आग की चपेट में उत्‍तराखंड के जंगल

गरमपानी : उत्‍तराखंड में पारा चढ़ने से तपिश बढ़ने लगी है। जिस कारण कई जगहों पर जंगल में आग लगने की घटना सामने आ रही है। अब तक जंगलों में आग से हजारों की वन संपदा खाक हो चुकी है।

ताजा घटनाक्रम में नैनीताल जिले के गरमपानी क्षेत्र में समीपवर्ती टूनाकोट से सटा गनाई के जंगल में आग धधकने से हड़कंप मच गया। आग की लपटें तिपोला क्षेत्र की ओर बढ़ने से ग्रामीण दहशत में हैं। गनाई के जंगल में उठी रही आग की लपटों के विकराल रुप लेने से वन संपदा भी जलकर राख हो गई।

गुरुवार शाम के वक्त एकाएक गनाई का जंगल वनाग्नि की चपेट में आ गया। दिन ढलने के साथ चली तेज हवा से आग और भड़क गई। देखते ही देखते आग की लपटें विकराल होती चली गई। कुछ ही देर में पूरा जंगल आग की चपेट में आ गया। वन संपदा के साथ ही चारा पत्ती भी राख हो गई।

गनाई के जंगल से उठी आग का रुख धीरे धीरे तिपोला क्षेत्र की ओर होने से खतरा कई गुना बढ़ गया है। एक के बाद एक जंगल जंगलों के आग की चपेट में आने से गांवों में तपिश भी बढ़ गई है। स्थानीय सुनील सिंह मेहरा ने जंगलों को आग से बचाने को ठोस उपाय किए जाने की मांग की है।

नवंबर से अब उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों के जंगलों में आग लगने के कुल 46 मामले सामने आए हैं। इन घटनाओं में 48.93 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है। हालांकि, गढ़वाल के मुकाबले कुमाऊं में मामले कम दर्ज हुए हैं। लेकिन बढ़ती गर्मी और बारिश नहीं होने की वजह से वन विभाग के लिए आगे चुनौतियां और बढ़ेंगी। आरक्षित वन क्षेत्र के साथ-साथ वन पंचायतों के जंगल में भी आग लगी है।

मुख्य वन संरक्षक वनाग्नि निशांत वर्मा की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2023 से चार अप्रैल के बीच गढ़वाल के जंगलों में 19 बार आग लगी। जिसकी वजह से 21.05 हेक्टेयर जंगल जला। जबकि कुमाऊं में इस अवधि में 12 घटनाओं में 14.93 हेक्टेयर जंगल राख हुआ।

चिंता की बात यह है कि वन्यजीव क्षेत्र यानी नेशनल पार्क और अभयारण्य क्षेत्र में भी 15 बार आग लगी है। जिस वजह से इस क्षेत्र के 12.95 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा। वहीं, 46 में से 37 मामले आरक्षित वन और नौ वन पंचायत के अधिकार वाले जंगल से जुड़े हैं।

जंगलों में लगी आग बुझाने के लिए वनकर्मियों के अलावा दैनिक श्रमिकों की मदद भी ली जाती है। वनकर्मियों संग मवेशियों के आग की चपेट में आने के मामले शून्य हैं। हालांकि, आग के कारण पर्यावरणीय क्षति का आंकड़ा एक लाख रुपये को भी पार कर चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *