काल बनकर बरसी बारिश

जिंदा दफन हो गए दो मासूम, किस्मत ने दिया तीसरे का साथ, तबाही का मंजर देख कांप उठा कलेजा
टिहरी: उत्तराखंड के टिहरी जिले में देर रात हुई बारिश काल बनकर बरसी, जिसने एक परिवार के दो मासूमों की जिंदगी छीन ली। दीवार टूटने से घर में सो रहे दो भाई-बहन मलबे में जिंदा दफन हो गए। किस्मत ने तीसरे बच्चे का साथ न दिया होता तो वह भी मलबे के ढेर में दफन हो जाता। वहीं दूसरी तरफ रुद्रप्रयाग के गौरीकुंड में हुए हादसे में परिजन मलबे के ढेर में अपनों की तलाश कर रही हैं। यहां अभी भी 20 लोग लापता हैं। तबाही का यह मंजर देख हर किसी का कलेजा कांप उठा।

नई टिहरी में ग्राम मरोड़ा में बीती रात बारिश से मकान की दीवार टूटने से दो बच्चों की मौत के बाद गांव में कोहराम मचा हुआ है। शिक्षक डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी ने बताया कि हादसे में मृतक स्नेहा (12) इंटर कॉलेज मरोड़ा में कक्षा 6 में पढ़ती थी और उसका छोटा भाई रणवीर (10) प्राथमिक विद्यालय मरोड़ा में कक्षा चार में पढ़ता था।

बच्चों के पिता प्रवीण दास गांव में खेती-बाड़ी और मजदूरी करते हैं। उनका एक और छोटा बेटा। जो रात को माता पिता के साथ सोया हुआ था। मृतक स्नेहा और रणवीर दादा प्रेमदास और दादी गंगा देवी के साथ दूसरे कमरे में सोए हुए थे। तेज बारिश की आवाज सुनकर दादा प्रेमदास बच्चों को जगाने के लिए जैसे ही उठे उसके कुछ देर बाद ही कमरे की दीवार टूट कर दोनों बच्चों के ऊपर गिर गई।

हादसे से पूरे गांव में शोक की लहर है। दूसरी तरफ जोशीमठ के ग्वाड में बादल फटने से रात को ग्रामीणों को अपने घरों से भागकर दूसरी जगह शरण लेनी पड़ी।उधर गौरीकुंड में डाटपुल के पास हुए भूस्खलन हादसे में आगरा निवासी बबलू का बड़ा भाई और साला भी लापता हो गया। बताया कि घटना के बाद काफी देर तक मोबाइल पर घंटी बजती रही। लेकिन किसी ने नहीं उठाया। दो दिन वे बबलू, मबले के ढेर पर नजर गड़ाए हुए है।

आगरा निवासी बबलू गौरीकुंड में दुकान का संचालन कर रहा था। दुकान में उसका भाई व साला भी था। वह घटना के दौरान खाना खाने गया हुआ था। लगभग साढ़े 11.30 बजे टिन के बजने जैसी तेज आवाज के साथ पहाड़ी गिरी और सबकुछ खत्म हो गया। दुकान का नामोनिशान नहीं था।

सिर्फ सिमेंट का टूटा पिलर लटका हुआ था। लेकिन भाई और साला नहीं मिले। भाई के मोबाइल पर संपर्क किया तो घंटी बजती रही। कॉल रिसीव नहीं हुई। यहां तक कि घटना के लगभग एक घंटे बाद भी मोबाइल पर घंटी जाती रही। बबलू शनिवार को दिनभर अपने भाई और साले की खोज के लिए मलबे को निहारता रहा।

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