उदय दिनमान डेस्कः प्रकृति के अनेक रंग आपने अभी तक देखे होंगे, लेकिन हम आज आपको ऐसा रंग दिखा रहे है जिसे देखकर आप आश्र्च चकित हो जाएंगे। प्रकृति इंसान को हर हाल में कुछ न कुछ देती है. लेकिन इंसान के लालच और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने हालात बेहद खराब कर दिए हैं. प्रकृति का कई बार ऐसा रूप देखने को मिलता है जो इंसान के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित होता जा रहा है.
नदियां, तालाब और झील सूखते जा रहे हैं जो बचे हैं वो प्रदूषण से कराह रहे हैं. ये हाल सिर्फ अपने देश का नहीं विदेशों का भी है. अर्जेंटीना में प्रदूषण के चलते झील, नदी, लैगून के पानी का रंग गुलाबी हो गया. इस पिंक पॉल्यूशन (Pink Pollution) की वजह से वहां के लोगों, पशु-पक्षियों, यहां तक कि पेड़-पौधों का जीवन भी खतरे में है.
आर्जेंटीना के दक्षिणी पैटागोनिया इलाके में एक विशाल झील का पूरा पानी ही गुलाबी हो गया. विशेषज्ञों और environmental activists का कहना है कि इस झील के गुलाबी होने की वजह एक केमिकल है. सोडियम सल्फाइट के प्रयोग ने पूरी झील के पानी को दूषित कर दिया.
सोडियम सल्फाइट का इस्तेमाल झींगा मछली को एक्सपोर्ट करने के लिए स्टॉक किए जाने के लिए होता है. सोडियम सल्फाइट ऐंटी बैक्टिरियल प्रॉडक्ट है जिसका इस्तेमाल मछलियों की फैक्ट्री में किया जाता है. यह केमिकल नदी और झीलों में जा रहा है. इसके अलावा मछली का वेस्ट भी नदियों को दूषित कर रहा है. स्थानीय लोग इसकी बदबू से परेशान हैं.
पिंक पॉल्यूशन (Pink Pollution) सिर्फ नदियों के जल ही दूषित नहीं कर रहा बल्कि प्रदूषण की वजह से आसपास के कुछ पेड़-पौधे भी गुलाबी रंग में बदल गए हैं. इस प्रदूषण की वजह से प्रकृति को भारी नुकसान पहुंचा है. स्थानीय लोग लंबे समय से नदी और झील के आसपास पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली फैक्ट्रियों की शिकायत कर रहे हैं लेकिन अब तक कोई एक्शन नहीं हुआ है. पर्यावरण कार्यकर्ता भी कई बार प्रोटेस्ट कर चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं है. पिछले हफ्ते झील के गुलाबी पानी ने एक बार फिर लोगों को आकर्षित किया है.
कानून के मुताबिक मछलियों के अपशिष्ट पदार्थ को नदी या पानी में छोड़ने से पहले उसे साफ करना चाहिए. केमिकल झील या नदी में नहीं जाने चाहिए लेकिन फिर भी झील के पास स्थित कंपनियां कानून का पालन नहीं कर रही हैं.