नई दिल्लीः SARS-CoV-2 के वेरिएंट B.1.617 को WHO ने ‘चिंता वाला वेरिएंट’ घोषित किया है। मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में WHO ने कहा कि यह वेरिएंट शायद कोविड-19 के बाकी वेरिएंट्स से ज्यादा संक्रामक है। हालांकि उसने हालिया लहर के लिए इसकी जिम्मेदारी का आंकलन नहीं किया है। WHO ने चेताया है कि भारत समेत कई अन्य देशों में पॉजिटिव सैम्पल्स के थोड़े से हिस्से की ही जीनोम सैम्पलिंग हुई है, वह भी अपर्याप्त सर्विलांस के, ऐसे में B.1.617 को लेकर किसी निष्कर्ष पर पहुंच पाना मुश्किल है।
B.1.617 को पिछले साल अक्टूबर में पहचाना गया था। तब महाराष्ट्र के सैम्पल्स में इसके होने की पुष्टि हुई थी। इसे ‘डबल म्यूटेशन’ वेरिएंट कहा गया। ‘डबल म्यूटेशन’ का मतलब वायरस के स्पाइक प्रोटीन में आए दो बदलावों E484Q और L452R से है। ग्लोबल रिपॉजिटरी के अनुसार, पिछले 45 दिनों में जितने भी सैम्पल टेस्ट हुए हैं, उनमें से 66% में यही वेरिएंट पाया गया है। इस बात के भी सबूत मिले हैं कि यह वेरिएंट ज्यादा संक्रामक है।
WHO ने अपनी वीकली रिपोर्ट में कहा है कि B.1.617 अपने तीन सब-लीनिएज (B.1.617.1, B.1.617.2, B.1.617.3) के साथ कम से कम 44 देशों में मिल चुका है। भारत में दो-तिहाई सैम्पल्स में यही वेरिएंट मिला है। इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, सिंगापुर, कनाडा, फिजी, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, इजरायल, डेनमार्क, जापान, आयरलैंड, बहरीन, बेल्जियम, पोलैंड जैसे देशों से भी इसके मरीज मिले हैं।
GISAID ग्लोबल रिपॉजिटिरी के डेटा का एक एनालिसिस बताता है कि पिछले 45 दिनों में जो सैम्पल्स अपलोड हुए हैं, उनमें से B.1.617.1 और B.1.617.2 का हिस्सा दो-तिहाई है। outbreak.info के एनालिसिस में अनुमान लगाया गया है कि मार्च के आखिर में जहां B.1.617.2 को 9% मामलों में पाया गया.
वहीं अप्रैल खत्म होते-होते वह 80% से ज्यादा केसेज में फैल गया है। हालांकि यह अनुमान GISAID को भेजे गए सैम्पल्स पर आधारित है। दिल्ली, बिहार, गुजरात और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में B.1.617.2 के मामले खूब मिले हैं। एक्सपर्ट्स ने भारत में कम जीनोम सीक्वेंसिंग को लेकर भी चिंता जताई है।
WHO की शुरुआती जांच बताती है कि B.1.617.1 और B.1.617.2 भारत में फैल रहे अन्य वेरिएंट्स से कहीं ज्यादा तेजी से फैलते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, B.1.617.3 के बेहद कम सीक्वेंस डिटेक्ट हुए हैं और उसकी संक्रामकता का अंदाजा लगा पाना अभी मुश्किल है। WHO के अनुसार, B.1.617 और उसके सब-लीनिएज का वैक्सीन, इलाज और री-इन्फेक्शन को लेकर भी स्थिति साफ नहीं है।
WHO ने अभी तक इन वेरिएंट्स के खिलाफ कौन सी वैक्सीन असरदार हैं, इसे लेकर कुछ नहीं कहा है। वहीं अमेरिका के एक शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि उनके यहां अप्रूव्ड टीके इन वेरिएंट्स का मुकाबला करने में सक्षम हैं। नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के डायरेक्टर डॉ फ्रांसिस कॉलिंस ने मीडिया को बताया कि अमेरिका में अप्रूव्ड की गईं वैक्सीन- फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन ऐंड जॉनसन B.1.617 के खिलाफ प्रभावी हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि बाकी वेरिएंट्स के मुकाबले इस वेरिएंट के खिलाफ टीके ‘कम असरदार हैं, मगर अमरीकियों को सुरक्षित करने लायक जरूर हैं।’