बर्लिन: रूस के बढ़ते आक्रामक रुख से यूरोप में खलबली मची है. जर्मनी, जो दशकों से युद्ध के खतरों को नजरअंदाज करता रहा, अब वर्ल्ड वॉर 3 (WW3) जैसे हालात से निपटने की तैयारी में जुट गया है. जर्मनी के नागरिक सुरक्षा विभाग के प्रमुख राल्फ टिसलर ने चेतावनी दी है कि देश को अगले चार सालों में रूसी हमले के लिए तैयार रहना होगा.
टिसलर ने जर्मन अखबार Süddeutsche Zeitung को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘बहुत लंबे समय तक जर्मनी में यह मान्यता थी कि युद्ध कोई ऐसा खतरा नहीं है, जिसके लिए हमें तैयारी करनी पड़े. लेकिन अब हालात बदल चुके हैं.’टिसलर के मुताबिक, जर्मनी को तुरंत अपने पुराने बंकरों, सुरंगों, मेट्रो स्टेशनों, पार्किंग एरियाज और पब्लिक बिल्डिंग्स के बेसमेंट को प्रोटेक्टिव शेल्टर में तब्दील करना होगा. उनका लक्ष्य है कि जल्दी से जल्दी कम से कम 10 लाख लोगों के लिए सुरक्षित जगह तैयार कर ली जाए.
फिलहाल जर्मनी में कुल 2000 कोल्ड वॉर के दौर के बंकर और प्रोटेक्टिव स्पेस हैं. लेकिन इनमें से केवल 580 ही काम करने की स्थिति में हैं. इनमें सिर्फ 4.8 लाख लोगों को शरण दी जा सकती है, जो कि जर्मनी की कुल आबादी का महज 0.5% हिस्सा है.टिसलर का कहना है कि नए बंकर बनाना बहुत समय और पैसा मांगता है. इसलिए मौजूदा ढांचों को तुरंत तैयार करना होगा. इसके लिए इस गर्मी में एक विस्तृत प्लान पेश किया जाएगा.
यूक्रेन में रूस के युद्ध और हाल में बढ़े तनाव ने जर्मनी के साथ-साथ बाल्टिक देशों और पोलैंड में भी डर बढ़ा दिया है कि मॉस्को यूरोप में नई जंग छेड़ सकता है.अब जर्मनी इस खतरे को नजरअंदाज करने की स्थिति में नहीं है. इसलिए बंकरों के साथ-साथ देश में साइबर सुरक्षा और चेतावनी सिस्टम को भी अपग्रेड किया जाएगा. मोबाइल ऐप, सड़क संकेत और पुराने वॉर्निंग सायरन को आधुनिक बनाया जाएगा ताकि किसी आपात स्थिति में लोगों को जल्दी से जल्दी सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाया जा सके.
यहां फिनलैंड का उदाहरण भी सामने आया है. फिनलैंड में करीब 50,000 प्रोटेक्टिव रूम हैं, जो देश की 85% आबादी यानी 48 लाख लोगों को सुरक्षित कर सकते हैं. वहीं जर्मनी अभी बेहद पीछे है.टिसलर ने जर्मनी की सरकार से अपील की है कि इस योजना के लिए जरूरी फंड जल्द से जल्द उपलब्ध कराए जाएं. भले ही संसद ने मार्च में जर्मनी के डेब्ट सीलिंग को सस्पेंड कर दिया है, जिससे अरबों यूरो के संसाधन उपलब्ध हुए हैं,
लेकिन अभी तक नागरिक सुरक्षा योजनाओं के लिए कानूनी तौर पर फंड आवंटित नहीं हुआ है.इन पैसों का बड़ा हिस्सा सेना, सड़कें, पुल और अन्य अहम ढांचों के निर्माण में लगाया जाएगा. लेकिन नागरिक सुरक्षा के लिए पर्याप्त फंड मिलना जरूरी है, ताकि WW3 जैसे हालात के लिए जर्मनी समय रहते तैयार हो सके.