भारत के साथ जंग की तैयारी में है चीन!

नई दिल्‍ली। तमाम सैन्‍य वार्ताओं के बावजूद पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव कायम है। चीन लगातार भारत के खिलाफ सीमा पर अपनी रणनीति बनाने में जुटा है। एलएसी पर वह सामरिक रणनीति की तैयारी के साथ निगरानी तंत्र को भी मजबूत कर रहा है।

इस रणनीति में चीन ने अब पाक को भी शामिल कर लिया है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चीन ने पाक सेना के अधिकारियों को सीमा के थ‍िएटर कमांडर के मुख्‍यालय में तैनात किया है। बीजिंग और इस्‍लामााबाद के बीच खुफ‍िया सूचनाओं को साझा करने के करार के बाद चीनी सेना ने यह कदम उठाया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्‍या चीन एक और युद्ध की तैयारी कर रहा है। क्‍या उसकी योजना किसी नए जंग की है।

भारत ने चीन की सामरिक रणनीति को काटने की क्‍या योजना बनाई है। आइए जानते हैं कि इन प्रमुख मसलों पर प्रोफेसर हर्ष वी पंत (आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली में निदेशक, अध्ययन और सामरिक अध्ययन कार्यक्रम के प्रमुख) की राय।

नहीं, मेरी दृष्टि में वह भारत के साथ सैन्‍य संघर्ष में नहीं पड़ना चाहता। हालांकि, सीमा विवाद को लेकर चीन का भारत के साथ संघर्ष कायम है, लेकिन यह किसी बड़ी जंग में बदलता नहीं दिख रहा है। अंतरराष्‍ट्रीय फलक में अभी चीन कई अन्‍य समस्‍याओं में बूरी तरह से उलझा हुआ है।

दूसरे, कोरोना महामारी के बाद से किसी देश के ऐसे हालात नहीं है कि वह किसी से जंग करे। तीसरे, अमेरिका ने जिस तरह से चीन को उसके घर में ही घेरा है, उससे उसकी हालत पतली हो चुकी है। वह पूरी तरह से विचलित हो चुका है।

एलएसी पर चीन अपने सैन्‍य हलचल के जरिए वह यह दिखाने की कोशिश में जुटा है कि सीमा का मुद्दा उसने छोड़ा नहीं है। वह बार-बार यह संकेत दे रहा है कि अगर इस समस्‍या के हल के लिए उसे जंग करना पड़ेगा तो वह पीछे नहीं हटेगा।

सैन्‍य गति‍विधियों के जरिए यह भी संकेत दे रहा है कि सीमा विवाद को लेकर वह अपने स्‍टैंड पर कायम है। लेकिन चीन यह जानता है कि युद्ध के लिए यह हालात एकदम ठीक नहीं है। उसकी प्राथमिकता भारत के साथ युद्ध करना कतई नहीं हैं। अलबत्‍ता वह भारत पर लगातार दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। इस बहाने वह अपनी सैन्‍य क्षमता दिखाने की कोशिश कर रहा है।

एलएसी के समीप चीन बड़े-बड़े हथ‍ियारों को तैनात कर रहा है। क्‍यों कि वह जानता है कि युद्ध होगा तो भारत से ही नहीं होगा। इसलिए यह भी कहा जा सकता है कि वह इसकी तैयारी कर रहा है। कुल मिलाकर वह रणनीतिक रूप से अपने को मजबूत करने में जुटा है।

इस समय चीन के समक्ष भारत के अलावा कई अन्‍य बड़ी चुनौतियां हैं। कोरोना महामारी के बाद चीन ने जिस तरह से अमेरिका को आर्थिक और सामरिक चुनौती देने की कोशिश की है, उससे खुद चीन की मुश्किलें बढ़ी हैं। अमेरिका कई बार कह चुका है कि चीन उसका नंबर वन दुश्‍मन है।

ताइवान-चीन का मुद्दा हो या इंडो पैसिफ‍िक और दक्षिण चीन सागर पर चीन के बढ़ते प्रभुत्‍व का मामला हो। चीन हर जगह अमेरिकी दखल का सामना कर रहा है। अमेरिका ने चीन के समक्ष बड़े अवरोध खड़े कर दिए हैं। इस समय अमेरिका से निपटना ही चीन की सबसे बड़ी चुनौती है।

जी हां, कोरोना के बाद अंतरराष्‍ट्रीय परिदृष्‍य में बहुत तेजी से बदलाव आया है। दुनिया में सामरिक संतुलन का सिद्धांत बदला है। वह असंतुलित हुआ है। खासकर कोरोना और अफगानिस्‍तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अमेरिका की महाशक्ति की छवि में एक गिरावट आई है। कहीं न कहीं से शक्ति संतुलन में एक गैप दिख रहा है।

चीन की कोशिश है कि इस गैप में उसे जगह मिले। इस होड़ में चीन तेजी से हरकत कर रहा है। ऐसे में उसका पूरा फोकस उधर ही है। चीन चतुर है, इसलिए वह किसी अन्‍य देश से उलझना नहीं चाहेगा। ताइवान की तरह से वह भारत में भी दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है।

इस समय चीन की पूरी तैयारी अपनी सेना को अत्‍याधुनिक बनाने में है। वह जानता है कि उसका सबसे बड़ा दुश्‍मन कौन है। उसकी क्षमता क्‍या है। वह इसी बात पर अपना पूरा फोकस कर रहा है। मेरा कहने कहा आशय यह है कि इस समय चीन का पूरा फोकस अमेरिका है।

क्‍वाड और आकस के गठन के बाद उसकी चिंता और बढ़ गई है। वह एक दम से बौखलाया हुआ है। क्‍वाड देशों की एकता ने चीन को विचलित किया है। बता दें कि क्‍वाड और आकस में अमेरिका एक प्रमुख देश है।

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