हारते-हारते बची टीम इंडिया

डबलिन: आईसीसी रैंकिंग में भारतीय टीम पहले स्थान पर है। आयरलैंड 14वें नंबर पर है। जाहिर है कि दोनों टीमों के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती है। डबलिन में मंगलवार (28 जून) को दो टी20 मैचों की सीरीज के दूसरे मुकाबले में जब टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 225 रन बनाए तो सबने भारतीय टीम की जीत पक्की मान ली थी।

किसी ने सोचा नहीं था कि अपेक्षाकृत कमजोर आयरलैंड की टीम भारत को टक्कर दे पाएगी। 14वें नंबर की इस टीम ने सबको गलत साबित कर दिया। उसने न सिर्फ 200 से ज्यादा रन बनाए बल्कि जीत से सिर्फ चार रन ही दूर रहा।

आयरलैंड के बल्लेबाजों ने भारत के नए कप्तान हार्दिक पांड्या के माथे पर पसीने ला दिए। इस सीरीज में पहली बार कप्तानी कर रहे हार्दिक को यह मालूम होना चाहिए था कि रन बचाने में टीम इंडिया कमजोर है।

पिछले दो साल में 25 बार उसने पहले बल्लेबाजी की और 14 मैचों में हार मिली। इतना ही नहीं, पिछले सात मैचों में यह दूसरा मौका है जब विपक्षी टीम ने भारत के खिलाफ दूसरी पारी में 200 से ज्यादा रन बना लिए हो।

भारत ने मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में सात विकेट पर 225 रन बनाए। दीपक हुड्डा ने करियर का पहला शतक लगाया। उन्होंने 104 रनों की पारी खेली। संजू सैमसन ने 77 रन बनाए। जवाब में आयरलैंड ने 20 ओवर में पांच विकेट पर 221 रन बना दिए।

वह सिर्फ चार रन से मैच हारा। टी20 में पहले बल्लेबाजी करते हुए 220 से ज्यादा रन बनाने वाली टीम अगर चार रन से ही मैच जीत पाए तो उसकी गेंदबाजी कमजोर ही मानी जाएगी। 220 रन से ज्यादा बनाने के बाद जीत का यह अंतर दूसरे स्थान पर है। इससे पहले 2016 में वेस्टइंडीज की टीम 220 रन से ज्यादा बनाने के बाद भारत के खिलाफ सिर्फ एक रन से मैच जीत पाई थी।

भुवनेश्वर का आखिरी ओवर: आयरलैंड को आखिरी तीन ओवर में जीत के लिए 38 रन बनाने थे। हैरी टेक्टर और जॉर्ज डॉकरेल तूफानी बल्लेबाजी कर रहे थे। टीम इंडिया के सभी गेंदबाज महंगे साबित हो रहे थे। ऐसे में लग रहा था कि आयरलैंड की टीम उलटफेर कर देगी।

कप्तान हार्दिक ने रणनीति में बदलाव किया और अपने सबसे अनुभवी गेंदबाज भुवनेश्वर को 18वें ओवर में गेंदबाजी के लिए बुलाया। यह उनका आखिरी ओवर (चौथा ओवर) था। भुवनेश्वर तीन ओवर में 39 रन लुटा चुके थे। हार्दिक का यह दांव गलत भी साबित हो सकता था।

भुवनेश्वर की पहली गेंद वाइड हुई। अगली गेंद पर उन्होंने यॉर्कर डाला और टेक्टर उसे बाउंड्री के बाहर भेजना चाहते थे। उन्होंने लंबा शॉट लगाया, लेकिन बाउंड्री पर दीपक हुड्डा के हाथों लपके गए। आयरलैंड की सबसे मजबूत साझेदारी टूट गई। भुवनेश्वर ने ओवर में सिर्फ सात रन दिए और एक विकेट अपने नाम किया। यहां से टीम इंडिया को वापसी का मौका मिल गया।

दीपक हुड्डा और संजू सैमसन ने 87 गेंद पर 176 रनों की साझेदारी की। रोहित शर्मा, विराट कोहली और केएल राहुल की तिकड़ी के नहीं होने का फायदा इनदोनों ने उठाया और टीम इंडिया को एक मजबूत विकल्प दिया।

अब तीन बड़े खिलाड़ियों की वापसी के बाद इन दोनों को बाहर करना आसान नहीं होगा। गेंदबाजी में अक्षर पटेल ने सिर्फ कम रन दिए। उन्होंने दो ओवर में 12 रन ही दिए। बाकी गेंदबाजों ने नौ से ज्यादा की इकोनॉमी से रन लुटाए।

दीपक हुड्डा ने जरूर शतक लगाया, लेकिन अंत में उन्होंने धीमी बल्लेबाजी की। इसका नुकसान टीम इंडिया को हो सकता था। हुड्डा ने शुरुआती 91 रन 45 गेंद में बना लिए थे। उसके बाद 100 रन तक पहुंचने में उन्हें 10 गेंद लग गए। ईशान किशन, सूर्यकुमार यादव और दिनेश कार्तिक बल्ले से नाकाम रहे। हार्दिक ने नौ गेंदों का सामना किया, लेकिन 13 रन ही बना सके। गेंदबाजी में अक्षर को छोड़कर सबने रन लुटाए।

टीम के बल्लेबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया। पॉल स्टर्लिंग (18 गेंद पर 40 रन) और कप्तान बालबर्नी (37 गेंद पर 60 रन) ने विस्फोटक शुरुआत की। दोनों ने 5.4 ओवर में 72 रन की साझेदारी कर टीम इंडिया की गेंदबाजी को तहस-नहस कर दिया। हैरी टेक्टर ने लगातार दूसरे मैच में कमाल किया।

उन्होंने एक फिर से अपनी तेज बल्लेबाजी से प्रभावित किया। टेक्टर ने 28 गेंद पर 39 रन बनाए। जॉर्ज डॉकरेल ने 16 गेंद पर नाबाद 34 और मार्क एडेर ने 12 गेंद पर नाबाद 23 रन बनाकर मैच में आयरलैंड को करीब पहुंचा दिया।

आयरलैंड के लिए गेंदबाजी में सभी ने निराशाजनक प्रदर्शन किया और आठ से ज्यादा की इकोनॉमी से रन लुटाए। एंडी मैकब्रेन ने एक ओवर में 16, कॉनर ओलफर्ट ने तीन ओवर में 47, डेलनी ने चार ओवर में 43, मार्क एडेर ने चार ओवर में 42 रन लुटाए। बल्लेबाजी में गैरेथ डेलनी (00 रन) और लोरकन टकर (05 रन) नाकाम रहे। दोनों ने अगर कुछ योगदान दिया होता तो नतीजा कुछ और हो सकता था।

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