नींबू पर लगी नजर, 300 रुपये प्रति किलो तक पहुंचे दाम

देहरादून। एक तरफ गर्मी का चढ़ता पारा हलकान किए है और दूसरी तरफ नींबू की आसमान छू रही कीमत पसीना निकाल रही है। हाल यह है कि गर्मी से सूखते हलक को राहत दिलाने वाले नींबू पानी का भाव भी चढ़ गया है।

सामान्य दिनों में 20 रुपये प्रति गिलास बिकने वाला नींबू पानी इन दिनों 30 रुपये में बिक रहा है। महंगाई की इस मार में गन्ने के रस से भी नींबू का स्वाद गायब हो गया है।

आमतौर पर प्याज और टमाटर के दाम सुर्खियों में रहते हैं। लेकिन, इस वर्ष नींबू को महंगाई की नजर लग गई है। कीमत के मामले में नींबू ने फलों को भी पीछे छोड़ दिया है। दून में निरंजनपुर सब्जी मंडी में थोक में नींबू 240 रुपये प्रति किलो बिक रहा है,

फुटकर दुकानदार इसे 280 से 300 रुपये प्रति किलो तक बेच रहे हैं। लाल पुल पर लगने वाली सब्जी मंडी में नींबू बेचने वाले रमेश यादव ने बताया कि पहले 10 रुपये में तीन नींबू मिल जाते थे, मगर अब एक ही मिल रहा है।

ऐसे में जो लोग पहले 250 ग्राम नींबू लेकर जाते थे, वह अब एक या दो नींबू की ही मांग कर रहे हैं। धर्मपुर सब्जी मंडी में सब्जी की बिक्री करने वाले राहुल गुप्ता ने बताया कि दक्षिण भारत से नींबू की आवक कम होने और खपत अधिक होने के चलते दाम में बढ़ोतरी हुई है।

पटेलनगर में गन्ने के रस की बिक्री करने वाले राजेश त्यागी ने बताया कि नींबू का मूल्य बहुत ज्यादा बढ़ने के कारण गन्ने के रस में नींबू डालना बंद कर दिया है। उन्हीं ग्राहकों के रस में नींबू डाला जाता है, जो इसकी मांग करते हैं। इसके लिए वह ग्राहक से अलग से 10 रुपये लेते हैं।

वहीं, डालनवाला में गन्ने के रस की दुकान लगाने वाले नीरज ने बताया कि नींबू की बढ़ी कीमत ने व्यापार को बेस्वाद कर दिया है। नींबू नहीं डालने की वजह से इस गर्मी में भी रस पीने के लिए ज्यादा लोग नहीं आ रहे। जबकि, सामान्य दिनों में ठेलों पर रस पीने के लिए लाइन लगी रहती थी।

तिब्बती मार्केट में नींबू सोडा बेचने वाले शिवम कुमार का कहना है कि पहले 20 रुपये में बड़ा गिलास देते थे, लेकिन अब बड़ा गिलास बंद कर छोटे गिलास को ही 30 रुपये का कर दिया है।

नींबू के दाम बढ़ने से दुकान, रेहड़ी-ठेले और घर में नींबू-मिर्च का टोटका लटकाने वाले परेशान हो गए हैं। यही हाल टोटका बेचने वालों का है। पटेलनगर निवासी दयाराम ने बताया कि पहले नींबू-मिर्च का टोटका बनाकर 10 रुपये में बेचते थे। अब इसकी लागत ही 10 रुपये से ज्यादा पड़ रही है। ऐसे में बिक्री प्रभावित हुई है।

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