Dehradun Zoo पहुंचे रायल बंगाल टाइगर

देहरादून।देहरादून चिड़ियाघर की शान बढ़ाने के लिए दो रायल बंगाल टाइगर पहुंच गए हैं। कार्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला रेस्क्यू सेंटर से इन बाघों को दून चिड़ियाघर लाया गया है, जिससे दून में टाइगर सफारी का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। हालांकि, अभी बाघों को चिड़ियाघर में नए बनाए गए बाड़ों में रखकर कुछ दिन निगरानी की जाएगी।

साथ ही नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी (एनटीसीए) की हरी झंडी मिलने के बाद ही इन्हें पर्यटकों के दीदार के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। लंबे समय से देहरादून जू में टाइगर सफारी के प्रयास किए जा रहे थे। इसके बाद जल्द ही हायना और भालू भी चिड़ियाघर में लाए जाएंगे।

सोमवार देर शाम रामनगर से दो शावक दून पहुंचे, जिन्हें चिड़ियाघर स्थित रेस्क्यू सेंटर में विशेषज्ञों की देखरेख में रखा गया है। चिड़ियाघर के अधिकारियों ने बताया कि ढेला रेस्क्यू सेंटर से दोनों शावकों को ट्रैंकुलाइज कर सड़क मार्ग से चिकित्सकों की टीम के साथ दून लाया गया। करीब एक माह तक विशेषज्ञ इनकी निगरानी करेंगे, ताकि ये नए बाड़ों में अभ्यस्त हो जाएं। साथ ही इनके खानपान का भी विशेष ध्यान रखने के साथ नियमित स्वास्थ्य जांच की जाएगी।

दरअसर, ढेला रेस्क्यू सेंटर में वर्तमान में 12 बाघ हो गए थे और उन्हें अन्यत्र शिफ्ट करना आवश्यक था। साथ ही देहरादून चिड़ियाघर में बीते दो वर्ष से टाइगर सफारी को लेकर प्रयास किए जा रहे थे। हालांकि, अभी औपचारिकताओं के चलते टाइगर सफारी के लिए कुछ और इंतजार करना पड़ सकता है।

देहरादून के मालसी में वर्ष 1976 में वन चेतना केंद्र के रूप में शुरू इस परिसर को बड़ी संख्या में हिरन पाए जाने के कारण लंबे समय तक डियर पार्क के नाम से जाना जाता रहा। वर्ष 2012 में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने इसे मिनी जू का दर्जा दिया। इसके बाद यहां संसाधनों के विकास के साथ ही वन्यजीवों की संख्या भी बढ़ गई।

देखते ही देखते यह चिड़ियाघर स्थानीय और बाहरी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया। यहां गुलदार के साथ ही गड़ियाल समेत हिरन की विभिन्न प्रजातियां और पक्षी प्रजातियां पर्यटकों का ध्यान खींचती हैं। साथ ही सर्पबाड़ा, कैक्टस गार्डन और फिश एक्वैरियम भी यहां की शान हैं।

इस बीच करीब डेढ़ वर्ष पूर्व देहरादून चिड़ियाघर में टाइगर सफारी की दिशा में कदम बढ़े हैं और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की टीम ने स्थलीय निरीक्षण किया और सहमति के बाद निर्माण कार्य शुरू किए गए। करीब 25 हेक्टेयर में फैले इस चिड़ियाघर में तीन किमी लंबा ट्रैक तैयार किया गया। इसके साथ ही बाघ, हायना समेत अन्य जीवों के बाड़े तैयार किए गए।

देहरादून चिड़ियाघर में सभी औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद यदि सफारी शुरू होती है तो इसमें जिप्सी या अन्य वाहनों के स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहनों से सफारी कराने की योजना है। वन क्षेत्र में प्रदूषण दुष्प्रभाव को ध्यान में रखते हुए यह योजना बनाई गई है।

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