ध्वस्त हुईं 294 अवैध मजारें, 31 मंदिर !

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर वन विभाग ने अब तक 325 अवैध धर्म स्थलों को ध्वस्त कर लगभग 72 हेक्टेयर वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त करा लिया है। इन अवैध धर्म स्थलों में 294 मजारें और 31 मंदिरों को ध्वस्त किया गया है जबकि दो गुरुद्वारों को नोटिस भेजा गया है। सीएम धामी के निर्देश पर जहां जंगलों में अतिक्रमण करने वालों पर शिकंजा कसा जा रहा है वहीं अब अतिक्रमण हटाने में लापरवाही बरतने वालों पर भी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

जंगलात की जमीन पर चल रहे लैंड जेहाद को रोकने के लिए धामी सरकार पूरी तरह से जुटी हुई है। वन विभाग अपनी जमीनों को अवैध अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए कार्रवाई कर रहा है, जिसमें सबसे पहले जंगलों के बीच में सुनसान जगहों पर बने अवैध मजारों को हटाने का काम तेजी से चल रहा है। मजारों के साथ-साथ अवैध रूप से बने मंदिरों को भी हटाया गया है।

वन विभाग ने 20 अप्रैल से अपना अभियान शुरू किया था। इन अतिक्रमण में सबसे ज्यादा अवैध धार्मिक स्थल चिन्हित किए गए थे जिनका ध्वस्तीकरण किया जा रहा है। पछवा दून के एक ही गांव में 3 अवैध धार्मिक स्थलों को ढहाया गया है जबकि वन भूमि पर बनी तमाम मजारों को ध्वस्त कर जमीन को अतिक्रमण मुक्त किया गया है। साथ ही चेतावनी भी दी गई है कि दोबारा अतिक्रमण न किया जाए अन्यथा सख्त कार्रवाई की जाएगी।

वन विभाग द्वारा चिह्नित अवैध मजारों को हटाने का काम इन दिनों जिस तेजी से किया जा रहा है उसका हिंदूवादी संगठनों ने स्वागत किया है। नोडल अधिकारी सीसीएस डॉ पराग मधुकर धकाते का कहना है कि अतिक्रमण हटाने में लापरवाही बरतने वालों पर भी सख्ती की जा रही है। इनकी निगरानी के लिए भी हर जिले में टीमों का गठन किया जा रहा है जो गोपनीय रूप से वन भूमि पर अतिक्रमण का निरीक्षण करेंगी।

यह टीमें अपनी रिपोर्ट देंगी कि अतिक्रमण पर रेंजर और डीएफओ स्तर से कितने प्रभावी कार्रवाई हुई है। कार्यवाही ना होने पर जिम्मेदार अफसर का जिक्र भी टीम द्वारा रिपोर्ट में किया जाएगा। जिसे वन मुख्यालय को भेजा जाएगा। जहां से संबंधित रेंजर के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी। यदि इस रिपोर्ट में डीएफओ की लापरवाही भी सामने आती है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई के लिए शासन को लिखा जाएगा।

उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर चल रहे लैंड जेहाद को रोकने के लिए धामी सरकार पूरी तरह से संकल्पबद्ध है। सीएम पुष्कर सिंह धामी अक्सर अपने इस संकल्प को दोहराते हैं कि प्रदेश की भूमि को लैंड जेहाद से मुक्त किया जाएगा। सीएम धामी का यह भी कहना है कि वन भूमि या अन्य सरकारी जमीनों पर किसी भी तरह का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सीएम धामी प्रतिदिन वन विभाग और जिला प्रशासन से इस अतिक्रमण मुक्त अभियान की समीक्षा कर रहे हैं। वे रोजाना नोडल अधिकारी डॉ मधुकर धकाते से जानकारी भी ले रहे हैं। सीएम की सख्ती के चलते वन विभाग लगातार कार्रवाई कर रहा है जिसके चलते वन विभाग में अब तक अपनी 72 हेक्टेयर जंगल को अतिक्रमण से मुक्त करा लिया है।

यह आश्चर्यजनक बात यह है कि कितनी बड़ी संख्या में लैंड जेहाद के तहत जंगलों में पक्की की मजारें बना दी गई और मजार के आस पास की जमीन को भी पक्का कर दिया गया है। जिससे कि वहां पर अपने कब्जे को सही साबित करने का सबूत दिखाया जा सके। यहां तक की मजारों के आसपास के पेड़ों को भी सुखाकर जमीन को कब्जाने के खेल भी चल रहा है।

