से बिजली भेजने की योजना पर काम कर रही हैं। जापान की मित्सुबिशी भी सोलर पैनल लगे उपग्रहों से बिजली सप्लाई की संभावना तलाश रही है।

हवा में बिजली सप्लाई के जोखिम पर कुशनिर का कहना है कि इन बीम्स का घनत्व काफी कम होगा। इसलिए इंसान और जानवरों पर इसका बहुत असर नहीं होगा। फिर भी एहतियात के लिए इन बीम्स को एक तरह से लेजर के पर्दे से कवर कर दिया जाएगा। लंदन के इंपीरियल कॉलेज की स्टडी के मुताबिक इंसान या अन्य डिवाइसों को इससे कोई खतरा नहीं होगा।

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