चारधाम यात्राः डेंजर जोनों पर यात्रियों की अग्नि परीक्षा

देहरादूनः चारधाम यात्रा की तैयारियां अभी सिफर नजर आ रही हैं। सबसे बड़ी चुनौती चारधाम को जोडऩे वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर नए-पुराने 40 अधिक डेंजर जोन को लेकर है। जो अभी से सक्रिय हो चुके हैं।

इसे लेकर व्यवसायी भी खासे चिंतित हैं कि अगर यात्रा मार्ग पर यात्रियों के वाहन जाम में फंस जाएंगे तो पूरी यात्रा का कार्यक्रम ही गड़बड़ा जाएगा। भले ही सरकार दवा कर रही है कि चारधाम यात्रा की तैयारियों 25 अप्रैल तक पूरी हो जाएंगी। लेकिन, सड़कों की हाल से तैयारियों पूरी तरह से सिफर लग रही है।

गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर चंबा से लेकर धरासू के बीच 12 से अधिक डेंजर जोन हैं। कंडीसौड़ के निकट रोमलगांव धार में भूस्खलन जोन सक्रिय बना हुआ है। इस डेंजर जोन ने स्थानीय ग्रामीणों की आवाजाही ही प्रभावित कर दी है। चिन्यालीसौड़ के निकट नगुण के पास दूसरा बड़ा डेंजर जोन है। यह डेंजर जोन पिछले तीन वर्षों से सक्रिय है। कई बार यहां गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित हो चुका है।

चिन्यालीसौड़ से लेकर धरासू बैंड तक हाईवे की स्थिति बेहद ही जर्जर है। इस क्षेत्र में आलवेदर रोड का निर्माण चल रहा है। लेकिन, निर्माण करने वाली कंपनी कछुए गति से काम कर रही है। अगर समय रहते यह कार्य पूरा नहीं हुआ तो इसका सीधा असर चारधाम यात्रा पर पडऩा तय है। यहां कंपनी को जो समय सीमा दी गई थी उसके अनुरूप अभी तक 50 प्रतिशत कार्य भी नहीं हो पाया है।

बडे़थी से धरासू बैंड के डेंजर जोन क्षेत्र में निर्माण की गति देखकर प्रशासन के भी हाथ पांव फूल रहे हैं। इस क्षेत्र में सीजन पर यात्रा कैसे संचालित होगी। अधिकांश क्षेत्र ऐसा है जहां दो वाहन भी पास नहीं हो पाते हैं। यहां तीन किलोमीटर के दायरे में डेंजर स्थिति वाले पांच से अधिक स्थान हैं।

यमुनोत्री धाम को जोडऩे वाले धरासू बैंड यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग का भी यही हाल है। धरासू बैंड से लेकर सिलक्यार के बीच दो बड़े डेंजर जोन हैं। सड़क की हालत भी बदहाल है। किसाला और कुथनौर के बीच आलवेदर रोड का निर्माण कार्य चल रहा है। करीब तीन सौ मीटर क्षेत्र में सबसे बड़ा डेंजर जोन है। इस डेंजर जोन में हाईवे चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। लेकिन हाईवे का चौड़ीकरण पूरा नहीं हो पाया।

डाबरकोट भूस्खलन जोन का भी ट्रीटमेंट नहीं हुआ है। पालीगाड़ से फूलचट्टी तक सड़क पर गड्ढे-गड्ढे बने हुए हैं। साथ ही इस क्षेत्र में भी चार बड़े डेंजर जोन हैं। जो हल्की बारिश में सक्रिय हो जाते हैं। यह हाल सिर्फ गंगोत्री और यमुनोत्री धाम का नहीं है। बल्कि रुद्रप्रयाग में केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग और चमोली में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग की भी यही स्थिति है।

श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच बदरीनाथ हाईवे पर सिरोबगड़ डेंजर जोन सबसे बड़ा है। यह डेंजर पिछले 14 वर्षों से सक्रिय है। इस डेंजर जोन से मुक्ति पाने के लिए आलवेदर के तहत जिन पुलों का निर्माण होना था, वह निर्माण अभी अभी हुआ नहीं है।

इसके अलावा बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर कमेड़ा, चडुवा पीपल, कालेश्वर, लंगासू, बैडाणू, देवलीबगड़, नंदप्रयाग, मैठाणा, कुहेड़, बिरही चट्टान, भनारपानी, हेलंग, सेलंग, लामबगड़ सहित आदि डेंजर जोन हैं।

इनमें अधिकांश डेंजर जोन आलवेदर रोड निर्माण के दौरान बने हैं। रुद्रप्रयाग केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर बासवाड़ा, बडासू, डोलिया देवी के पास डेंजर जोन हैं। इसके अलावा गैरीकुंड को जोडऩे वाला पांच किलोमीटर की सड़क भी बेहद ही संकरी है।

इस मार्ग पर केवल छोटे वाहनों की आवाजाही हो रही है। सरकार और संबंधित जिलों के प्रशासन ने युद्ध स्तर पर डेंजर जोन का ट्रीटमेंट, संकरी सड़क को चौड़ा करने और कच्ची सड़क पर डामरीकरण नहीं किया तो यात्रियों को परेशानी होनी तय है।

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