इस तरह से वनसंपदा को भी बड़ी मात्रा में नुकसान पहुंचाने की कोशिश अतिक्रमणकारियों द्वारा की गई है लेकिन वन विभाग की लापरवाही के चलते कोई कार्रवाई नहीं की गयी। इन मजारों के बनाये जाने का किसी को पता नहीं चला और अतिक्रमणकारी आराम से जमीन कब्जाने में जुटे रहे।

वर्ष 2022 में जब जंगलात की जमीन पर लैंड जेहाद का खुलासा हुआ तो सरकार भी सकते में आ गई थी कि इतनी बड़ी संख्या में जंगलों में मजारे बना दी गई तो वन विभाग कहां था। सीएम की सख्ती के बाद जब लैंड जेहाद पर बुलडोजर चला तो यह बात साफ हो गई कि यह मजार सिर्फ जमीन कब्जाने के लिए ही बनाई गई थी क्योंकि इन मजारों के नीचे कहीं भी कोई मानव अवशेष नहीं मिले। हालांकि कुछ अतिक्रमणकारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि मजारों को हटाने के बाद वे फिर से उसी स्थान पर मजार बना देते हैं।

देहरादून में इस तरह के मामले आ चुके हैं। यहां तक कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद राजपुर रोड के किनारे बनी एक मजार को जब प्रशासन द्वारा हटाया गया तो वही एक दुकानदार ने उस मजार को दोबारा बना दिया। बजरंग दल की जागरूकता के चलते प्रशासन ने दोबारा कार्रवाई करते हुए वहां से उस मजार को हटा दिया और सख्त चेतावनी भी दी कि दोबारा अतिक्रमण न किया जाए।

वही देहरादून के रिंग रोड में लाडपुर के जंगलों में एक मजार को विगत वर्ष कुछ हिंदूवादी संगठनों ने हटा दिया था लेकिन अतिक्रमणकारियों ने वहां फिर से मजार बना दी क्योंकि वहां देखने के लिए जाने वाला कोई नहीं था। स्थानीय लोगों की सूचना पर वन विभाग की टीम जब वहां पहुंची तो वहां फिर से मजार बनी हुई दिखाई दी। इस मजार की आड़ में जंगल की लगभग एक बीघा जमीन को कब्जाया गया था और यहां तक पहुंचने के लिए 1 किलोमीटर लंबा रास्ता भी बनाया गया था।

रायपुर रेंजर राकेश नेगी के नेतृत्व में टीम ने इस मजार को तोड़ दिया। इस दौरान मजार से जुड़ा कोई भी वहां नहीं आया। हालांकि बताया जाता है कि एक दंपत्ति इस मजार की देखरेख करते हैं। वे लोग दुबारा यहां मजार बनाने की कोशिश न करें इसको देखते हुए वहाँ पर चेतावनी नोटिस भी चस्पा किया गया है।

देहरादून में अब तक लगभग 20 मजारों को तोड़ा जा चुका है। इसी तरह से लच्छीवाला रेंज में सत्ती वाला में जंगलात की अच्छी खासी जमीन को कब्जा कर बड़ा सा कमरा बनाकर उसके अंदर मजार बनाई गई थी। वन विभाग की टीम ने इस मजार को भी ध्वस्त कर दिया और साथ के साथ वहां से इस मजार का मलवा भी हटा दिया। वहीं बड़कली और फतेहपुर टांडा में बनी मजारों को भी ध्वस्त किया गया।

बता दें कि जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व में मजारों को लेकर भी वन विभाग की खासी किरकिरी हुई थी। कार्बेट क्षेत्र में बनी मजारों के मामले को सीएम धामी द्वारा स्वयं संज्ञान में लिया गया। जिसके बाद कार्बेट प्रशासन हरकत में आया और आरक्षित जंगल में बनी सात मजारों को ध्वस्त किया गया। जिस आरक्षित क्षेत्र में लोगों के पैदल चलने पर भी प्रतिबंध है। वहां पर मजारों के बनने से कार्य प्रशासन पर भी उंगली उठने लगी कि आखिर जब यह निर्माण हो रहा था तब कार्बेट प्रशासन कहां सोया हुआ था।

जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में देशभर से लाखों पर्यटक बाघ और अन्य जीव-जंतुओं को देखने के लिए आते हैं। ऐसे में वहां पर बनी मजारों के करण कार्बेट प्रशासन पर सवाल उठाना भी लाजिमी है। पौड़ी गढ़वाल में लैंसडाउन हाईवे के किनारे एक मजार को भी पिछले दिनों विभाग ने ढहा दिया है। यह मजार रास्ते में बाधक बन रही थी जिस पर जिला प्रशासन और वन विभाग ने पहले नोटिस चस्पा किया है।

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