इन गांवों में सीएम योगी को भगवान मानते हैं ग्रामीण

गोरखपुर। खानाबदोश की जिंदगी, पहाड़ सी गरीबी और जंगल की जमीन पर खेती से बमुश्किल दो वक्त की रोटी। कुछ साल पहले तक यही पहचान हुआ करती थी वनटांगिया समुदाय के लोगों की। लेकिन अब तस्वीर बदली है। इनकी बस्तियों में झोपड़ी नजर नहीं आती। कतार से पक्के मकान हैं।

इंटरलाकिंग वाली सड़कें, स्कूल और स्वच्‍छ पेयजल, यानी सभी बुनियादी सुविधाएं सुलभ हैं। यही नहीं, वनटांगिया समुदाय के लोग पहली बार अपने गांव की सरकार चुनेंगे। उपेक्षा की गर्त से निकल कर विकास की दौड़ में शामिल वनटांगिया लोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना सब कुछ मानते हैं। कहते हैं-‘जो कुछ भी है, महाराज जी की बदौलत है। वह हर साल हम लोगों के बीच आकर दीपावली मनाते हैं, हमारे दिलों को खुशियों की रोशनी से भर देते हैं।

कुसम्हीं जंगल के घने और अंदरूनी हिस्से में 1918 से वनटांगिया मजदूरों के पांच गांव जंगल तिनकोनिया नंबर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा बसे हैं। जंगल की जमीन पर खेती करना इनके जीविकोपार्जन का साधन था। देश आजाद हुआ। विकास की योजनाएं बननी शुरू हुई, लेकिन वनटांगिया मजदूरों पर किसी की नजर नहीं पड़ी। नतीजतन पीछे छूटते गए। वर्ष 1998 में पहली बार सांसद बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने इन बस्तियों में रहने वालों को मुख्यधारा से जोडऩे का बीड़ा उठाया।

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के सहयोग से उन्होंने इन बस्तियों में न केवल शिक्षा की अलख जगाई, बल्कि गोरखनाथ मंदिर से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ अस्पताल की मोबाइल मेडिकल सेवा को भी इन बस्तियों में पहुंचाया। सांसद रहते हुए 2009 से ही योगी आदित्यनाथ ने वनटांगिया समुदाय के लोगों के साथ दीपावली मनाने की परंपरा शुरू की जो उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद भी कायम है।

 

जंगल तिनकोनिया-नंबर तीन के रहने वाले रामगणेश कहते हैं-‘जिस तरह से भगवान राम ने अहिल्या का उद्धार किया था, उसी तरह से महाराज जी ने वनटांगिया समुदाय के लोगों का उद्धार किया है। आजादनगर, जंगल रामगढ़ उर्फ रजही के रहने वाले किशोर निषाद कहते हैैं-‘योगी जी हमारे लिए भगवान हैैं। उन्होंने हम सबका उद्धार किया। उन्होंने जितना कुछ हम लोगों के लिए किया, उतना किसी और ने नहीं।

इस बार के पंचायत चुनावों को लेकर वनटांगिया समुदाय के लोगों में खासा उत्साह है। वजह यह कि राजस्व ग्राम बनने के बाद पहली बार अपने गांव की सरकार चुनेंगे। पंचायत चुनाव को लेकर वे उत्साहित हैं। 2015 में हुए पंचायत चुनाव में उन्हें मतदान करने का मौका तो मिला था, लेकिन खुद का गांव राजस्व ग्राम न होने की वजह से इन्हें कोई लाभ नहीं मिला।

सिर्फ गोरखपुर ही नहीं, बल्कि महराजगंज में भी मुख्यधारा से कटे रहे वनटांगिया गांवों में अब बदलाव दिख रहा है। इसी तरह कुशीनगर के मुसहर लोगों के जीवन स्तर में अप्रत्याशित सुधार देखने को मिला है। महराजगंज जिले के 18 वन ग्रामों को प्रदेश की योगी सरकार द्वारा राजस्व गांव का दर्जा दिए जाने के बाद यहां सरकारी योजनाओं ने दस्तक दी है। उबड़-खाबड़ सड़कें पक्की हो चुकी हैं।

मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बने घर, सामुदायिक शौचालय, स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र यहां बदलाव की कहानी कह रहे हैं। पहली बार अपनी ग्राम पंचायतों में मतदान का अधिकार पाकर भी लोग निहाल हैं। कुशीनगर के मुसहर लोगों की जिंदगी भी वनटांगिया से कम उपेक्षित और दुरूह नहीं थी। झुग्गी-झोपडिय़ों में रहकर किसी तरह गुजर बसर करते थे।

अब मुख्यमंत्री आवास योजना ने इन्हेंं पक्का मकान नसीब कराया तो बिजली विभाग ने जगह-जगह पोल लगाकर इनके गांवों को रोशनी से चकाचौंध कर दिया है। सड़क और पेयजल का काम तेजी से चल रहा है। मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत मुसहरों के 3075 आवास बनाए गए हैं। स्व’छता मिशन ग्रामीण के तहत 10, 218 शौचालयों का निर्माण कराया गया है।

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