आधी आबादी को तोहफा

नई दिल्‍ली: नई संसद में पहला दिन। पहले दिन ही मोदी सरकार ने आधी आबादी को अपने पाले में करने के लिए बड़ा बंदोबस्‍त कर दिया। मंगलवार को सरकार ने बहुप्रतीक्षित महिला आरक्षण बिल पेश किया। 2024 के चुनाव से पहले इसे मोदी सरकार का ‘मास्‍टरस्‍ट्रोक’ बताया जा रहा है। कई विश्‍लेषकों का मानना है कि इसका आने वाले चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को फायदा होगा। लेकिन, ऐसा कहने वाले भी हैं कि यह ‘जुमला’ है। इसे कई शर्तों के साथ लाया गया है।

मसलन, इसे परिसीमन के बाद लागू करने की बात कही गई है। विपक्षी दलों ने भी इसे लेकर सवाल उठाया है। उन्‍होंने पूछा है कि आखिर परिसीमन के प्रावधानों को क्‍यों शामिल किया गया है। उनका मानना है कि इन शर्तों के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू नहीं हो पाएगा। इसके उलट बीजेपी महिला आरक्षण बिल को लाकर अपनी पीठ थपथाने में लगी है।

वह दावा कर रही है क‍ि जो काम दशकों से नहीं हो पाया उसने हिम्‍मत दिखाकर एक झटके में कर दिया। 2024 से पहले क्‍या वाकई यह मोदी सरकार का मास्‍टरस्‍ट्रोक है? इससे चुनावी नतीजों पर कितना असर पड़ेगा? विपक्षी दल क्‍यों चाहते हैं कि इसका श्रेय सरकार न लूट ले जाए? आइए, यहां इन सभी पहलुओं को समझने की कोशिश करते हैं।

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण से जुड़ा 128वां संविधान संशोधन ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक-2023’ पेश किया। जहां सरकार इसे लाने के लिए वाहवाही लूटने में जुटी है तो विपक्ष बिल में खामियां तलाश रहा है। देश की आधी आबादी से जुड़ा होने के कारण यह बिल बेहद महत्‍वपूर्ण है। यह संसद और विधानसभाओं की तस्‍वीर बदलने वाला है।

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बिल को लाकर बीजेपी ने तुरुप का इक्‍का चल दिया है। इसके जरिये उसने यह दिखाने की कोशिश की है कि वह महिलाओं के मुद्दों को लेकर सबसे ज्‍यादा संजीदा और फिक्रमंद है। ट्रिपल तलाक की तरह महिला आरक्षण को भी बीजेपी 2024 की चुनावी पिच पर मास्टरस्ट्रोक की तरह खेलने वाली है। पूरी ताकत के साथ वह इस पर महिलाओं की सहानुभूति जीतने की कोशिश करेगी।

विपक्ष की यही सबसे बड़ी चिंता है। जब विपक्ष बिल की खामियां गिनाएगा तो बीजेपी के पास उस तर्क को कुंद करने का सबसे बड़ा हथियार मौजूद रहेगा। उसका तुरंत यह जवाब होगा कि अब तक विपक्ष ने ही इसे क्‍यों लागू नहीं किया। ऐसे में जब सरकार इसे लेकर आई है तो विपक्ष का चिल्‍लाने को कोई नैतिक आधार नहीं बनता है।

महिला आरक्षण का मुद्दा काफी समय से लंबित रहा है। यह कभी दोनों सदनों से पास नहीं हो पाया। ऐसे में इसने काफी हलचल पैदा कर दी है। यह सुर्खियों में है। जरूर इसके अलग-अलग पहलुओं पर बात होगी। लेकिन, काफी हद तक यह एक तरह का ‘बज’ क्रिएट करने में सफल होगा। इससे मौजूदा सरकार को फायदा मिलने की उम्‍मीद है।

कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के पास बहुत ज्‍यादा विकल्‍प नहीं हैं। उन्‍हें पूरी दम लगानी होगी। सरकार को इसका श्रेय लूटने से रोकना होगा। बिल की बारीकियों खासतौर से खामियों को पकड़कर उसे ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक पहुंचाना होगा। विपक्षी दलों ने ऐसा शुरू भी कर दिया है।

कांग्रेस ने महिला आरक्षण विधेयक को चुनावी ‘जुमला’ करार दिया है। उसने कहा है कि यह बिल महिलाओं-लड़कियों की उम्मीदों के साथ बड़ा धोखा है। अन्‍य विपक्षी दलों ने भी बीजेपी पर निशाना साधा है। इनमें आम आदमी पार्टी (AAP) शामिल है। उसने कहा है कि बिल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला है।

विधेयक के अनुसार, परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरक्षण लागू होगा। यह 15 वर्षों तक जारी रहेगा। हर परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की अदला-बदली होगी। आप ने सवाल उठाया है कि परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को क्यों शामिल किया गया है? इसका मतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू नहीं किया जाएगा। उसने मांग की है कि परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को हटाया जाए। 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए महिला आरक्षण लागू किया जाए।

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