नई दिल्ली: क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। खास तौर पर कोरोना काल में निवेश के नए विकल्प के रूप में जमकर पैसा लगाया जा रहा है। क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में सट्टेबाजी भी खूब हो रही है।
इसी बीच एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने क्रिप्टोकरेंसी की सीमाओं को उजागर कर दिया है। क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित एक कंपनी ने हाल ही में बयान दिया कि एक गलती के चलते कंपनी के यूजर्स को लगभग 90 मिलियन डॉलर क्रिप्टोकरेंसी भेज दी गई है। इतना ही नहीं कंपनी के सीओ ने अब लोगों से अनुरोध भी किया है।
दरअसल, बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डिसेंट्रलाइज्ड वित्तीय प्लेटफॉर्म कंपाउंड ने हाल ही में अपने एक बयान में बताया कि एक बग ने यूजर्स को गलती से लगभग 90 मिलियन डॉलर (लगभग 650 करोड़ रुपये) की क्रिप्टोकरेंसी भेज दी। इसे वापस लेने के लिए कंपनी के सीईओ ने यूजर्स से अनुरोध किया है कि वे सभी इसे वापस कर दें। यह सब तब हुआ जब यूजर्स को बिना इन्वेस्ट किए ही ये सब क्रिप्टोकरेंसी उनके खाते में पहुंच गई।
इस कंपनी के सीओ रॉबर्ट लेशनर ने एक ट्ववीट के जरिए अनुरोध किया कि यदि आपको कंपाउंड प्रोटोकॉल त्रुटि से एक बड़ी, गलत राशि प्राप्त हुई है तो कृपया इसे कंपाउंड टाइमलॉक पर वापस कर दें। इसके साथ ही उन्होंने लोगों को रेवेन्यू सर्विस को रिपोर्ट करने की चेतावनी भी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस प्लेटफॉर्म कंपाउंड में अपडेट के बीच एक तकनीकी गलती की वजह से इसके कई यूजर्स को गलती से क्रिप्टोकरेंसी सेंड हो गई है।
बता दें कि पिछले कुछ समय से क्रिप्टोकरेंसी का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। भारत में भी दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में सट्टेबाजी हो रही है। हालांकि तीन साल पहले रिजर्व बैंक ने बिटकॉइन, एथेरियम, डॉगकॉइन जैसी तमाम क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को हटाने का आदेश दिया, जिसके बाद इसमें निवेश करने वाले बढ़ गए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी में जमकर हो रहे निवेश को देखते हुए अब इस पर कई चरणों में टैक्स लगाने की तैयारी हो रही है। मालूम हो कि क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है जिससे सिर्फ ऑनलाइन लेनदेन किया जा सकता है।