आतंकी हमले की फिराक में , सीमा पर फिर देखे ड्रोन

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने आतकं फैलाने के लिए ड्रोन को अपना नया हथियार बना लिया है। यही वजह है कि सीमा पार आतंकी भारत में ड्रोन के जरिए हमला करने की फिराक में हैं। जम्मू एयरपोर्ट पर ड्रोन से धमाकों के बाद लगातार कश्मीर में ड्रोन की गतिविधियां देखी जा रही है। एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अर्निया सेक्टर (अरनिया सेक्टर) में ड्रोन देखे गए हैं। हालांकि, ड्रोन के खतरों के मद्देनजर पहले से ही अलर्ट बीएसएफ जवानों ने ड्रोन पर फायरिंग भी की, जिसके बाद वह ड्रोन वापस पाकिस्तान की ओर भाग गया।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अर्निया सेक्टर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर ड्रोन गतिविधि देखी गई है। पहले से ही अलर्ट बीएसएफ के जवानों ने ड्रोन पर कुछ राउंड फायरिंग की। बीएसएफ का कहना है कि आज सुबह लगभग 4:25 बजे पाकिस्तान के एक छोटे हेक्साकॉप्टर (एक तरह का ड्रोन) जब अरनिया सेक्टर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करने की कोशिश कर रहा था, तब अलर्ट बीएसएफ के जवानों ने ड्रोन पर गोलीबारी की, इस फायरिंग के चलते वह तुरंत वापस आ गया। माना जा रहा है कि यह इलाके की निगरानी के लिए था।

दरअसल, जम्मू में एयरफोर्स स्टेशन पर हुए हमले के बाद जिस प्रकार से कई स्थानों पर ड्रोन देखे गए हैं, उससे यह भी स्पष्ट संकेत सुरक्षा एजेंसियों को मिले हैं कि आतंकियों के पास ऐसे कई ड्रोन हो सकते हैं। क्योंकि, जो ड्रोन दिखे उनके स्वामित्व की पुष्टि अभी भी नहीं हो रही है। इससे जाहिर है कि उनके पीछे भी आतंकी ही हैं। कश्मीर में ड्रोन से नशीले पदार्थों की तस्करी, आतंकियों को सीमापार से हथियार पहुंचाने और अब हमले की घटनाएं हो चुकी हैं। ये तीनों ही नए किस्म की घटनाएं हैं।

इधर, जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा तकनीक और उसके संचालन की क्षमता हासिल करने को एक नये खतरे के रूप में देखा जा रहा है। आशंका है कि आतंकी तकनीक के इस्तेमाल से कम संख्या में होते हुए भी सुरक्षा तंत्र के लिए बड़े खतरे पैदा कर सकते हैं। हालांकि, इस खतरे से निपटने के लिए सेनाएं अपनी रणनीति भी तैयार कर रही हैं।

रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह स्पष्ट हो चुका है कि कश्मीर में ड्रोन हमले में आतंकियों को ड्रोन उपलब्ध कराने और उसके संचालन का प्रशिक्षण देने में बाकायदा मदद प्रदान की गई है। ड्रोन की उपलब्धता आसान नहीं है। लेकिन यदि किसी प्रकार आतंकी ड्रोन हासिल कर भी लें तो उसके संचालन के लिए प्रशिक्षण जरूरी है।

खासकर जब कोई विस्फोटक उसके जरिये किसी लक्ष्य पर गिराया जाना है। किस समय ड्रोन उड़ाया जाना है, कैसे विस्फोटक में ब्लास्ट करना है तथा किस प्रकार उसे राडार की नजरों से बचाना है, यह कार्य एक प्रशिक्षित आतंकी ही कर सकता है। स्पष्ट है कि आतंकियों को तकनीक के साथ-साथ उसका प्रशिक्षण भी प्राप्त हो रहा है।

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